अंजोर.रायपुर। प्राचीन काल ले ही जिहां-जिहां आबादी बसथे उहां परंपरागत ढंग ले जलस्रोत के साधन के रूप म तालाब के निर्माण करे जात हावय। निस्तारी अउ सिंचाई के साधन के रूप म आज तको तालाब के महत्ता बरकरार हावय। आधुनिक दौर म जलस्रोत के उन्नत रूप म बोरिंग अउ नलकूप के मौजूदगी के बावजूद तालाब के महत्व कम नी होए हावय। वर्षा जल के संचय अउ भू-गर्भीय जलस्रोत ल रिचार्ज करे म बहुत उपयोगी हाबे।
परंपरागत जलस्रोत के संरक्षण अउ संवर्धन के खातिर अनेक ग्राम पंचायत सजगता ले काम करत हाबे। मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) ले गांव ल येमा गजब मदद मिलत हावय। कोरिया जिला के सुदूर विकासखण्ड भरतपुर के कंजिया म गांव के प्राचीन तालाब के मनरेगा के तहत गहरीकरण कराये गे हावय। जिहां तालाब ल पुनर्जीवन मिलिस, उहे अनेक ग्रामीण ल सीधा रोजगार तको मिलिस। तालाब के गहरीकरण के बाद ले ओमा मछली पालन तको सुरू होगे। येकर ले ग्राम पंचायत ल आमदनी होवत हाबे।
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