हिन्दू धरम म भगवान विष्णु के दस अवतार बताये गे हावय। जेमा आठवां अवतार ओमन श्री कृष्ण के रूप म मइया देवकी के गरभ ले लिस। देवकी अउ वसुदेव के बिहाव के समे ही राजा कंस इही दूनो के गरब ले ओकर काल के जनम के ये बात के आरो पागे रिहिस। इही पाके अपन सग बहिनी देवकी अउ बहनोई वसुदेव ल कारागार म बंदी बनाके राख लिस। अत्याचारी कंस ह देवकी के लइका के जनम के आरो पाके तुरते आवय अउ पटक के मार-मार देवय। फेर जब भगवान ह आठवा संतान के रूप म ओकर गरभ म अइस तव अनेक चमत्कार देखे बर मिलिस।
भगवान के इही जनम के लीला ह जन्माष्टमी के मउका म सरी देश म जबर जलसा के रूप म मनाये जाथे। ये दिन ल कृष्ण जन्माष्टमी, कृष्णाष्टमी, गोकुलाष्टमी, कन्हैया अष्टमी, आठें कन्हैया, श्री कृष्ण जयंती आदि नाम ले तको जाने जाथे। छत्तीसगढ़ म ये परब ल आठे कन्हैया के रूप म मनाये जाथे।
जब भगवान कृष्ण ह देवकी के गरभ ले अवतार लिस तव देवी योगमाया के किरपा ले सबो सिपाही मन सुते रिगे। वसुदेव ह बालक भगवान किसन कन्हैया ल कारागार ले धरके गोकुल नगर के मइया यशोदा के कोरा ल सुता दीस। अऊ उहा ले यशोदा अउ नंदबाबा के नोनी ल ले आनिस। अइसन-अइसन अनेक किस्सा भगवान विष्णु के आठवां अवतार म देखे बर मिले हावय। जेना अनेक अवसर म लोगन म कथा, कहानी अउ लीला के रूप म प्रदर्थन करथे।
आठे उपास-
छत्तीसगढ़ म ये दिन लोगन मन दिन भर उपास रिथे। जेला आठे उपास करे जाथे। भगवान के आठवां अवतार, मादो के अंधियारी पाख के आठे के दिन जनम, आठवां संतान के रूप म, इही सेती आठे कन्हैया नाम तको लोक म प्रचलित जान परथे। रतिहा कुन पूजा के बाद उपास वाले मन छत्तीसगढ़ी पकवान के फरहार करथे।
कोठी या भिथिया म आठे कन्हैया-
आठे के दिन लइका मन भेंगरा अउ सेमी के पत्ता उक ल कुचरके रंग निकलाथे। इही प्राकृतिक रंग ले सियान मन घर के कोठी या भिथिया म आठे कन्हैया बनाथे। आठों झिन ल मानता रूपी देवकी के गरब ले जनमे संतान माने जाथे जेमा आठवां म कन्हैया आथे। कतकोन घर तो आठे कन्हैया के संग डोंगा, नदिया, नांगर, मछरी, मंगर उक के चित्र तको बनाथे।
जन्मोत्सव-
कन्हैया के जनम के दिन तो उपास म कट जथे फेर बिहान दिन लोगन मन भगवान के जनम के जबर जलसा मनाथे। जेमा दही लूट ह गजब परसिद्ध हावय। गांव के लोगन मन भगवान किसन अउ ग्वाल बाल के सवांग धरके मटकी फोरे बर गली म निकलथे। गली-गली म मटकी बांधे रिथे तेन ल गीद गोविंद के संग फोर के आनंद मंगल ले तिहार मनाये जाथे।
जन्माष्टमी कब है -
जन्माष्टमी एसो 12 अगस्त दिन बुधवार के परही। मान्यता हावय के कृष्ण के जनम भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष के अष्टमी के रोहिणी नक्षत्र म रात के बखत हाए रिहिसे। येकरे सेती भादो अंधियारी पाख के आठे के दिन जन्माष्टमी या आठे कन्हैया परब मनाये जाथे।
भगवान विष्णु के अवतार-
भगवान के मुख्य रूप ले 10 अवतार के वर्णन मिलथे जेमा मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध अउ कल्कि हावय।
भगवान श्री कृष्ण के 108 नाम-
1. कृष्ण, 2. कमलनाथ, 3. वासुदेव, 4. सनातन, 5. वसुदेवात्मज, 6. पुण्य, 7. लीलामानुष विग्रह, 8. श्रीवत्स कौस्तुभधराय, 9. यशोदावत्सल, 10. हरि, 11. चतुर्भुजात्त चक्रासिगदा, 12. सङ्खाम्बुजा युदायुजाय, 13. देवाकीनन्दन, 14. श्रीशाय, 15. नन्दगोप प्रियात्मज, 16. यमुनावेगा संहार, 17. बलभद्र प्रियनुज, 18. पूतना जीवित हर, 19. शकटासुर भञ्जन, 20. नन्दव्रज जनानन्दिन 21. सच्चिदानन्दविग्रह 22. नवनीत विलिप्ताङ्ग 23. नवनीतनटन 24. मुचुकुन्द प्रसादक 25. षोडशस्त्री सहस्रेश 26. त्रिभङ्गी 27. मधुराकृत 28. शुकवागमृताब्दीन्दवे 29. गोविन्द 30. योगीपति 31. वत्सवाटि चराय 32. अनन्त 33. धेनुकासुरभञ्जनाय 34. तृणी-कृत-तृणावर्ताय 35. यमलार्जुन भञ्जन 36. उत्तलोत्तालभेत्रे 37. तमाल श्यामल कृता 38. गोप गोपीश्वर 39. योगी 40. कोटिसूर्य समप्रभा 41. इलापति 42. परंज्योतिष 43. यादवेंद्र 44. यदूद्वहाय 45. वनमालिने 46. पीतवससे 47. पारिजातापहारकाय 48. गोवर्थनाचलोद्धर्त्रे 49. गोपाल 50. सर्वपालकाय 51. अजाय 52. निरञ्जन 53. कामजनक 54. कञ्जलोचनाय 55. मधुघ्ने, 56. मथुरानाथ 57. द्वारकानायक 58. बलि 59. बृन्दावनान्त सञ्चारिणे 60. तुलसीदाम भूषनाय 61. स्यमन्तकमणेर्हर्त्रे 62. नरनारयणात्मकाय 63. कुब्जा कृष्णाम्बरधराय 64. मायिने 65. परमपुरुष 66. मुष्टिकासुर चाणूर मल्लयुद्ध विशारदाय 67. संसारवैरी 68. कंसारिर 69. मुरारी 70. नाराकान्तक 71. अनादि ब्रह्मचारिक 72. कृष्णाव्यसन कर्शक 73. शिशुपालशिरश्छेत्त 74. दुर्यॊधनकुलान्तकृत 75. विदुराक्रूर वरद 76. विश्वरूपप्रदर्शक 77. सत्यवाचॆ 78. सत्य सङ्कल्प 79. सत्यभामारता 80. जयी 81. सुभद्रा पूर्वज 82. विष्णु 83. भीष्ममुक्ति प्रदायक 84. जगद्गुरू 85. जगन्नाथ 86. वॆणुनाद विशारद 87. वृषभासुर विध्वंसि 88. बाणासुर करान्तकृत 89. युधिष्ठिर प्रतिष्ठात्रे 90. बर्हिबर्हावतंसक 91. पार्थसारथी 92. अव्यक्त 93. गीतामृत महोदधी 94. कालीयफणिमाणिक्य रञ्जित श्रीपदाम्बुज 95. दामॊदर 96. यज्ञभोक्त 97. दानवॆन्द्र विनाशक 98. नारायण 99. परब्रह्म 100. पन्नगाशन वाहन 101. जलक्रीडा समासक्त गॊपीवस्त्रापहाराक 102. पुण्य श्लॊक 103. तीर्थकरा 104. वॆदवॆद्या 105. दयानिधि 106. सर्वभूतात्मका 107. सर्वग्रहरुपी 108. परात्पराय।
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