अंजोर.रायपुर। इजराइल के अत्याधुनिक सूक्ष्म सिंचाई योजना के उपयोग छत्तीसगढ़ के किसान तको करत हावयं। राज्य म ड्रिप, अउ स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति सरलग लोकप्रिय होत हावय। छत्तीसगढ़ सरकार डहर ले ए नवा पद्वति के किसान मन के अपनाये के खातिर अनुदान तको दे जात हावय। ए नवा तकनीक ले उद्यानिकी फसल मनके खेती के खातिर सिंचाई के खातिर कम पानी के जरूरत होवत हावय। संग ही भरपूर उत्पादन तको मिलत हावय।
छत्तीसगढ़़ म किसान मन के सूक्ष्म सिंचाई योजना के अपनाये के खातिर भरपूर प्रोत्साहन दे जात हावय। उद्यानिकी विभाग के ए योजना ले राज्य म 95,159 किसान मन के येकर फायदा दे जा चुके हावय। योजना म लघु अउ सीमांत किसान मन के 55 परतिसत अउ आन किसान मन के 45 परतिसत अनुदान दे जात हावय। राज्य म उद्यानिकी फसल मन के ले लगभग 1,14,614 हेक्टेयर म ड्रिप अउ स्प्रिंकलर पद्धति के माध्यम ले सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराइन जाथे जेन के उद्यानिकी फसल मन के कुल रकबा 8,34,311 हेक्टेयर के 13.73 परतिसत हावय।
छत्तीसगढ़ म राज्य सरकार डहर ले संचालित सूक्ष्म सिंचाई योजना, उद्यानिकी के खेती करे वाला किसान मन के खातिर बरदान साबित हो रेहे हावय। ए योजना के तहत टपक सिंचाई (ड्रिप इर्रीगेशन) अउ फव्वारा (स्प्रिंकलर) ले सिंचाई के जात हावय। ए सिंचाई पद्धति ले एक तनि जिहां एक-एक बूंद पानी के उपयोग होवत हाबे उहें कम पानी म जादा रकबे म सिंचाई के जा सकत हावय। किसान मन के भरपूर फायदा तको होवत हाबे।
सूक्ष्म सिंचाई योजना ले पौधा तक तुरन्त पानी पहुंचता हावय अउ रिसाव न होए के सेती खरपतवार तको कम निकलते हावय। ए पद्धति ले फसल मन के उत्पादन म जादा बड़वार होवत हावय। सबले खास बात येकर ये हावय के ये पद्धति ऊँची-नीची भूमि म तको कारगर साबित होवत हावय। ड्रिप के माध्यम ले फसल मन के खातु कीटनाशक दवा बड़े आसानी ले दीस जा सकत हावय। ए पद्धति ले सिंचाई म होए वाला श्रम के तको बचत होवत हावय।
ये पद्धति प्रीसिजन एग्रीकल्चर के जबर उदाहरण हावय। एमे अधिकतम उपज के खातिर सही समय म सटीक अउ अकन म जल, खातु, कीटनाशक उक इनपुट के उपयोग करे जाथे। येकर ले फसल मन के प्रबंधन म आसानी, श्रम के बचत होवत हावय अउ उत्पादकता म बड़वार होवत हावय।
टपक सिंचाई पद्धति के अपनाकर समृद्ध होइस महासमुंद जिला के गांव अमलोर के किसान लीलाधर यदु बतात हावयं के उंकर पास 0.80 हेक्टेयर भूमि हावय। लगभग 4-5 साल पहिली बिना ड्रिप संयंत्र के सब्जी के खेती करत रिहिस, जेमा मजदूरी अउ खाद-दवाई के लागत बहुत जादा आवे अउ पानी के खपत तको जादा होवत रिहिस, पानी अउ खाद-दवाई के समुचित उपयोग नइ हो पाता रिहिस, फेर साल 2021-22 म ड्रिप सिंचाई के पद्धति के पहिली बार सब्जी के खेती म अपनाया। ए पद्धति ले सिंचाई के बाद खाद-दवाई अउ पानी के समुचित उपयोग हो सका अउ खरचा म काफी कमी आयी। मजदूरी लागत तको कम होइस हावय, जेकर ले आमदनी बढ़ोत्तरी होइस। यदु ह बताइन के अभी के बेरा म बैंगन के फसल के अच्छा उत्पादन होवत हाबे, जेला स्थानीय बाजार म अच्छा कीमत मिल रेहे हावय। अच्छा आमदनी हो रेहे हावय, ओला बैंगन के खेती ले 95,700 के फायदा मिलत हावय।
कोरबा जिला के गांव बेंद्रककोना किसान पटेल के कहना हावय के साल 2016-17 म 1.50 एकड़ म ड्रिप ले मल्चिंग म करेला, बरबट्टी, लौकी उकका उत्पादन लिस जेकर ले मोला फायदा होइस रिहिस। बिते साल स्वयं के व्यय ले 1.50 एकड़ म फेर ड्रिप लगाके करेला, बरबट्टी, लौकी, तरोइ, खीरा उक के उत्पादन लिस, जेकर ले ओला बहुत जादा फायदा होइस। उत्पादित फसल के बेचे करके 6 लाख के आय के आमदनी होए हावय। अभी के बेरा म 3 एकड़ म सब्जी के फसल लिस जा रेहे हावय। जेकर ले ओला हरेक साल 3-4 लाख रूपिया शुद्ध वार्षिक आय मिलत हावय।
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