अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस एक चोचला ले अऊ कुछू नोहय, मजूदर के दशा अउ दिशा जस के तस

अंजोर
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अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस विशेष। 1 मई के दिन ल दुनियाभर म अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप मनाया जाथे। केऊ देश म ये दिन मजदूर मनके छुट्टी तको रिथे। मजदूर संघ, मजदूर नेता मन ये दिन बड़का-बड़का आयोजन करथे, अपन एकता अउ ताकत देखाथे। फेर अतका दिन बाद भी भारत म मजदूर मनके दशा अउ दिशा म कोनो क्रांतिकारी बदलाव देखे बर नइ मिले हावय। येकर बड़का कारण अशिक्षा अउ गरीबी ले जादा जाति बेवस्था हावय, कुछ लोगन ह एक वर्ग ल मजदूर के नजर ले देखथे। अऊ उहें कुछ जाति के लोगन मन अपन आप ल बड़का बताये खातिर अपन वर्ग विशेष ले होए के सेती सम्मानजनक बुता पाथे। जेन मजदूर मन संगठित हावय, कारखाना म काम करथे ओमन तो युनियन के मदद ले अपन हक ल जानथे। लेकिन कतकोन अइसे मजदूर हावय जेकर कोनो सुनइया नइये। कोनो संघ अउ युनियन ओकर मदद करे बर आगू नइ आये। मजदूर मनके मजबूरी तको हावय, अपन अउ परिवार के पेट पालना हावय, मालिक के लात ल तको सहिथे।

लोकतांत्रिक देश म भारत म ये संदर्भ म केऊ ठी नियम अउ कानून बने हावय तभो ले मजदूर मनके दशा नइ बदलत हावय। ये बीच अशिक्षा ल एक बड़े कारण के साथ ही गरीबी ल शिक्षा के रसता म बड़का अडंगा माने जाथे। गरीब के लइका के उपर नानपन ले घर परिवार के जिम्मेदारी आ जथे। स्कूल जावे के पेट पोसे खातिर परिवार के मदद करय। आज देश म बड़हर मनके बीच शिक्षा पाना ओतका सहज नइये, शिक्षा तको गजब महंगी होगे हावय। सरकार भले किथे के नि:शुल्क  शिक्षा के अधिकार हावय फेर का ओ शिक्षा म गुणवत्ता हावय के गरीब के लइका गांव के सरकारी स्कूल म पढ़के बड़े घर के लइका जेन परावेट म पढ़थे तेकर मुकाबला करे सकही। शिक्षा के अधिकार अधिनियम निजी स्कूल म तको पढ़ाये के अधिकारी देथे फेर ये शहर या जिहा निजी स्कूल हावय उंहा तो बने हे फेर जिहां निजी स्कूल के बेवस्थां नइये उहां सरकार के जिम्मेदारी बनथे के सरकारी स्कूल ल प्राइवेट स्कू्ल ले तको पोट्ठ बनाये ताकी मजदूर के लइका मजूदर बने के परंपरा ह टूटय। 

बाबा साहेब जेन आधिकार के बात केहे रिहिन ओतो बेरा के संगे-संग सरकार ह आखर म खेल करके आरक्षण ल खतम करे के उदीम म रमे हावय। जेन शिक्षा ल बाबा साहेब हथियार मानत रिहिन अब के सरकार पूंजीपति मनके इशारा म मजदूर वर्ग ल अऊ गरीबी, अशिक्षा के दलदल म ढकेलत हावय। विश्व म आज भारत अइसे देश बनगे हावय जिहा कानून तो बिकट अकन हावय, अऊ ओ कानून के कड़ाई ले पालन होही तव तो भारत के दुनिया म देखनी हो जही। फेर भारतवासी मनके बदकिस्मती केहे जाए के कोनो भी नियम-कानून या योजना ल अंतिम लाभार्थी तक पहुंचे म सालों लग जथे। एक पइत केन्द्र सरकार कोति ले बड़का नेता कोति ले बड़े बात केहे गे रिहिस के रूपिया म चरन्नी पाथे लाभार्थी मन। अतका बड़े बात ल स्वीकार करने वाला आदमी ह मजदूर मनके जीवन स्तर ल ऊंचा उठाये खातिर बड़ उदीम करिन फेर जेन इहां के जनता के मन बइठा दे हावय के मजदूर के लइका मजदूर अऊ ए बात ल बार-बार याद दिलाने वाला शोषक समाज बाधा बने हावय। अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस या मजूदर दिवस मनाना सरकारी तंत्र अउ गरकट्टा मालिक मन बर चोचला ले बड़े कुछ अऊ नोहय, मजदूर मनके दशा अउ दिशा जस के तक हावय। आर्थिक असमानता के खाई दिनदिन बाड़त हावय। 

सरकार मजदूर कनके अधिकार अउ हक के बात करथे फेर लागू नइ करे काबर के ओमन ल तो अपन हरेक बुता करे बर मजदूर मनके जरूरत परही। बाल मजदूर के पोट्ठ नियम हावय छोटे लइका मन ले काम नइ लेना हावय, तभो होटल मोटल म लइका मन बुता करत दिखथे। महिला मनले जादा काम अउ भारी काम नइ लेते हावय, तभो ले ओ मनले काम ले जात हावय। केहे के मतलब कानून बनाये ले कहीं जादा उंकर कड़ाई ले पालन करना सुनिश्चत होना चाही। नेता मनके बड़े-बड़े भाषणबाजी ल सुने ले अइसे लागथे मनो आभिच बनिहार मन दाऊ दरोगा हो जही। दरोगी के दिन म तको अतका बनिहार मनके दूरदसा नइ रिहिस जेन आज के ठेकादारी म देखे बर मिलथे। येमन किथे आन अउ करथे आन, मजदूर के दशा अउ दिशा कोनो एक दिन के चोचला बाजी ले नइ दूरिहावय बल्कि अपन अधिकार ल मांगे अउ नंगाये के बखत आए हाबे, अऊ ये खातिर मजदूर मनला एक होए ल परही।

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