चल किंजर आबो : तुरतुरिया-गिरौदपुरी |
ए साल शीतकालीन छुट्टी म 23 दिसंबर के हमन ल इसकुल के 50 झन लइका संग तुरतुरिया धाम के यात्रा करे के सौभाग्य मिलिस। बिहनिया आठ बजे हमन बस म बइठ के रवाना होएन। महासमुंद, तुमगांव अउ सिरपुर होवत हमर बस ह लगभग 12 बजे तुरतुरिया पहुँचिस।
...तुरतुरिया पहुँच के सबले पहिली हमन पेटपूजा करेन। ओखर बाद वाल्मीकि आश्रम दर्शन करे बर पहुँचेन। इहाँ वाल्मीकि ऋषि अउ लव-कुश के मूर्ति बने हे।
तुरतुर-तुरतुर के आवाज आना अउ तुरतुर-तुरतुर बोहाय के सेती नाँव परिस तुरतुरिया। बलभद्री नरवा ह पहाड़ी के बीच ले सुरंग ले होवत पातर धार के रूप म बोहाथे तौ तुरतुर-तुरतुर के आवाज होथे। एखर मुँह ल गोमुख के आकार दे दे गे हे। गोमुख ले पानी एक कुंड म गिरथे।
खैर! हमन तो छेरछेरा पुन्नी के दू हप्ता पहिली पहुँचे रेहेन।
बालन नदी ल नाहकबे तौ आगू एक ठन पहाड़ी म देवी के मंदिर हे। मैं तो अपन माड़ी के तकलीफ के सेती पहाड़ी म नइ चढ़ पाएँव। हमर संगवारी अउ लइका मन चढ़िन। ऊहाँ फोटोग्राफर मन के जम के कमई होथे। वोमन फोटो खींच के तुरते प्रिंट निकाल के देथे। ये यात्रा म सबले जादा समय उही पहाड़ी म लगिस।
साढ़े तीन बजे हमन तुरतुरिया ले वापिस होगेन। हमर ये यात्रा म दू ठी पड़ाव म संघरे के योजना रिहिस। अगला पड़ाव रिहिस गिरौदपुरी के कुतुबमीनार ले ऊँच जैतखाम। फेर समय ल देख के जाना हे के नइ जाना हे ये बात लेके बहुत बहस होइस। लइका मन तो जायच के बात करिन। बहुत अगुन-छगुन के बाद गिरौदपुरी घलो जाना तय होगे। ड्राइवर ह बस के मुँह ल गिरौदपुरी के सड़क म मोड़ दिस।
...कुतुबमीनार ले ऊँच जैतखाम ल तीर म जा के देखे के साध पूरा होइस। देर संझौती लगभग 6 बजे हमन घर बर वापसी करेंन।
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