गणेश चतुर्थी परब ह एसो 22 अगस्त, दिन शनिवार अउ भादो के शुक्ल पक्ष के यानी अंजोरी पाख म चउत के परही। इही दिन भगवान गणेश के घर-घर अउ गुड़ी म बिराजमान होही। वइसे छत्तीसगढ़ म तको कोनो भी मंगल कारज करे के पहिली गउरी-गनेस के पूजा करे परंपरा हाबे। इहां लोगन आदिदेव अउ आदिशक्ति के उपासना करथे तेकरे सेती गणेश जी के पूजन तको विशेष महत्ता के हावय। भारतीय धर्म अउ संस्कृति म गणेश स्थापना के परंपरा ह महाराष्ट्र ले अब भारतवर्ष म घउरत हाबे। एसो भगवान गणेश 22 अगस्तस के बइठही अउ 1 सितंबर के मूर्ति विसर्जन होही।
गणेश चतुर्थी कब है
- गणेश चतुर्थी ह एसो 22 अगस्त दिन शनिवार अउ भादो के शुक्ल पक्ष के यानी अंजोरी पाख म चउत के परही।
अनंत चतुर्दशी कब है
- अनंत चतुर्दशी ह एसो 1 सितंबर दिन मंगलवार के परही। इही दिन भगवान गणेश के मूर्ति के विसर्जन सरोवर म करे जाही।
कब से कब तक मनाया जाता है गणेशोत्सव
- भादो मास के अंजोरी पाख के चउत ले जबर गणेश उत्सव के धूम रिथे। भगत मन सरलग भगवान गणेश के दस दिन तक पूजा करथे अउ अनंत चतुर्दशी के दिन सरोवर म लेग के मूर्ति के विसर्जन कर देथे। घर के संग गुड़ी म तको गणेश जी ल जबर धूम धाम ले बइठारे जाथे। दस दिन ले सरलग गजब अकन धार्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन होथे। जतके उच्छाह ले गणेश जी ल बइठाथे ओतकेच उच्छाह ले विसर्जन तको कराथे, गाजा-बाजा के साथ।
श्री गणेश आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥ श्री जय गणेश...
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥ श्री जय गणेश...
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥ श्री जय गणेश...
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
गणपति श्लोक
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
श्रीगणेश वंदना
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।
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