अंजोर.रायपुर। देस म अब सबो कोति आने बरेरा चलत हाबे। गरीबी, बेराजगारी, इलाज, बीमारी, पढ़ई ले बड़का सवाल धरम के होवत हाबे। मनखे मन अब अपन-अपन भगवान बर जुझत हाबे। कोनो न राम चाही त कोनो ल रहिम। रोटी, कपड़ा अउ मकान कोनो ल नइ चाही।
इंकर मनके चिहुर म जेन ल सिरतोन म रोटी, कपड़ा अउ मकान चाही उंकर आरो थोरको नइ सुनावे। अभी तातेतत म यूपी के ज्ञानवापी मस्जिद म शिवलिंग मिले के सोर उड़त हाबे। लोगन मन ल आने-आने तरह ले सोशल मीडिया म शिवलिंग के आकार अउ इतिहास के बारे म बताके भरमाये के उदीम होवत हाबे, जबकि सच ल कोनो नी तोपे सके।
अभी ये मामला ह कोर्ट म हाबे तेन पाके कोनो के पै उघारे के बेरा नइये। जब फइसला आही त सबो गम पा जही। ज्ञानवापी मस्जिबद मामला म सोशल मीडिया म रार मचे हाबे। कतकोन के कहना हाबे के ये कोनो शिवलिंग नोहय। ज्ञानवापी मस्जिाद म हौज़ के अंदर टूटे फ़व्वारा रखये हाबे। का वो सिरतोन म टूटे फ़व्वारा आए या शिवलिंग ल फ़व्वारा बताये जात हाबे, जांच के बादे बता चल पाही।
ये बीच लोगन ल फोकट चिहुर मचाये ले पहिली मनखे-मनखे एक समान के जाप करना चाही, जेन हमर बाबा गुरूघासी दास जी कहे हाबे। मनखे मन भगवान बर काबर संसो करथे, जबकि हमी मन किथन तैतिस कोटी देवी देवता हमर रक्षा करत हाबे। त का भगवान अपन भल ल नइ जानही। मनखे ल तो मनेख के दुख-पीरा के संसों करना चाही, तभे मानुस तन के उबार होही।
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