महान समाज सुधारक अउ शिक्षाविद् स्वामी आत्मानंद छत्तीसगढ़ म मानव सेवा अउ शिक्षा संस्कार के अलख जगाईस। पीड़ित मानवता के सेवा के ओमन सबले बड़ा धर्म बताइन। छत्तीसगढ़ उंकर कर्मभूमि रेहे हावय। स्वामी आत्मानंद ह शहरी अउ आदिवासी क्षेत्र म लइका म संस्कार, युवा मन म सेवा भाव अउ बुजुर्ग म आत्मिक संतोष के संचार करिन। स्वामी विवेकानंद के विचार के तको उन म तको गहरा असर होइस अउ ओमन अपन पूरा जिनगी दीन-दुःखी के सेवा म बिता दीस।
स्वामी आत्मानंद जी सुरता करत प्रदेस के मुखिया ह किहिन के राज्य सरकार ह स्वामी आत्मानंद के पद चिनहा म चलत होइस किसान मन, वनवासी, गरीब मन अउ मजदूर मन के शिक्षा, स्वास्थ्य अउ रोजगार के हर संभव प्रयास करत हावय। अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति क्षेत्र म सामाजिक-आर्थिक उन्नति के खातिर बिसेस धियान दे जात हावय। स्वामी आत्मानंद जी के मानव सेवा के क्षेत्र म करे गे बुता अनुकरणीय अउ प्रेरणास्पद हावय।
स्वामी आत्मानंद जी ह बनवासी के उत्थान के खातिर नारायणपुर आश्रम म उच्च स्तरीय शिक्षा केन्द्र के स्थापना करिस। राज्य सरकार ह येकर ले प्रेरणा लेवत होइस उंकर नाम म स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल सुरू करे हावयं, जेमे हर वर्ग के लइका के अच्छा कक्षा, पुस्तकालय, खेल मैदान सहित अच्छा पढ़ाई के सुविधा दीस जा रेहे हावय। ओमन आदिवासी मन के सम्मान अउ उंकर उपज के वाजिब कीमत देवाये के खातिर अबूझमाड़ प्रकल्प के स्थापना करिस। नारायणपुर म वनवासी सेवा केन्द्र सुरू करके वनवासी के दशा अउ दिशा सुधारे के प्रयास करे। बघेल ह किहिन के स्वामी अत्मानंद जी के आदर्श अउ जिनगी कीमत सदा जनसेवा के खातिर प्रेरित करत रइही।
स्वामी आत्मानंद का जीवन परिचय छत्तीेसगढ़ी में
प्रस्तावना- स्वामी आत्मानन्द रामकृष्ण मिशन के एक सन्त, समाजसुधारक अउ शिक्षाविद रिहिस। ओमन बनवासी मनके उत्थान के खातिर नारायणपुर आश्रम म उच्च स्तरीय शिक्षा केंद्र के स्थापना के अउ रामकृष्ण परमहंस के भावधारा के छत्तीसगढ़ के धरा म साकार करिन। उंकर जनम 6 अक्टूबर 1929 के बरबंदा गांव म होइस। जेन अब छत्तीसगढ़ के रायपुर जिला म हावय। अउ अबूझमाड़ सेवा प्रकल्प के बखत 27 अगस्त 1989 के भोपाल ले रायपुर लौटते समय सड़क हादसा म उंकर निधन हो गे। छत्तीसगढ़ सरकार ह जिला मुख्यालय अउ विकासखंड म 'स्वामी आत्मानन्द स्कूल योजना' के शुरुआत करे हावय जेकर ले गरीब अउ दूरस्थ क्षेत्र के लइका के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के संग आगू बढ़े के सबो ल मउका उपलब्ध हो सकें। इंकर अथक प्रयास ले रायपुर स्थित विवेकानन्द आश्रम के स्थापना करे गिस जेन आज तको हावय। इही आश्रम के वो पहिली सचिव रिहिस।
स्वामी आत्मानंद : प्रारंभिक जीवन-
स्वामी आत्मानन्द के असली नाम तुलेन्द्र वर्मा रिहिस। उंकर जनम 6 अक्टूबर 1929 के बरबंदा गांव म होइस। जेन अब छत्तीसगढ़ के रायपुर जिला म हावय। उंकर महतारी के नाम भाग्यवती देवी अउ पिता के नाम धनीराम वर्मा रिहिस। पाँच भाई अउ एक बहिनी म तुलेन्द्र सबले बड़े रिहिस, जेन बाद म स्वामी आत्मानन्द के नाम ले सुविख्यात होइस। उंकर पिता धनीराम वर्मा रायपुर के तिर मांढर स्कूल म एक अध्यापक रिहिस। अध्यापक के तौर म ओमन उच्च प्रशिक्षण खातिर सपरिवार वर्धा गिसा उहें सेवाग्राम म बालक तुलेन्द्र महात्मा गांधी ले मिलिस। जनम ले ही विलक्षण बालक तुलेन्द्र चार साल के उमर म ही हारमोनियम बजाना अउ भजन गाना सीख गइस, धीरे-धारे बालक तुलेन्द्र महात्मा गांधी के चेहते बनगे।
स्वामी आत्मानंद : शिक्षा-
तुलेन्द्र के परिवार बरबंदा गांव म निवास करत रिहिस। उंकर पिता धनीराम वर्मा बरबंदा ले 6 किमी दूरी म मांढर के पाठशाला म अध्यापक रिहिस। इसी पाठशाला म तुलेन्द्र तको पढ़े जाये करत रिहिस। येकर बाद 1943 म उंकर पिता वापस रायपुर लहुंट आए अउ राम स्टोर नामक दुकान चलाने लगे। येकर बाद तुलेन्द्र ह रायपुर के सेंटपाल स्कूल ले हाई स्कूल के परीक्षा म पहिली ठऊर मिलिस अउ आगू के पढ़ाई के खातिर नागपुर के साईंस कालेज म प्रवेश लिस। काबर के रेहे के हास्टल म जगह नइ रिहिस, तव वोमन रामकृष्ण आश्रम म रेहे लगिस अउ अपन पढ़ाई पूरा करिस। आश्रम म रहत होइस स्वामी विवेकानन्द दरसन ले वो काफी प्रभावित होइस अउ रोज आश्रम के आरती अउ आन बुता म वो बढ़-चढ़के हिस्सा लेवत रिहिन।
इहें ले वैराग्य अउ सेवा के भावना ओमा आइन, धीरे-धीरे स्वामीजी के विचार के अपन निजी जिनगी म तको अपनाये लगिस। एमएससी गणित के परीक्षा पहिली श्रेणी म पास करे के बाद संगवारी के सलाह म वो सिविल सेवा परीक्षा म बइठे अउ पहिली दस म अपन ठऊर बनाया। फेर मानवसेवा अउ वैराग्य के भावना के चलत आईएएस के मुख्य परीक्षा म सामिल नइ होइस अउ दूसरा ही रद्दा धर लिस।
स्वामी आत्मानंद : आध्यात्मिक यात्रा-
स्वामी आत्मानंद के जिनगी म सहजता, संयम अउ सबके प्रति आदर अउ प्रेमभाव स्वाभाविक तौर म मौजूद रिहिस। इही सबो बिसेसता के सेती बालक तुलेन्द्र ब्रह्माचारी तेज चैतन्य होइस फेर स्वामी आत्मानंद होइस। परिक्षा म पूरा सफलता अर्जित कर ले के बाद ओमन गृहत्याग ले के संकल्प ले लिस। भारत के स्वतंत्रता के बाद वो रामकृष्ण मिशन ले जुड़गे। गृहत्याग करके तुलेन्द्र नागपुर के धंतोली के रामकृष्ण मठ म साधू जिनगी अपनाये बर प्रवेश लिस।
1957 म उंकर प्रतिभा ले प्रभावित होके स्वामी शंकरानंद ह ओला ब्रम्हचर्य के दीक्षा दीस। 1877 ले 79 के बीच स्वामी विवेकानन्द रायपुर म रिहिस उंकर ए आगमन के सुरता म रायपुर म स्वामी आत्मानन्द के प्रयास ले अप्रेल 1962 रामकृष्ण आश्रम के स्थापना होइस।
स्वामी विवेकानन्द के विचार के तको स्वामी आत्मानन्द म गहरा असर होइस, जेकर ले ओमन अपन पूरा जिनगी दीन-दुखि मनके सेवा म बिता दीस। मठ अउ आश्रम स्थापित करे के खातिर एकत्र करे गे रकम ओमन अकाल पीडि़त मनके सेवा अउ राहत काम के खातिर खरचा करके दीस। ओमन वनवासी मन के उत्थान के खातिर नारायणपुर आश्रम म उच्च स्तरीय शिक्षा केन्द्र के स्थापना करिस। ओमन आदिवासी मन के सम्मान अउ उंकर उपज के उचित कीमत देवाये के खातिर अबुझमाड़ प्रकल्प के स्थापना करिस। नारायणपुर म वनवासी सेवा केंद्र सुरू करके वनवासी मन के दशा अउ दिशा सुधारे के प्रयास करिस। एक संत म जेन गुण होए चाही वो सबो आत्मानंद म रिहिस।
ओमन नानपन ले ही संस्कार के दीक्षा लिस। जबकि वो आज के रकम ले भौतिक सुख, सुविधा के आनंद मिल सकत रिहिस। स्वामी आन मानव के पीड़ा देखके व्यथित हो जात रिहिस। 1974 म छत्तीसगढ़ म अकाल के स्थिति आई, तब स्वामी ह आश्रम के खातिर एकत्रित रकम के जनमानस के खातिर समर्पित करिन। ओमन अपन साथी के माध्यम ले 'विश्वास' (VISHWAS - Vivekananda Institute of Social Health, Welfare and Service) नामक संस्था के गठन करिन अउ उंकर माध्यम ले नोनी मन अउ महिला मन के तको शिक्षित बनाये के खातिर बुता करिन जाये लगा।
अबूझमाड़ सेवा प्रकल्प के बखत 27 अगस्त 1989 के भोपाल ले रायपुर लौटते समय सड़क हादसा म उंकर निधन हो गे।
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