बस्तर। अपन परम्परा अउ रिवाज़ खातिर बस्तर विश्वभर म परसिध हावय। आदिवासी संस्कृति म जिहां प्रकृति ले जुड़ाव दिखत हावय उहें उंकर संस्कृति म सृजनशीलता अउ सौंदर्यबोध के मौलिकता तको हावय। गोदना कला तको इही म ले एक हावय। गोदना आर्ट बस्तर के परम्परा अउ लोकजीवन के एक जरूरी हिस्सा हावय। अइसे मान्यता हावय के गोदना मृत्यु के बाद अपन पूर्वज ले संपर्क के माध्यम हावय। आधुनिकीकरण के तेजी ले बदलते समय म बस्तर के पारंपरिक कला के बचाए रखे के उद्देश्य ले मुख्यमंत्री बघेल डहर ले बस्तर के आसना म बस्तर एकेडमी ऑफ डांस, आर्ट एंड लेंग्वेज (बादल) के स्थापना तको करे गे हावय, जिहां बस्तर के गोदना कला के संरक्षित करे अउ स्थानीय युवा मन के गोदना के नवा उभरते ट्रेंड्स ले परिचित, प्रशिक्षित करे के खातिर बादल म गोदना कला म प्रदेस के पहिली अउ अनूठा आयोजन होइस।
आदिवासी संस्कृति म जिहां प्रकृति ले जुड़ाव
जिला प्रशासन ह 20 मई ले 6 जून तक आसना बादल एकेडमी म गोदना आर्ट वर्कशॉप के आयोजन करिन, जिहां पेशेवर गोदना विशेषज्ञ डहर ले बस्तर के युवा मन के प्रशिक्षण दिस। वर्कशॉप म बस्तर के अलग-अलग ब्लॉक ले आके युवक-युवती ह गोदना के प्रशिक्षण के संग ही गोदना आर्ट के बारीकी अउ विश्व म उभरत गोदना के ट्रेंड्स म जानकारी लिस। वर्कशॉप म बस्तर के परंपरागत गोदना आर्ट के सांस्कृतिक स्वरूप के बनाए रखत होए ओला आधुनिक तरीका ले बनाये के कला विशेषज्ञ ह बस्तर के युवा मनला सिखाइस। बादल म आयोजित गोदना आर्ट वर्कशॉप म स्थानीय लोगन ह तको उत्साहपूर्वक हिस्सा लिस। वर्कशॉप म 400 ले तको जादा लोगन ह पारंपरिक गोदना आर्ट बनवाया। ए वर्कशॉप म विशेषज्ञ अउ भाग लेवइया मन के प्रोत्साहित करे के खातिर कलेक्टर रजत बंसल ह तको पारंपरिक गोदना करवाइस।
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