छत्तीसगढ़ी साहित्य अउ नवाचार : बसंत राघव

अंजोर
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छत्तीसगढ़ी साहित्य अउ नवाचार : बसंत राघव


नवाचार अउ नवप्रवर्तन विचार हर साहित्य के क्षेत्र म करे गे बदलाव ल बताथे। जिहाँ तक छत्तीसगढ़ी गद्य के सवाल हे, छत्तीसगढ़ राज्य बने के पहिली ले नवाचार के कई ठन चिन्हारी हर ए डहर हमन ल देखे ल मिलथे। छत्तीसगढ़ राज्य बने के बाद छत्तीसगढ़ी गद्य म नवाचार के डहर म पहिली ले चले आत आकाशवाणी के दूरदर्शन के उदिम मन संहराए लाइक हें। सन 1950 म नागपुर आकाशवाणी म हमर बरसाती भैया याने कि केसरी प्रसाद बाजपेई हर पहिली छत्तीसगढ़ी उद्घोषक के रूप म अपन काम शुरू करिस। 2 अक्टूबर सन् 1963 ले आकाशवाणी रायपुर के शुरुवात होइस। विमलकुमार पाठक छत्तीसगढ़ी के पहइलांवत उद्घोषक बनिन।फेर पाछू बछर 1964 म रायपुर आकाशवाणी म केशरी बाजपेई बदली होके आ गइन। छत्तीसगढ़ी भाषा म प्रसारण के दायित्व आप ला मिलिस बरसाती भैया के नाव ले मशहूर केशरी बाजपेई हर गुड़ी के गोठ, फूलहेरा अऊ लहरिया कार्यक्रम के माध्यम ले छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक चेतना ला जगाय के उदिम करे लागिस। विमलकुमार पाठक हर सुगंधी भैया के नाव ले अउ केशरी बाजपेई हर बरसाती भैया के नांव ले आपुस  म गोठबात करंय। केशरी बाजपेई हर वीडियो फिल्म पुन्नी के चंदा, मां बम्लेश्वरी अउ पिंजरा के मैना म अभिनय घलो करे रहिन। सन् 1950 के दशक म कोदूराम दलित जी अउ द्वारिका प्रसाद तिवारी 'विप्र' कवि सम्मेलन म जब कंहू जाय त बाहिर के कवि  छत्तीसगढ़िया कवि मन के उपेक्षा करय, ते जान के विप्र जी,अऊ दलित जी छत्तीसगढ़ी कवि सम्मेलन के सुरुआत करीन। 

छत्तीसगढ़ी पत्रकारिता :-

सन् 1960 - 1970 के बछर के बीच म छत्तीसगढ़ सहकारी संघ बिलासपुर के मासिक पत्रिका 'छत्तीसगढ़ सहकारी संदेश के प्रकाशन शुरू होइस,जेमा पं.द्वारिकाप्रसाद तिवारी 'विप्र' के धारावाहिक गोठ बात ," चैतू बैसाखू के गोठ " के सरलग प्रकाशन होवत रहिस। ए पत्रिका हर, हर सेवा सहकारी समिति म गाँव गाँव बगरे रहिस। एमा छत्तीसगढ़ी गद्य के सुघराई हर अब्बड़ अकन बाढ़िस। फेर बेरा के पाछू धीरे-धीरे दैनिक समाचार पत्र मन म 'कालम' के शुरुवात घलो होवत गइस।

छत्तीसगढ़ी सेवक ले पहिली 1956 म 'छत्तीसगढ़ी मासिक' (पत्रिका) नॉव ले एक टेबलाइज्ड निकलत रहिस।  एकर संपादक मुक्तिदूत रिहिन हें. उंकर असली नॉव डॉ. दयाशंकर शुक्ल रिहिस। उंकर पाछू छत्तीसगढ़ी पत्रकारिता के पुरोधा जागेश्वर प्रसाद हर 1965 म  ‘छत्तीसगढ़ी सेवक’ पहिली सप्ताहिक समाचार निकालय।

बंछर सन 1977 म हरि ठाकुर हर 'राष्ट्रबंधु' साप्ताहिक म महिना म एक अंक 'छत्तीसगढ़ी साहित्य अंक' निकालय। 25 मई 1977 के साप्ताहिक राष्ट्रबंधु के अंक म हरि ठाकुर के एक लेख छपे रहिस -'छत्तीसगढ़ी को भाषा का रूप कैसे दें?' लेख ल पढ़के पं. मुकुटधर पांडेय हर हरि ठाकुर ल एक चिट्ठी लिखिन - ''इस पर विचार करने की आवश्यकता जान पड़ती है। अभी तो हम छत्तीसगढ़ी भाई जहां भी मिलें, आपस में छत्तीसगढ़ी में ही बातें करें। इतना भी हो जाए तो बहुत है।'' परलोक सिधारे के कुछ माह पहिली उंकर येही विचार रहिस । छत्तीसगढ़ अउ छत्तीसगढ़ी ले उनला घात परेम  रहिस। उंकर इच्छा रहिस कि छत्तीसगढ़ी भाषा अउ साहित्य के सम्मक बढ़ोतरी होवय। छत्तीसगढ़ के साहित्यकार मन बर एहर शाइद उंकर आखरी संदेश रहिस। हरि ठाकुर के निवेदन ले पांडेय जी 'राष्ट्रबंधु' के छत्तीसगढ़ी साहित्य अंक बर उत्तरकाण्ड के एक अंश ल छत्तीसगढ़ी म पद्यबद्ध करके  भेजिन, जे हर प्रकाशित घलोक होय रहिस।         

समाचार पत्र म कालम के सुरुआत :-                                 

समाचार पत्र म कालम के सुरुआत करइया स्व. हेमनाथ यदु- 'अपन गोठ अपन बात '( दैनिक युगधर्म  म) पालेश्वर शर्मा के 'गुड़ी के गोठ' (दैनिक नवभारत म ) परमानंद वर्मा के ' डहर चलती, बेरा बेरा के बात' (दैनिक देशबंधु म) लक्ष्मण मस्तुरिया के  'माटी कहे कुम्हार से', कालम (दैनिक भास्कर म) सुरूच ले छपत रहिस, 2008 बछर म एकर एकसठ व्यंग्य लेख के संग्रह हर छप के आ गइस। डाँ. चितरंजन कर एला ललित निबंध घलोक कहत हावें, दरअसल एहर छत्तीसगढ़ के हाना हे, ए ला  छत्तीसगढ़ के पल्लवन भी कहे जा सकथे।रामेश्वर वैष्णव जी 1986 ले 1993 बछर आत तक दैनिक नवभारत म ''उत्ता-धुर्रा'' हास्य व्यंग्य कालम लिखत रहिन,जेहर 2023 बछर  म वैभव प्रकासन ले किताब के रूप म प्रकासित होय हे। ए म  डाँ. बलदेव के समीक्षा ल भूमिका के रुप म छापय गय हे। एकर अगरहा रामेश्वर वैष्णव जी व्यंग्य कालम बांगो टाईम्स(बागबाहरा) म 1966से 1968 बछर तक (स्तंभ-आंखी मूंद के देख ले), छत्तीसगढ़ झलक म 1978 से 1981 बछर तक, नवभारत म 1983 से 1990  बछर तक अउ फेर बाद म 2010 से 2013 बछर तक (स्तंभ -उत्ता -धुर्रा), 1995 से1997  बछर तक दैनिक भास्कर म (स्तंभ -उबुक -चुबुक), 2009 से 2011 बछर तक छत्तीसगढ़ी सेवक म 1980 से 1986 बछर तक (स्तंभ – गुरतुर -चुरपुर) फेर 2010 से 2013 बछर तक (स्तंभ – सबले बढ़िया छत्तीसगढ़िया) साप्ताहिक रुप म प्रकासित होइस हे। स्व. टिकेन्द्रनाथ टिकरिहा जी के 'डहर चला' (छत्तीसगढ़ी सेवक म) 75-76 म, सुशील भोले के तरकश अउ तीर (दैनिक नवभास्कर सन-1990), आखर अंजोर (दैनिक तरूण छत्ती‍सगढ़ 2006-07), डहर चलती (दैनिक अमृत संदेश- 2009), गुड़ी के गोठ (साप्ताहिक इतवारी अखबार 2010 से 2015), बेंदरा बिनास (साप्ताहिक छत्तीसगढ़ सेवक 1988-89),किस्सा कलयुगी हनुमान के (मासिक मयारू माटी 1988-89) म कालम रुप म छपय।  2006-07 मा अमृत संदेश मा आशीष सिंह भैया के साप्ताहिक छत्तीसगढ़ी कालम घुघुवा के आंखी घरघुसरा नांव ले वार्तालाप शैली मा छपय। रामेश्वर शर्मा ' जाती मिलाती ' (दैनिक अमृत संदेश) (छत्तीसगढ़ी) म कालम चलय। दैनिक भास्कर के संगवारी पेज म "सियान मन के सीख" कालम ल सरलग कई बछर तक बिलासपुर के रश्मि रामेश्वर गुप्ता के लेख ह छपत रहिस। कोरोना काल ले संगवारी पेज ह छपना बंद हो गय हे।

दैनिक अखबार मन छत्तीसगढ़ी पेज :-

छत्तीसगढ़ राज्य सिरजे के बाद दैनिक अखबार मन हर हफ्ता म एक एक पेज देहे के शुरुआत करिन । कतको साप्ताहिक मासिक म कालम शुरू होइस। दैनिक देशबंधु म 'मड़ई', (सुधा वर्मा) दैनिक पत्रिका म 'पहट', (गुलाल वर्मा) दैनिक हरिभूमि म चौपाल जइसे खंभा हर कतको पढोइया तियार करिस हे। दैनिक लोकसदन , कोरबा अउ रायपुर दुनों जगा ले छपथे। एंकर साहित्यिक खंभा 'झांपी' (नंदन) घलो म कभू- कभू छत्तीसगढ़ी गद्य छपथे। समाचार पत्र म सबले पहिली साहित्यकार टिकेन्द्रनाथ टिकरिहा हर 1 नवम्बर सन् 2000 जउन दिन छत्तीसगढ़ राज बनिस, उहिच दिन ले दैनिक अग्रदूत म छत्तीसगढ़ी भाषा म संपादकीय लिखे के शुरुआत करें रिहिन, जो हर ऐतिहासिक बात आय।

छत्तीसगढ़ी भाखा म ब्लाग :-

छत्तीसगढ़ी भाखा म ब्लाग के शुरुआत करइया म जयप्रकाश मानस के नाव आघू आथे। वोहर सबले पहिली छत्तीसगढ़ी के सुग्घर पत्रिका 'लोकाक्षर' ल आनलाइन करे के उदिम करिस। फेर शिवशंकर शुक्ल के छत्तीसगढ़ी उपन्यास 'दियना के अंजोर', अउ जे.आर. सोनी के उपन्यास चंद्रकला ल ब्लॉग के प्लेटफारम म रखे गिस। फेर परदेशी राम वर्मा के छत्तीसगढ़ी उपन्यास "आवा" हर ब्लॉग के माध्यम ले नेट के पढ़ोइया मन करा हबरिस।

सन् 2006 बछर म सोसल नेटवर्क गूगल डहर ले संचालित 'आर्कुट' (अब गुगल प्लस) के अब्बड़ जोर रहिस। ए बेरा अमेरिका म शोध करइया धमतरी के चेलिक युवराज गजपाल हर छत्तीसगढ़ी रचना मन ल ओमा संघराय के घात उदिम करिस। आर्कुट के सिराती अउ फेसबुक के जनमती (2004) बेरा म हिंदी ब्लॉग म बढ़ोतरी घलो होय लागिस। एही बखत संजीव तिवारी हर अपन ब्लॉग 'आरंभ' म अउ संजीव त्रिपाठी हर अपन ब्लॉग "आवारा बंजारा" म छत्तीसगढ़ी पोस्ट डारे के उदिम करीन। जेला जम्मो झन अब्बड सँहराइन।

फेर लोकाक्षर के आनलाइन प्रकाशन बंद हो गइस। छत्तीसगढ़ी रचना के इंटरनेट म  प्रकाशन घलो हर सरलग नइ रहि पाइस । संजीव तिवारी अक्टूबर 2008 बछर ले वेबसाइट 'गुरतुर गोठ' के शुरुआत होइस। जेहर आज तक चलत हावे। ए ब्लॉग ला लोगन मन के बीच म अब्बड़ चिन्हारी मिलिस। सोसल मीडिया म 2011 म जयंत साहू के 'चारी चुगली' अउ जून 2013 म सुशील भोले के 'मयारू माटी'  ब्लॉग के भी अब्बर चर्चा होथे। छत्तीसगढ़ी भासा मा समाचार लिखने वाला प्रदेश के पहला वेबसाइट 'गुरतुर गोठ 2007 म दूसर जयंत साहू के "अंजोर" 2014 म शुरू होइस। जेमा इनटरनेट म छत्तीसगढ़ी  डाटा अपलोड करे जाथे।

ए बीच छुटपुट छत्तीसगढ़ी ब्लॉग घलो बनिस। फेर ओमन नंदा गइन। कनाडा ले डाँ. युवराज गजपाल हर  'पिरोहिल' अउ ललित शर्मा हर अपन खुद के छत्तीसगढ़ी रचना मन बर 'अड़हा के गोठ' नाम के एक ठन ब्लॉग बनाइस । फेर ऐहू ब्लाग हर सरलग नइ रह पाइस। गुंडरदेही के संतोष चंद्राकर हर छत्तीसगढ़ी भाखा म दू ठन ब्लॉग बनाइस अउ रचनाकार मन के रचना मन ल प्रकाशित करे के उदिम करिस। फेर आघू चलके संतोष चंद्राकर आने बूता म भिड़गे। ए बूता थिरा गइस। रायपुर के अनुभव शर्मा ग्राम  बंघी , दाढ़ी ले ईश्वर कुमार साहू मन  "'मया के गोठ" ब्लॉग बनाइन। बिलासपुर के डाँ. सोमनाथ यादव के ब्लॉग 'सुहई' जांजगीर के राजेश सिंह क्षत्री के ब्लॉग 'मुस्कान' म छत्तीसगढ़ रचना आवत रहिस। भोपाल के रविशंकर श्रीवास्तव हर अपन प्रसिद्ध ब्लॉग रचनाकार म छत्तीसगढ़ी रचना अउ संपूर्ण किताब ल अपलोड करे हे।

सोसल मीडिया म छत्तीसगढ़ी :- 

सोसल मीडिया म छत्तीसगढ़ी गद्य के प्रयोग के बाढ़ आगे हे। आशीष सिंह ठाकुर के ब्लॉग "सुमिरौं छ्त्तीसगढ़" म छत्तीसगढ़ी आलेख प्रकाशित होवत रहिथे। ललित शर्मा के ब्लॉग "दक्षिण कोसल टुडे" घलोक म कभू- कभू छत्तीसगढ़ी गद्य दिख जाथे। सुशील भोले के  खंभा 'कोंदा भैरा के गोठ" फेसबुक अउ व्हाट्सएप म खास हे। वोहर रायगढ़ के दैनिक सुग्घर छत्तीसगढ़ के पहिली पेज म छपत हे। व्हाट्सएप म 'मयारु माटी','छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति' जइसन कई ठन ग्रुप के अगुवाई म छत्तीसगढ़ी गद्य साहित्य ल बगराये के परयास होवत हे, जेमा लघुकथा, संस्मरण के ठऊर म सुरता, कालम के ठऊर म खंभा, व्यंग्य, निबंध, समीक्षा अउ पत्र साहित्य के ठऊर म मैसेज के चलन आगू बढ़त हावे। एला भी छत्तीसगढ़ी गद्य साहित्य के डहर म नवाचार के उदीम कहे जा सकत हे। ऐमा हजारों साहित्यकार, लेखक मन लिखत पढ़त हावय। ए तरा छत्तीसगढ़ राज्य बने के बाद छत्तीसगढ़ी साहित्य म नवाचार के अब्बड अकन उदिम देखाई देथे।    

छत्तीसगढ़ी न्यूज बुलेटिन :-   

छत्तीसगढ़ राज्य बने के बाद सबले पहिली छत्तीसगढ़ी न्यूज बुलेटिन के शुरुआत अगस्त 2008 म वॉच न्यूज टीवी चैनल ले होय रहिस। संझा बखत 5 बजे के बुलेटिन के प्रोड्यूसर आशीष सिंह ठाकुर रहंय। बिहनिया के बुलेटिन ल प्रदीप शर्मा देखंय। उन्कर संग विभाष झा रहंय। टीवी मा ये पहिली घांव ये हर होय रहिस। एकर पाछू बछर आईबीसी 24  हमर बानी हमर गोठ म छत्तीसगढ़ी म समाचार प्रसारण करिस। आकाशवाणी रायपुर ले दिसम्बर 2012 म छत्तीसगढ़ी न्यूज बुलेटिन के शुरुआत होय रहिस। पहिली समाचार वाचिका शीतला नायक रहिन, दूसर निशा नैयर और तीसर दिन विभाष झा पढ़ंय। टीवी चैनल म छत्तीसगढ़ी म वाचन हर घलो एक परकार के नवाचार आय। छत्तीसगढ़ी म फेसबुक अऊ व्हाट्सएप ले लाइव संवाद घलोक मोबाइल म होवत हावे। छत्तीसगढ़ी सिनेमा घलोक हर हमर  भाषा, कला, अउ संस्कृति के  प्रचार प्रसार के माध्यम हे। 

छत्तीसगढ़ी भाषा म स्लोगन :-

छत्तीसगढ़ राज बने के पाछू बस स्टेंड, अस्पताल के संगे संग केंद्र अउ राज्य सरकार के उपक्रम रेलवे, हवाई अड्डा म छत्तीसगढ़ी म स्लोगन के सुरुआत होइस हे अउ छत्तीसगढ़ी भाषा म आधिकारिक रूप से घोषणा घलोक करे जात हे। हालांकि छत्तीसगढ़ी भाषा म स्लोगन लिखे और नारा म कहे के सुरुआत छत्तीसगढ़ आंदोलन के बखत ले हो गय रहिस।

छत्तीसगढ़ी ऐप :- 

छत्तीसगढ़ी भाषा ल अंतरराष्ट्रीय स्तर म बढ़ावा देहे के खातिर डिजिटलीकरण करे बर छत्तीसकोश ऐप NACHA (उत्तरी अमेरिका छत्तीसगढ़ एसोसिएशन / एनआरआई एसोसिएशन ऑफ छत्तीसगढ़) परियोजना शुरू करे गे हावय। ए परियोजना हर हमर छत्तीसगढ़ी साहित्यकार मन के कहनी, व्याकरण, शिक्षा वीडियो, कविता, शब्दकोश, त्योहार के किताब आदि ल  ई-संस्करण  के रूप म निःशुल्क प्रकाशित करे के  मंच घलो देथे। 
इंटरनेट म वेबसाईट जइसन अउ कतको आने उदिम तो चलते रहिथे,  फेर ए ऐप म अइसन उपराहा अउ आने का बात हे? त मीनल मिश्रा जी कहिथें कि एकर ले छत्तीसगढ़ के साहित्यकार मन के किताब ल निःशुल्क डाउनलोड किये जा सकत हे। प्रतियोगी लइका मन छत्तीसगढ़ भाषा  साहित्य अउ सामान्य ज्ञान ,व्याकरण के तियारी कर सकत हे। छत्तीसगढ़ी शब्द के हिंदी अऊ अंग्रेजी अर्थ ल बड़ आसानी से जान सकत हे, सीख सकत हे। नार्थ अमेरिका छत्तीसगढ़ एसोसिएशन (नाचा) के द्वारा बनाए गे हवे छत्तीसकोश ऐप म अउ का जोड़े जा सकथे जेकर ले ए ऐप ह जादा ले जादा उपयोगी बन सकय, एकर बर अउ काम करे के जरूरत हे।

छत्तीसगढ़ी अनुवाद:- 

छत्तीसगढ़ राज्य बने के पाछु हिंदी साहित्य के रचना मन के छत्तीसगढ़ी अनुवाद घलो होवत हावे। ए उदिम ह घलो एक ठन नवाचार ए, जेकर डहर ले छत्तीसगढ़ी भाषा ला लोगन मन के बीच बगराए के मौका मिले हवे। ए डहर आऊ काम करे के उदिम होना चाही अइसन मोर समझ बनथे।

वर्ण माला:-

छत्तीसगढ़ भाषा म भी समय-परिस्थिति देख बदलाव होवत हावे, जेहर जरूरी हे। व्यवाहरिक अउ प्रचलित वैज्ञानिक शब्द मन ल संघराय जात हे। नवा प्रचलित शब्द मन ल स्वीकृति देहे जात हे। हिंदी के बावन वर्ण माला ल लेके ही हमला आगे बढ़ना हे एला हमर साहित्यकार मन ल समझना होही। भाषा म एकरूपता लाय बर मानकीकरण के जरूरत हे, भाषा के संप्रेषणीयता म कोनो किसिम के अड़चन या दिक्कत झन होय जान के, भाषा म सहज , सरल अऊ व्यवहारिक शब्द के प्रयोग होना चाहिए। आज के हमर छत्तीसगढ़ी भाषा हर परिष्कृत आय। आज छत्तीसगढ़ी भाषा ल विश्वविद्यालय अउ स्कूल म पढ़ाय जात हे, वो दिन दुरिहा नइ ये जेन दिन हमन अपन माईभाखा छत्तीसगढ़ी माध्यम ले पढ़ाई करबों। अउ सरकारी दफ्तर घलोक म कामकाज छत्तीसगढ़ी भाषा म होहीं। कक्षा एक ले पाँच म एक विषय के रूप म छत्तीसगढ़ी भाषा  हर तो मात्र एकर शुरुआत हावय। आज के दिन जब देश के प्रधानमंत्री  अउ बाहिर ले सेलिब्रिटी मन आथें त छत्तीसगढ़ी के दू चार शब्द बोल ही लेथे।

छत्तीसगढ़ी गद्य-पद्य:-

छत्तीसगढ़ी गद्य पद्य के भीतरी पक्ष याने कि साहित्य के सब्बो विधा के शैली, शिल्प अउ विचार म नवाचार के अब्बड अकन उदिम देखे बर मिलत हावे। ऐ दृष्टि ले नव प्रवर्तन करइया साहित्यकार मन के नाव ऐ तरा हे -

छत्तीसगढ़ी के प्रथम कुण्डलिया संग्रह "सियानी गोठ", मई 1967 मा प्रकाशित होए रहिस। रचनाकार - कोदूराम "दलित"। छत्तीसगढ़ के पहिली कहानी 'हीरू के कहिनी' 1926 पाण्डेय बंशीधर शर्मा,  सुधा वर्मा ....तरिया के आंसू ....पर्यावरण ऊपर लिखय पहिली किताब आय। छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रथम चम्पू काव्य के लेखक चोवाराम "बादल" प्रकाशन वर्ष 2023 किताब के नाम - 'स्वामी आत्मानन्द'। सरला शर्मा .....सुरता के बादर ( संस्मरण ) माटी के मितान ..(.उपन्यास ) ...महिला साहित्यकार लिखित पहिली रचना हे । आखर के अरघ ....निबंध संग्रह ... हर साहित्य के अर्वाचीन विधा म  दृष्टान्तपरक निबंध संग्रह आय। सुन संगवारी ....मिंझरा संकलन एहर छत्तीसगढ़ी के प्रथम पाती ....पाती फूफू के नांव ,मोहरी के धुन ... रिपोर्ताज डायरी .... संकलित हैं ये तीनों विधाएं छत्तीसगढ़ी म पहिली बार लिखय गय हे, छत्तीसगढ़ी के पहिली ताँका संग्रह - 'हरियर मड़वा' रमेश कुमार सोनी, छत्तीसगढ़ी बाल कविता संग्रह  'हम खेलबो घर घूंदिया' मुरारी लाल साव  प्रकासन सन 2001 जेहर छत्तीसगढ़ी  गद्य साहित्य म नवाचार के उदाहरन हे।

छत्तीसगढ़ भाषा म समीक्षा:-

छत्तीसगढ़ भाषा म सबले पहिली विस्तृत समीक्षा लिखय के नवाचार डाँ. बलदेव करिन। उकर मयारु माटी म छपे समीक्षा अनुपम व ऐतिहासिक आय। समीक्षा किताब ':छत्तीसगढ़ी काव्य के कुछ महत्वपूर्ण कवि' भाग एक (2013)देखें जा सकता हे। समीक्षा के क्षेत्र म विनय कुमार पाठक के नाव भी ससम्मान लिये जाथे उनकर पहिली समीक्षा किताब हे " छत्तीसगढ़ी साहित्य अउ साहित्यकार"। डाँ उर्मिला शुक्ला के 'छत्तीसगढ़ी साहित्य के विकास' (2018) म महिला लेखन म समीक्षा के पहिली किताब आय।

नवा कविता के शिल्प, भाषा अउ विचार तीनों स्तर म नवाचार के दर्शन हमला लखनलाल गुप्ता , नारायण लाल परमार ,भगत सिंह सोनी, प्रभंजन शास्त्री,डाँ. बलदेव अउ डाँ. देवधर महंत के काव्य म देखें बर मिल जाथे। ए पंक्ति म लखनलाल गुप्त के संझौती के बेरा, भगत सिंह सोनी   के रहंचुली , प्रभंजन शास्त्री के बिना भांडी के अंगना...डाँ. बलदेव: धरती सबके महतारी (2002) ,डाँ. देवधर महंत के लम्मा कविता अरपा नदियां (1983 आदि के नांव लिए जा सकत हे।

पं. द्वारिका प्रसाद तिवारी 'विप्र' धमनी हाट', हरि ठाकुर 'शहीद वीर नारायण सिंह' (खंडकाव्य) श्यामलाल चतुर्वेदी के 'पर्रा भर लाई', नरायण लाल परमार, ईश्वर शरण पांंडेय   'पान मुखारी' (2010), 'लक्ष्मी पुराण: (उड़िया से छत्तीसगढ़ी में काव्यानुवाद 2008), बेटी परे के धरना धरे होथे धन (कालिदास कृत अभिज्ञान शाकुंतलम के चतुर्थ अंक का छत्तीसगढ़ी अनुवाद 2010),  छत्तीसगढ़ी  गजल लिखइया रामेश्वर वैष्णव, मुकुंद कौशल 'भिनसार' आदि प्रमुख हे। प्रदीप कुमार दाश "दीपक" जी के छत्तीसगढ़ी का प्रथम हाइकु संग्रह ("मइनसे के पीरा"-2000) प्रमुख हे।

महिला कवियत्री म डाँ. निरुपमा शर्मा के 'पतरेंगी', 'दाई खेलन दे', 'रितु बरनन' (काव्य संग्रह), डाँ. सत्याभामा आडिल 'गोठ' ,'रतिहा पहागे' (काव्य संग्रह), गीता शर्मा के 'शिवपुराण' संस्कृति ले छत्तीसगढ़ी म गद्यानुवाद। उर्मिला शुक्ल के 'महाभारत म दुरपति' (खंडकाव्य) (2012) कोन्हो महिला द्वारा लिखय गय पहिली खण्ड काव्य हे।अउ 'छत्तीसगढ़ के अउरत ' काव्य संग्रह (2013) आदि के कविता म शिल्प अउ बिम्ब म नवा प्रयोग देखें जा सकत हे। 

छत्तीसगढ़ी भाषा म छन्द:-

छत्तीसगढ़ राज बने के बाद दलित जी के बेटा डाँ. अरुण कुमार निगम जी के छत्तीसगढ़ी भाषा म 50 किसम के छन्द के  संग्रह "छन्द के छ' (2015) प्रकासित  होय हे , आजकल  उंकर 'छंद के छ' नाम के आँनलाइन गुरुकुल मा छत्तीसगढ़ के 250 ले जादा नवा कवि अपन माईभाखा मा किसम  किसम के छन्द युक्त कविता लिखत हावय। उंकर 'छन्द के छ' ब्लॉग म 2500 हजार  छंद रचना के प्रकासन हो गय हे। छन्द के छ ऑनलाइन गुरुकुल मा छन्द सीखके छन्द साधक मन अभी तक लगभग 25 किताब प्रकाशित कर चुके हें।
1 अरुण कुमार निगम - छन्द के छ
2 रमेश कुमार चौहान - आँखी रहिके अंधरा
 3 रमेश कुमार चौहान - दोहा के रंग
4 रमेश कुमार चौहान - छन्द चालीसा
5 रमेश कुमार चौहान- छन्द के रंग
6 चोवाराम "बादल" -  छन्द बिरवा
7 मनीराम साहू "मितान"- हीरा सोनाखान के
 8 मनीराम साहू "मितान"- महा प्रसाद
9 शकुन्तला शर्मा -  छन्द के छटा
10 जगदीश हीरा साहू- सम्पूर्ण रामायण (सार छन्द मा मनका)
11  जगदीश हीरा साहू - छन्द संदेश
12  रामकुमार चंद्रवंशी - छन्द झरोखा
13  रामकुमार चंद्रवंशी - छन्द बगिच्चा
14 बोधनराम निषादराज- अमृतध्वनि छन्द
 15  आशा देशमुख - छन्द चंदैनी
16 कन्हैया साहू 'अमित' - छत्तीसगढ़ी जनउला
17 कन्हैया साहू 'अमित' - फुरफन्दी
18 धनेश्वरी सोनी 'गुल' - सवैया छन्द संग्रह
19 धनेश्वरी सोनी 'गुल' - बरवै कोठी
20 सुखदेव सिंह अहिलेश्वर - छन्द सरगम
21 चोवाराम "बादल" - श्री सीताराम कथा (महाकाव्य)
22 बोधनराम निषादराज - हरिगीतिका छन्द संग्रह
23 विजेन्द्र कुमार वर्मा- मनहरण घनाक्षरी छन्द संग्रह
24 शुचि भवि -  छन्द फुलवारी
25 द्वारिकाप्रसाद लहरे - छन्द गीत संग्रह
26 बोधनराम निषादराज- आल्हा छन्द जीवनी (2015 से सितम्बर 2023 तक)

 

छत्तीसगढ़ उपन्यास :- 

छत्तीसगढ़ उपन्यास गद्य साहित्य म  नवाचार करइया साहित्यकार मन के नाव ऐ तरा हे- दियना के अंजोर 1964 शिवशंकर शुक्ल, मोंगरा 1964 शिवशंकर शुक्ल, चंदा अमरित बरसाइस 1965 लखन लाल गुप्त, फुटहा करम 1971 ठाकुर हृदय सिंह चौहान, कुल के मरजाद 1980 केयूर भूषण, छेरछेरा 1983 पं. कृष्ण कुमार शर्मा, उढरिया 1999 डॉ. जे.आर. सोनी, कहाँ बिलागे मोर धान के कटोरा 2000 केयूर भूषण, दिन बहुरिस 2001 अशोक सिंह ठाकुर, आवा 2002 डॉ. परदेशी राम वर्मा,  लोक लाज 2002 केयूर भूषण,  कका के घर 2003 रामनाथ साहू, चन्द्रकला 2005 डॉ. जे.आर.सोन, भाग जबर करनी मा दिखाये 2005 संतोष कुमार चौबे, माटी के मितान 2006 सरला शर्मा, बनके चंदैनी 2007 सुधा वर्मा, भुइयॉं 2009 रामनाथ साहू, समे के बलिहारी 2009 से 2012 केयूर भूषण, मोर गाँव 2010 जनार्दन पाण्डेय, रजनीगंधा 2010 डॉ. बलदाऊ प्रसाद पाण्डेय पावन,  विक्रम कोट के तिलिस्म 2010 डॉ. बलदाऊ प्रसाद पाण्डेय पावन, तुंहर जाए ले गियाँ 2012 कामेश्वर पाण्डेय, जुराव 2014 कामेश्वर पाण्डेय,  करौंदा 2015 परमानंद वर्मा राम , पुरखा के भुइयॉं 2014 डॉ.मणी महेश्‍वर 'ध्‍येय', डिंगई 2015 लोक बाबू, केरवंछ 2013 मुकुन्द कौशल, सुरसुतिया विमल मित्र।  ये सबेच कथाकार मन के गद्य साहित्य म  सामाजिक,राजनीतिक,धार्मिक विचार मन म नवाचार अउ नव विचार भरे पड़े हें। 

छत्तीसगढ़ी नाटक :-

सबले पहिली ' कलिकाल' छत्तीसगढ़ी नाटक' लोचन प्रसाद पाण्डेय हर लिखे रहिस। डाँ. खूबचंद बघेल 'करम छड़हा', 'लेडगा' नाटक,  नरेंद्र देव वर्मा के 'मोला गुरू बनाई लेते' प्रहसन ,नन्दकिशोर तिवारी जी के 'रानी दई डभरा के","मोर कुँवा गंवागे", डॉ. परदेशी राम वर्मा के 'मंय बईला नोहंव, रामनाथ साहू के 'जागे जागे सुतिहा गो!,"डॉ. सुरेंद्र दुबे के 'पीरा', दुर्गा प्रसाद पार्कर के ' सुराजी गांव 'आदि म विषय -विचार, संवाद म नवाचार के दर्शन होथे।

छत्तीसगढ़ी कहानी:-

छत्तीसगढ़ी कहानी लिखइया डॉ.परदेशी राम वर्मा, लखनलाल गुप्त,केयूर भूषण, डाँ.पालेश्वर प्रसाद शर्मा 'सुसक झन', सुशील भोले, सुधा वर्मा, डॉ. पीसी लाल यादव, कुबेर,चन्द्रहास साहू, पोखन लाल जायसवाल, गयाप्रसाद साहू, महेंद्र बघेल, डुमन लाल ध्रुव,  डॉ. विनोद वर्मा, चोवाराम वर्मा बादल, डॉ. सी. एल.साहू, रामनाथ साहू प्रमुख हे जेकर कहानी के शिल्प ,भाषा अउ कथावस्तु म भी नवाचार के उदिम दिखथे। हेमचंद्र पाण्डेय जी  'छत्तीसगढ़ी कहिनी पाठ' बर आकाशवाणी अंबिकापुर जात रहिन। उंकर अलग से कहानी संग्रह अभी नइ आय हे। लेकिन छत्तीसगढ़ लोकाक्षर म उंकर कहानी ,समीक्षा छपत रहिस। डॉ॰ राजेन्द्र सोनी के रचित (खोरबहरा तोला गांधी बनाबो), छत्तीसगढ़ी में प्रथम लघुकथा संग्रह हे। 

महिला लिखइया कहानीकार हे डाँ. सत्याभामा आडिल (रमिया अऊ केतकी), डाँ.उर्मिला शुक्ल गोदना के फूल 2003) एहर महिला लेखक के प्रकाशित पहली संग्रह आय, शकुंतला तरार के (बन कैना), नव साक्षर बर लिखय गय किताब हे। महिला लघुकथा कार म डाँ. शैल चन्द्रा 'गुड़ी अब सुन्ना होगे', शकुंतला शर्मा 'करगा' लघुकथा संग्रह), सुधा वर्मा के 'चुरकी भुरकी',(लोककथा)। 

छत्तीसगढ़ी व्यंग्य :-

श्री जयप्रकाश मानस के 'कलादास के कलाकारी' (छत्तीसगढ़ी भाषा में प्रथम व्यंग संग्रह 1995) हे। लक्ष्मण मस्तुरिया (गुनान गोठ, वैभव प्रकाशन द्वारा 2015 म प्रकाशित, जेमा 34 व्यंग्य लेख हे, गाय न गरु सुख होय हरु, ये व्यंग हर एम. ए. हिन्दी साहित्य म शामिल रीहीस ),  डाँ. राजेंद्र सोनी के ' खोरबाहरा तोला गाँधी बनाबो,  वीरेंद्र सरल, महेंद्र बघेल,राजकुमार चौधरी, सुशील भोले के 'भोले के गोले' (व्यंग संग्रह 2015) जइसन कतेक झन नवाचारी व्यंग लेखन करत हवय।

निबंध, जीवनी, वृत्तांत म भी कलमकार होईन हे। फेर विस्तार भय के कारन बस पाछु) अंत म मोर हार्दिक इच्छा हे छत्तीसगढ़ी भाषा ह लोगन मन के बीच चारो कोती बगरे, समृद्ध होय अइसन मोर कामना हावे।
- बसन्त राघव
पंचवटी नगर,मकान नं. 30
कृषि फार्म रोड,बोईरदादर, रायगढ़, छत्तीसगढ़,
basantsao52@gmail.com मो.नं.8319939396

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हमर बेवसाइट म ठेठ छत्तीसगढ़ी के बजाए रइपुरिहा भासा के उपयोग करे हाबन, जेकर ल आन मन तको हमर भाखा ल आसानी ले समझ सके...
छत्तीसगढ़ी म समाचार परोसे के ये उदीम कइसे लागिस, अपन बिचार जरूर लिखव।
महतारी भाखा के सम्मान म- पढ़बो, लिखबो, बोलबो अउ बगराबोन छत्तीसगढ़ी।

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