मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अगुवई म आदिवासी संस्कृति अउ सभ्यता ल मिलिस अंतर्राष्ट्रीय पहचान

अंजोर
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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अगुवई म आदिवासी संस्कृति अउ सभ्यता ल मिलिस अंतर्राष्ट्रीय पहचान

अंजोर.रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अगुवई म छत्तीसगढ़ के आदिवासी संस्कृति अउ सभ्यता के अंतर्राष्ट्रीय स्तर म पहचान मिलत हावय। इही कड़ी म राज्य म तीसरा बार आदिवासी नृत्य महोत्सव के आयोजन करे जात हावय। मुख्यमंत्री बघेल के अगुवई म इंटरनेशनल ट्राइबल डांस फेस्टिवल के रूप म एक बहुत जरूरी परंपरा के शुरुआत छत्तीसगढ़ म करे हावय। ये प्रयास न केवल छत्तीसगढ़ बर नही, बल्कि देश अउ पूरा दुनिया के जन-जातीय समुदाय ल आपसी मेलजोल, कला-संस्कृति के आदान-प्रदान के खातिर गजब जरूरी सिद्ध साबित होवत हाबे।

09 देश के जनजाति कलाकार होही शामिल



ए आयोजन म भारत के सबो राज्य अउ केंद्र शासित प्रदेस मन के जनजाति कलाकार मन के टीम के संग 09 देश के जनजाति कलाकार मन के टीम तको सामिल होही। ए साल ये आयोजन 01 नवंबर ले सुरू होवत हाबे। ये छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना के तारीख तको हावय। रायपुर म राष्ट्रीय जनजाति नृत्य महोत्सव के आयोजन तीन दिन तक करे जाही। ए आयोजन म 1500 जनजाति कलाकार सामिल होही। एमे ले 1400 कलाकार भारत के सबो राज्य अउ केंद्र शासित प्रदेस मन के हावयं, अउ 100 कलाकार बिदेस के होही।



अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के ये तीसरा आयोजन हावय। पाछु साल ए आयोजन म 12 देश ह रुचि ले रिहिस, जेमे ले 07 ह एमे हिस्सा ले रिहिस। ए साल 26 देश ह रुचि प्रदर्शित करे हावय, एमे ले 09 देश ए महोत्सव म सामिल होत हावयं। ए आयोजन म मोजांबिक, मंगोलिया, टोंगो, रशिया, इंडोनेशिया, मालदीव, सर्बिया, न्यूजीलैंड अउ इजिप्ट के जनजाति कलाकार हिस्सा लेही।

इंटरनेशनल ट्राइबल डांस फेस्टिवल पुरस्कार

इंटरनेशनल ट्राइबल डांस फेस्टिवल म दू कैटेगिरी म प्रतियोगिता होही। विजेता मन ल कुल 20 लाख रूपिया के पुरस्कार के बाटे करे जाही। पहिली ठऊर  के खातिर 05 लाख रुपए, दूसरइया ठऊर  के खातिर 03 लाख रूपिया अउ तीसरा ठऊर  के खातिर 02 लाख रूपिया के पुरस्कार दे जाही। 01 नवंबर के बिहनिया नृत्य महोत्सव के सुरू होही अउ संझा के राज्योत्सव के मउका म राज्य अलंकरण दे जाही।

03 नवंबर के नेशनल ट्राइबल डांस फेस्टिवल के समापन होही। ए महोत्सव के माध्यम ले न केवल राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर म जनजाति कलाकार मन के बीच उंकर कला के साझेदारी होही, बल्कि वो एक-दूसर के खान-पान, रीति-रिवाज, शिल्प-शैली के तको देख-समझ सकही। महोत्सव के बखत संगोष्ठी तको होही, जेमे जनजाति विकास के बारे म विमर्श होही। जाने-माने विशेषज्ञ तको एमे सामिल होही।

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