मनरेगा ले बुडरा नरवा के मिलिस नवा जीवन, खरीफ के संग अब रबी फसल खातिर मिलही पानी

अंजोर
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अंजोर.कोंडागांव, 22 जुलाई। जल-संचय अउ जल-स्रोत के संरक्षण-संवर्धन के खातिर मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के माध्यम ले होत बुता ले खेती-किसानी के मजबूती मिलत हावय। इंकर जरिए सिंचाई सुविधा के विस्तार ले किसान मन के आजीविका मजबूत होत हावय। कोंडागांव म बुडरा नरवा के उपचार ले 25 किसान मन ल खरीफ के संग रबी फसल खातिर तको पानी मिलही। पहिली बमुश्किल सितम्बर महीना तक बहत नरवा के ड्रेनेज ट्रीटमेंट अउ कैचमेंट एरिया ट्रीटमेंट के बाद अब ये फरवरी महीना तक बहत रिही। पंचायत डहर ले बुडरा नरवा के पुनर्जीवन के खातिर करे योजनाबद्ध बुता ह किसान मन के खुशहाली अउ समृद्धि के रद्दा खोल दीस।

कोंडागांव जिला के माकड़ी विकासखंड मुख्यालय ले पांच किलोमीटर दूर गांव पंचायत पीढ़ापाल हावय, जिहां ले होकर ये बुडरा नरवा बहथे। नजदीक के राकसबेड़ा गांव के घना जंगल ले निकले ये नरवा पीढ़ापाल पंचायत के सीमा ले होके करीब पांच किलोमीटर के यात्रा करत नारंगी नदी म जाके मिल जाथे। मनरेगा के माध्यम ले नरवा उपचार के बाद कभू सितम्बर तक सूखइया नरवा म अब बरसात के बाद पांच महीना तक पानी भराय हाबे। बुडरा नरवा के कायापलट म पीढ़ापाल पंचायत के डेढ़ साल के मेहनत लगे हावय। उहां नरवा उपचार के तहत नरवा के भीतर अउ उंकर सतह क्षेत्र (कैचमेंट एरिया) म जल संरक्षण अउ जल संवर्धन के कई बुता करे गे हावय, जेकर ले खरीफ अउ रबी दुनों मौसम म आसपास के खेत म हरियाली आही।

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