अलसी के खेती के खातिर आगू आवय किसान : कृषि उत्पादन आयुक्त

अंजोर
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अलसी के खेती के खातिर आगू आवय किसान : कृषि उत्पादन आयुक्त


अंजोर.रायपुर। छत्तीसगढ़ के कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह ह किहिन के अलसी फसल के उपयोगिता, महत्व, कम लागत अउ जादा मुनाफा ल देखत छत्तीसगढ़ सरकार राज्य म येकर उत्पादन ल बढ़ावा देत हावय अउ किसान मन के अलसी के खेती के खातिर प्रेरित करत हावय। ओमन किहिन के अलसी एक बहुउपयोगी फसल हावय, जेकर ले तेल, कपड़ा अउ आन कई जिनिस बने करे जात हावयं। कृषि उत्पादन आयुक्त ह किहिन के ये फसल मौसम के प्रतिकूलता के सहन करे म सक्षम हावय अउ कम पानी अउ अल्प संसाधन म तको अच्छा उपज देत हावय।

डॉ. सिंह ह किसान मन ले अलसी के खेती के खातिर आगू आने के आव्हान करिन। ओमन कृषि वैज्ञानिक ले अलसी के जादा उपज दे वाला डुअल परपस नवा किस्में विकसित करे के अरजी करिन। कृषि उत्पादन आयुक्त आज इहां इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय म अखिल भारतीय समन्वित अलसी अनुसंधान परियोजना के ले आयोजित एक दिवसीय राज्य स्तरीय किसानसंगोष्ठी के संबोधित करके रिहिन रिहिस। समारोह के अध्यक्षता इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ह करिस। ए संगोष्ठी के आयोजन कृषि विज्ञान केन्द्र रायपुर, कोण्डागांव, मैनपाट अउ बेमेतरा के सहयोग ले करे गिस।

कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. सिंह ह किहिन के अलसी के उपयोगिता अउ गुणों के सेती पाछु कुछ साल म येकर उपयोग म इजाफा होइस हावय। भारत सरकार डहर ले एला अखाद्य तेल के रूप म चिन्हित करे के सेती अलसी के तेल के उपयोग पेन्ट अउ वार्निश उद्योग म बड़े पैमाने म करे जाथे। एमे प्रचुर अकन म ओमेगा-3 फैटी ऐसिड होए के सेती आज-कल येकर उपयोग हिरदे रोग के रोक-थाम के खातिर तको करे जात हावय। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डहर ले अलसी के डंठलों ले लिनेन कपड़ा तइयार करे के तकनीक विकसित के गे हावय, जेकर ले येकर दोहरा उपयोग होवत हाबे। ओमन किसानसंगोष्ठी म उपस्थित किसान मन ले किहिन के वो अलसी के गुणों अउ महत्ता अउ येकर ले होए वाला आय के देखत होइस अलसी के खेती के आगू आएं अउ आन किसान मन के तको प्रेरित करें।

ए मउका म इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ह किहिन के छत्तीसगढ़ म काफी लम्बे समय ले अलसी के तेल के उपयोग करिन जात रिहिन हावय अउ इहां के किसान अलसी के फसल के प्रमुखता के संग उगाते रिहिन हावयं। ओमन किहिन के देश के कुल अलसी उत्पादन के लगभग 10 परतिसत उत्पादन अउ रकबा छत्तीसगढ़ म हावय। ओमन किहिन के देश भर म अलसी बीजों के जरूरत  के 40 परतिसत हिस्सा के आपूर्ति छत्तीसगढ़ करके रिहिन हावय। डॉ. चंदेल ह किहिन के अलसी ले तेल के अलावा कपड़ा, मुखवास, लड्डू, चटनी अउ आन कई जिनिस बने करे जा रिहिन हावयं।

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के ले संचालित कृषि महाविद्यालय, बेमेतरा डहर ले अलसी के डंठलों ले लिनेन कपड़ा बने करे के तकनीक विकसित के गे हावय, जेकर प्रशिक्षण उहां के किसानसमूह अउ स्व-सहायता समूह के तको दे जात हावय। ओमन किहिन के आने-आने कृषि विज्ञान केन्द्र डहर ले कृषि समूह अउ स्व-सहायता समूह के अलसी के प्रसंस्करण अउ मूलयसंवर्धन करके आने-आने जिनिस तइयार करे के प्रशिक्षण दे जात हावय। डॉ. चंदेल ह किहिन के कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डहर ले अलसी के खाद्य तेल वाला प्रजातियाँ विकसित करे म अनुसंधान चल हावय।

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