नार्को टेस्ट अब छत्तीसगढ़ म तको, रायपुर एम्स म मिलिस मंजूरी |
अंजोर.रायपुर। प्रदेश के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ह विधानसभा म जानकारी दीस हावय के अब बड़े अपराध म इस्तेमाल करे जाये वाला नार्को टेस्ट के खातिर देश के बड़े राज्य म नंबर नइ लगाना पड़े। नार्को टेस्ट के खातिर छत्तीसगढ़ अब आत्म निर्भर बनगे हावय। राज्य सरकार ह नार्को टेस्ट के खातिर जरूरी औपचारिकता पूरा कर लिस हावय अउ रायपुर एम्स के संग मिलके येकर खातिर जरूरी मशीन तको मंगाये हावयं।
नार्को टेस्ट (Narco Test) क्या है
नार्को टेस्ट में कौन कौन सी दवाई दी जाती है
- सोडियम पेंथोथाल (Sodium Pentothal) - यह एक अस्वस्थ अवस्था उत्पन्न करने वाली दवा होती है जो व्यक्ति को संकोचहीन बना सकती है ताकि उससे सटीक जानकारी प्राप्त की जा सके।
- सोडियम अमीटल (Sodium amytal) - यह भी एक अस्वस्थ अवस्था उत्पन्न करने वाली दवा होती है जो व्यक्ति को संकोचहीन बना सकती है और सटीक जानकारी प्राप्त करने में मदद करती है।
- फेनोबार्बिटल (Phenobarbital) - यह दवा भी व्यक्ति को एक अस्वस्थ अवस्था में लाने में मदद करती है जिससे उससे सही जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
सोडियम पेंथोथाल C11H17N2NaO2 कैसे बनता है
सोडियम पेंथोथाल एक बहुत ही विशिष्ट औषधीय दवा होती है जो एक अंगूठे वाले अंश से निर्मित होती है। इसे लेबोरेटरी में तैयार करने के लिए, पेंथोथाल नामक रासायनिक पदार्थ का उपयोग किया जाता है। यह एक बेंजोडिएजेपीन के परिवार का एक आरामदायक और उपयोगी ट्रांक्विलाइजर होता है।
सोडियम पेंथोथाल तैयार करने की प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों के माध्यम से की जाती है:-
- पेंथोथाल के साथ एक उपयुक्त सोल्वेंट (जैसे एक लोअर-एस्टर) का उपयोग करके उसे तैयार किया जाता है।
- उसमें एक शक्तिशाली और अनुप्रयोगी एसिड का उपयोग किया जाता है, जो उसे सिडिक अवस्था में ले जाने में मदद करता है।
- एक और संयोजक जो सोडियम को आपूर्ति करता है, उसमें जोड़ा जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान, शुद्ध और समर्थक रसायन बनाने के लिए उचित संचालन विधियों का भी ध्यान रखा जाता है।
सोडियम अमीटल NaNH2 कैसे बनता है
सोडियम अमीटल (Sodium amytal) एक बेंजोडिएजेपीन और बारबिटुरेट का मिश्रण है जो उन्हें एक शांतिदायक दवा बनाता है। इसका उपयोग अस्पतालों में संज्ञान में रहता है, जहां यह अस्थायी रूप से लोगों को सोने में मदद करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
सोडियम अमीटल को निम्नलिखित तरीके से बनाया जाता है:-
- सबसे पहले, एमिल फिशर (Emil Fischer) द्वारा खोजी गई अमाइल अल्कोहल से शुरूआत करते हुए, इसे उचित रासायनिक पदार्थों जैसे निट्रोबेंजीन (nitrobenzene) आदि से निट्रोअमाइल अल्कोहल में परिवर्तित किया जाता है।
फेनोबार्बिटल (Phenobarbital) कैसे बनाता है
फेनोबार्बिटल (Phenobarbital) का रासायनिक नाम 5-ethyl-5-phenylbarbituric acid है। इसका रासायनिक सूत्र C₁₂H₁₂N₂O₃ होता है।
फेनोबार्बिटल को बनाने के लिए अधिकतम प्रयोग किये जाने वाले रासायनिक तत्व उत्तेजक और निःश्वसन होते हैं। इसकी संरचना में उपयोग की जाने वाली प्रमुख रासायनिक तत्व बार्बिटुरेट होते हैं।
फेनोबार्बिटल को बनाने के लिए, बार्बिटुरेट औषधि का उत्तेजक तत्व एसिड उपलब्ध कराया जाता है। एक उत्तेजक तत्व के साथ, फेनोबार्बिटल उत्पन्न होने के लिए परमाणुओं को जोड़ा जाता है और इसके बाद समष्टि को शुद्धिकरण प्रक्रिया के द्वारा निर्मित किया जाता है।
नार्को टेस्ट का प्रमुख उपकरण
नार्को टेस्ट में उपयोग किए जाने वाले प्रमुख उपकरणों में शामिल होते हैं:-
युरीन टेस्ट स्ट्रिप: यह उपकरण युरीन में नार्कोटिक द्रव्यों की उपस्थिति को जांचने के लिए उपयोग किया जाता है। यह उपकरण आमतौर पर अस्पतालों और चिकित्सा शिविरों में उपलब्ध होता है।
ब्रेथ टेस्टर: इस उपकरण का उपयोग श्वसन वायु के माध्यम से एल्कोहल और नार्कोटिक द्रव्यों के उपस्थिति की जांच करने के लिए किया जाता है। यह उपकरण रोड सेफ्टी एप्लिकेशन और लॉ के क्षेत्र में उपयोग में आता है।
अपराधी से सच बुलवाने के मनोवैज्ञानिक तरीके
न्यूरोलाइंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग (Neurolinguistic Programming): इस तकनीक में अपराधी को उसकी भावनाओं, विचारों और व्यवहारों को समझने में मदद की जाती है। इसके बाद, उसे उस घटना को जिससे संबंधित सवाल पूछे जा रहे हों, के बारे में सबसे संबंधित स्मृति याद दिलाने की कोशिश की जाती है। यह सवालों के जवाब देने में अपराधी को सहजता देता है।
न्यूरोलाइंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग (Neurolinguistic programming or NLP) एक मनोवैज्ञानिक तकनीक है जिसे सीखकर आप अपने दिमाग को नियंत्रित कर सकते हैं और अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए कुछ खास प्रक्रियाएं निम्नलिखित हैं:
राप्त संवेदनाओं का अध्ययन: इस प्रक्रिया में व्यक्ति के वर्तमान राप्त संवेदनाओं का अध्ययन किया जाता है। यह समझने में मदद करता है कि उनके सोचने का तरीका क्या है और उनके अनुभवों से उन्हें कैसे बचा जा सकता है।
संवेदनाशीलता का उत्पादन: इस प्रक्रिया में, व्यक्ति के अंदर संवेदनाशीलता को उत्पन्न किया जाता है। इसके लिए, व्यक्ति को उन विषयों के बारे में सोचने के लिए कहा जाता है, जिनसे उन्हें संवेदनाशीलता महसूस होती है।
प्रोग्रामिंग के प्रकारों का उपयोग: NLP में व्यक्ति के साथ काम करते समय विभिन्न प्रकार के प्रोग्रामिंग का उपयोग किया जाता है। इन प्रकारों में से कुछ हैं: कल्पना, समझौता, संवेदन आदि।
कोग्निटिव इंटरव्यू (Cognitive Interview): इस तकनीक में अपराधी को उस घटना को जिससे संबंधित सवाल पूछे जा रहे हों, के बारे में विस्तार से बताने के लिए प्रेरित किया जाता है। उसे याद दिलाने की कोशिश की जाती है कि वह घटना कहां हुई थी, कैसे हुई थी, और उसमें कौन शामिल थे। इस तरह से, अपराधी को सही जवाब देने में मदद मिलती है।
कोग्निटिव इंटरव्यू (Cognitive Interview) की कुछ महत्वपूर्ण प्रक्रियाएं निम्नलिखित हैं:
अपराधी के संदर्भ में अधिक संवेदनशील तकनीक: कोग्निटिव इंटरव्यू अधिक उत्तेजनापूर्ण संदर्भ में काम करने के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है। यह अपराधी के संदर्भ में तथा उनके संबंधित अनुभवों तथा स्थितियों से संबंधित होता है।
वर्णनात्मक संवेदनात्मक स्मृति: कोग्निटिव इंटरव्यू के दौरान, अपराधी के द्वारा दी गई जानकारी का विवरण वर्णनात्मक होता है। अपराधी को उन घटनाओं के बारे में पूरा विवरण देने के लिए कहा जाता है।
महत्वपूर्ण विवरण की जांच: कोग्निटिव इंटरव्यू के दौरान अपराधी से प्रश्नों का उत्तर मांगा जाता है। जब अपराधी एक विवरण देते हैं तो उनसे पुनरावृत्ति के माध्यम से इसे महत्वपूर्ण तथ्यों तक पहुंचाया जाता है।
पॉलीग्राफ टेस्ट: पॉलीग्राफ टेस्ट क्राइम सीन के अपराधियों के साथ मनोवैज्ञानिक जांच के दौरान उपयोग किया जाता है। इसमें अपराधी के दिल की गति, संचार प्रणाली, श्वसन तरीके और अन्य शारीरिक प्रतिक्रियाएं मापी जाती हैं।
पॉलीग्राफ टेस्ट का उपयोग अपराधियों की जांच के लिए किया जाता है। इस टेस्ट में, अपराधी को विभिन्न धार्मिक, सामाजिक और वैज्ञानिक सवालों के जवाब देने के लिए प्रेरित किया जाता है। अपराधी को एक समय में कई सवालों के जवाब देने होते हैं जिससे वे स्वयं के विरुद्ध झूठ बोलने के लिए शामिल नहीं हो पाते हैं।
इस टेस्ट की खास प्रक्रियाओं में शामिल हैं:
सोने की जगह और बैठने की तरीके की जांच करना, जिससे अपराधी को आरामदायक महसूस हो सकता है।
अपराधी को पहले से तैयार न किए गए सवालों का जवाब देने के लिए प्रेरित किया जाता है। इससे अपराधी के दिमाग में जवाब बनाने की जरूरत नहीं पड़ती है और वे स्वयं के विरुद्ध झूठ बोलने के लिए शामिल नहीं होते हैं।
अपराधी को अपनी घटनाओं को बताने के लिए संबोधित करने के लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग किया जाता है। इससे वे अपनी याददाश्त में जो विवरण हैं उन्हें सही तरीके से बता सके।
क्या नार्को टेस्ट को भी फेल किया जा सकता है ?
हाँ, नार्को टेस्ट को भी फेल किया जा सकता है। नार्को टेस्ट अपराधी के मन और शरीर के प्रतिक्रियाओं को मापने का एक तरीका होता है, लेकिन इसकी गलतियों और अचूकता की कुछ सीमाएं होती हैं। यह टेस्ट बैकग्राउंड में कुछ स्पष्टताएं देने के लिए महत्वपूर्ण होता है, लेकिन इसे एकमात्र आधार नहीं माना जाना चाहिए।
इसके अलावा, नार्को टेस्ट का प्रयोग व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अधिकारों के खिलाफ समझौता माना जा सकता है, और यह आधिकारिक तौर पर बदला जा सकता है। इसलिए, नार्को टेस्ट को संवैधानिक रूप से संभावित अनुचित बताया जा सकता है।नार्को टेस्ट को कैसे फेल किया जा सकता है
नार्को टेस्ट को फेल करने के लिए अपराधी कुछ तरीके अपना सकते हैं। नीचे दिए गए कुछ तरीकों में से कुछ हैं:
झूठ बोलना: अपराधी नार्को टेस्ट के प्रश्नों का उत्तर देते समय झूठ बोल सकता है। यह उनके पास उत्तर नहीं होने के कारण हो सकता है या फिर वे इसका इस्तेमाल कर रहे हों कि वे नार्को टेस्ट को फेल कर दें।
स्वयं को संयमित रखना: अपराधी नार्को टेस्ट के दौरान स्वयं को संयमित रखकर नार्कोटिक द्रव्यों के उपयोग के बारे में सही जानकारी नहीं देने का प्रयास कर सकता है।
अस्पष्ट या उलझा हुआ जवाब देना: अपराधी नार्को टेस्ट के प्रश्नों का अस्पष्ट या उलझा हुआ जवाब देकर नार्को टेस्ट को फेल कर सकता है। इससे नार्को टेस्ट करने वाले अधिकारी को उससे सही जानकारी प्राप्त करने में मुश्किल होती है।
सबो पाठक ल जोहार..,
हमर बेवसाइट म ठेठ छत्तीसगढ़ी के बजाए रइपुरिहा भासा के उपयोग करे हाबन, जेकर ल आन मन तको हमर भाखा ल आसानी ले समझ सके...
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महतारी भाखा के सम्मान म- पढ़बो, लिखबो, बोलबो अउ बगराबोन छत्तीसगढ़ी।