छत्तीसगढ़ म तीजा परब (Teeja festival in Chhattisgarh) -
छत्तीसगढ़ म तीजा परब ल भादो के अंजोरी पाख के तीज के मनाये जाथे। बेटी-माई मनला ससुराल ले तीजा लाने खातिर मायके ले भाई, भतीजा, पिता उक मन जाथे। नवा मनला तीजा खातिर हरेली (Hareli Festival) के बाद लिवाये ल जाथे अऊ आन मनला राखी (Rakshabandhan) या पोरा के बाद लिवाये के परंपरा लोक म प्रचलित हावय।
तीजा परब छत्तीसगढ़ म महिला मन मायके म आके मनाथे। भादो के दूज के रात के महिला मन मायके पक्ष के रिश्तेदार के घर ‘करू भात’ खाये ल जाथे। उपास वाली मनला करेला साग के भात खवाथे काबर के करेला (Bitter gourd Vegetable) करू होथे इही सेती येकर ‘करू भात’ नाव प्रचलन म आये होही।
तीज के महिला मन दिन ले रातभर तक उपवास रिथे। 36 घंटा के ये सबसे लंबा समय के कठिन उपास आए। तीजा ल मइके म विधवा औरत मन तको रखथे। जेकर पहिली तीजा उपास रिथे तेकर बर आन नेंग-जोग के बेवस्था करे रिथे। ये दिन महिला मन निर्जला उपास रिथे अउ रात के जागरण करत महादेव अउ माता पार्वती के पूजा अर्चना करथे।
ग्राम्य संस्कृति म महादेव-पार्वती के पूजा प्रतिकात्मक रूप ले गौरा-गौरी के रूप म होथे। सबो धार्मिक अनुष्ठान, मांगलिक आयोजन आदि म माटी के या गोबर के गौरा-गौरी बनाये जाथे। अइसने तीजा के मउका म महादेव अउ पार्वती के पूजा मंदिर आदि म नी करके महिला मन अपन-अपन घर म माटी के शिवलिंग बनाके करथे।
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