छत्तीसगढ़ी के बड़का साहित्यकार चंद्रशेखर चकोर जी के छत्तीसगढ़ी उपन्यास पूरा होगे हाबे। बिपत के बेरा के बने उपयोग करत चकोर जी अपन पूरा बखत ल लेखन म लगाइन, लगभग 35 दिन म उंकर छत्तीसगढ़ी उपन्यास के सिरजन होए हाबे।
जानबा होवय के श्री चंद्रशेखर चकोर छत्तीसगढ़ी के बड़े नाम आए उंकर अब तक 7 किताब प्रकाशित होगे हाबे। जेन म प्रमुख रूप ले मड़वा तीर करसा ददरिया संग्रह 1995 म प्रकाशित होए हाबे। येकर अलावा लोक खेल नियमावली एक पुन:रीक्षण, टेकहाराजा, छत्तीसगढ़ के पारंपरिक लोक खेल, डहरचला, चक्कर गुरूजी के अउ परिया टोरउनी रेगहा ह गजब लोकप्रिय होइस।
चकोर जी अपन नवा उपन्यास के आरो देवत किथे के ‘आप मन ल बता के चोला गदगद होवथाबे के लॉकडाउन के 35 दिन म एक ठी छत्तीसगढ़ी उपन्यास लिखेवं। नाव रखे हवं- लाकडाउन। साफ सुथरा बनाये के बुता म बिल्होराये हवं। आप जम्मों झिन के आसीस म झपकुन छप तको जही।’
छत्तीसगढ़ अउ छत्तीसगढ़ी ले अथाह मया करइया चकोर जी के जम्मों सिरजन भाखा के उरऊंती खातिर होथे। ठेठ छत्तीसगढ़ी अउ सरल बोलचाल म बिगर कोनो भूमिका के सोज-सोज आखर म गोठियाथे उंकर कहानी के सूत्रधार मन। ओमन आम बोलचाल ले नंदावत कतकोन शब्द मनला बउरथे। सबले बड़े बात उंकर कहानी ह छत्तीसगढ़ के सामाजिक, आर्थिक अउ धार्मिकता के बिगड़त स्वरूप ल दरपन देखावत तइहा ले आज ल देखथे। इही पाके नवा रचनाकार मनला चकोर जी के कृति के अगोरा रहिथे।
फेर जब ले पाठक मन चकोर जी के नवा उपन्यास के नाव लॉकडाउन सुने हाबे मन उबूक-चबूक करत हाबे। वइसे नाव ले आकब करन तव ये आज के जबर राई कोरोना महामारी के मार्मिक कहानी तको हो सकत हाबे। कहू अइसन होही तव चकोर जी जइसन ठेठ छत्तीसगढ़ी रचनाकार के रचना म आज के छत्तीसगढ़ ल देखना सिरतोन म चोला गदगद कर देही।