बइसाख महीना के पुन्नी के दिन ही भगवान गौतम बुद्ध के धरती म अवतरण होए रिहिसे, इही दिन बादर म भगवान बुद्ध ल गियान मिलिस अऊ आजे के दिन ही ओमन संसार ले मुक्त होगिन। इही सेती ये पावन दिन ल दुनियाभर के बौद्ध धर्म म आस्था रखइया मन बुद्ध पूर्णिमा या बुद्ध जयंती के रूप म मनाथे।
दुनियाभर म बौद्ध धर्म के मनइया लगभग 180 करोड़ ले आगर लोगन मन बुद्ध पूर्णिमा ल धूमधाम ले मनाथे। बौद्ध धर्म के मनइया मन भारत, चीन, नेपाल, सिंगापुर, वियतनाम, थाइलैंड, जापान, कंबोडिया, मलेशिया, श्रीलंका, म्यांमार, इंडोनेशिया अउ पाकिस्तान के अलावा दुनिया के अऊ कई देश म बगरे हावय।
केहे जाथे के गौतम बुद्ध के जनम 563 ईसा पूर्व म इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर म होए रिहिसे। उंकर माता के नाव महामाया रिहिसे जोन कोलीय वंश के रिहिस। बालक सिद्धार्थ के जनम के सात दिन बाद माता के निधन होगे, उंकर पालन महारानी के छोटे बहिनी महाप्रजापती गौतमी ह करिन।
सिद्धार्थ के बिहाव यशोधरा संग होइस, ओमन ले एक बालक होइस। फेर एक दिन सिद्धार्थ ह संसार ल जरा, मरण अउ दुख ले उबारे खातिर गियान के रद्दा म निकलगे। राजपाठ के मोह ल तियाग के, केऊ बछर ले जबर साधना करे के बाद ओमन ल बोधगया, बिहार म बोधि पेड़ तरि गियान के प्राप्ति होइस अऊ ओमन सिद्धार्थ ले भागवान बुद्ध होगे।
मानवतावादी अउ विज्ञानवादी बौद्ध धम्म दर्शन ले भगवान बुद्ध दुनिया के सबले महान महापुरुष होगे। ‘बहुजन हिताय’ लोककल्याण खातिर धर्म के देश-विदेश प्रचार करत 80 बछर के उमर म पूर्णिमा के दिन ही 483 ईसा पूर्व कुशीनगर म ओमन महापरिनिर्वाण प्राप्त करिन।
(संकलन : अंजोर, अनुवाद : जयंत साहू)