अंजोर.रायपुर,17 मार्च। होली यानि रंग अउ नाना रकम ले के पकवान के ए तिहार के बखत खान-पान म बिसेस सावधानी बरते के जरूरत हावय। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति म उमंग अउ उत्साह के मौसम बसंत ऋतु म मनाए जाये वाला होली परब ल आरोग्य के खातिर जरूरी परब माने गे हावय काबर के ए तिहार म मन ईर्ष्या, द्वेष, शत्रुता, क्रोध जइसे मानसिक अवगुन ले मुक्त होके मगन रहना जेन शारीरिक अउ मानसिक स्वास्थ्य के खातिर जरूरी हावय।
डॉ. शुक्ला ह बताइन के टेसू सहित केऊ वनस्पति जेकर ले प्राकृतिक रंग अउ गुलाल बनाये हावय, ओमा दवई गुण तको होवत हावयं। सेती ये त्वचा अउ आँखी के खातिर सुरक्षित होए के संग ही चर्म रोग म तको गुणकारी होवत हावयं। आजकल एरोमा थेरेपी यानि सुगंध ले इलाज तको प्रचलन म हावय इही सेती सुगंध युक्त रंग-गुलाल ले मन प्रसन्नचित्त होत हावय जेकर ले होली के उमंग दोगुना हो जात हावय। येकर अलावा मेहंदी अउ नीम के पत्ति, गुड़हल, गेंदा, गुलाब, हरसिंगार फूल अउ नील पौधा मन के फल्लीह के उबालकर रंग अउ गुलाल बनाये जाथे। होली म हमन ल प्राकृतिक रंग अउ गुलाल के ही उपयोग करना चाही।
होली अउ ग्रीष्म ऋतु म छाछ, नीबू, आंवला, बेल, खस के शरबत अउ गन्ना रस के उपयोग
होली अउ ग्रीष्म ऋतु म छाछ, नीबू, आंवला, बेल, खस के शरबत अउ गन्ना रस के उपयोग करना चाही। फेर बाजार म बिकने वाला ये पेय पदार्थ के सेवन ले परहेज करे चाही काबर के साफ-सफाई के अभाव म केऊ रोग के संक्रमण के खतरा हो सकत हावय। ए समय अंगूर, संतरा, मौसंबी, तरबूज अउ खरबूज जइसे रसीला अउ पानीदार फल के सेवन करना चाही जेन शरीर के निर्जलीकरण ले बचाथे। लोगन ल आसन्न गर्मी के लिहाज ले होली त्योहार म जादा वसायुक्त खाद्य पदार्थ, गरिष्ठ भोजन, मांसाहार, भांग, मादक पदार्थ अउ दारू के सेवन ले बचना चाही, नहिते केऊ रोग के खतरा बढ़ सकत हावय जेन रंग म भंग डाल सकत हावय।
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