अंजोर.रायपुर। कश्मीर ले कन्याकुमारी तक देश म आने-आने संस्कृति के रोचक नृत्य हावयं। ये सबके जीवंत प्रस्तुति राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव म होत हावय। देश के सबले शीर्ष हिस्सा लद्दाख ले आये कलाकार मन ह बल्की नृत्य के प्रस्तुति दीस। ये नृत्य लद्दाख म बिहाव समारोह के मउका म करे जाथे। बिहाव म केऊ रकम ले के रस्म होवत हावय। ये सबो रस्म के सुंदर प्रस्तुति आज लद्दाख ले आये लोक कलाकार मन ह करिस। पहाड़ी क्षेत्र के मुताबिक खास रकम ले के वेशभूषा अउ वाद्ययंत्र के माध्यम ले दे गे प्रस्तुति ले लद्दाख के लोक जीवन देखइया के आँखी के आगू जीवंत होगे।
नृत्य म दू पक्ष रिहिस वर पक्ष अउ वधु पक्ष। दुनों ही पक्ष ह संगीतमय प्रस्तुति दीस। बल्की नृत्य के देखके ये महसूस हावय के बिहाव के मउका म होए वाला अनुष्ठान आम जनजीवन म कतका गहराई ले बसे हावयं अउ लोगन ल आनंदित करत हावयं। बल्की नृत्य म लोगन ह लद्दाख के स्थानीय वाद्य यंत्र के लोकधुन सुनिसं। सदियों ले ये धुन लोक विश्वास के हिस्सा रेहे हावयं।
सबो पाठक ल जोहार..,
हमर बेवसाइट म ठेठ छत्तीसगढ़ी के बजाए रइपुरिहा भासा के उपयोग करे हाबन, जेकर ल आन मन तको हमर भाखा ल आसानी ले समझ सके...
छत्तीसगढ़ी म समाचार परोसे के ये उदीम कइसे लागिस, अपन बिचार जरूर लिखव।
महतारी भाखा के सम्मान म- पढ़बो, लिखबो, बोलबो अउ बगराबोन छत्तीसगढ़ी।