एम.ए. छत्तीसगढ़ी छात्र संगठन डहर ले 'पढ़बो पढ़ाबो छत्तीसगढ़ी बर जुरियाबो', 29 अक्टूबर के होटल एमराल्ड म

अंजोर
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अंजोर.ए। छत्तीसगढ़ी म पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय ले एम.ए. के पढ़ई करे लइका मन महतारी भाषा म पढ़ाई अउ नौकरी के मांग करत गजब दिन ले सड़क के लड़ाई लड़त हाबे। उंकर गोहार ल सरकार सुने तको हावय,  छत्तीसगढ़ी भाषा म पढ़ाई अउ नौकरी ल लेके घोसना तको होए हाबे। फेर सरकार के काम सरकारे जाने, ठोस बुता के अब भी दरकार हे।

छत्तीसगढ़ी एम.ए. पढ़हे लइका मन जबर संगठन बनाके सरलग जीव होम बुता करत हाबे। मिले आरो के मुताबिक इही ओढ़र म 29 अक्टूबर के होटल एमराल्ड म 'पढ़बो पढ़ाबो छत्तीसगढ़ी बर जुरियाबो' विषय म गुनान गोठ के आयोजन करे गे हावय। कार्यक्रम म पहुना के रूप म जे.पी. रथ अतिरिक्त संचालक एससीईआरटी रायपुर, प्रो. सच्चिदानंद शुक्ल कुलपति पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर, डॉ. चितरंजन कर भाषाविद्, डॉ. अनिल कुमार भतपहरी सचिव राजभाषा आयोग, श्रीमती सरला शर्मा वरिष्ठ साहित्यकार दुर्ग, शशांक खरे वरिष्ठ पत्रकार रायपुर, उक मन अपन विचार रखही। कार्यक्रम बिहनिया 10 बजे ले शुरू होही, अउ मंझनिया पहुना मनके विचार सुने बर मिलही। संझा बेरा एम.ए. छत्तीसगढ़ी छात्र संगठन के लइका मन अपन अपन बात रखही। जानबा होवय के ये बीच म जेवन के बाद जोशी बहिनी मनके सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन करे गे हावय।

छत्तीसगढ़ी म पढ़ई-लिखई के बात ल तइहा ले हमर सियान मन एक सुर म सरकार तिर गोहार तको करत रिहिस हे। धीरे-धीरे ही सही छत्तीसगढ़ी के महौल बनत रिहिस। ये बीच कई ठिन विश्वविद्यालय ह छत्तीसगढ़ी के पाठ्यक्रम शुरू करिस। जेमा बिलासपुर के पं. सुंदरलाल शर्मा विश्वविद्यालय ह डिप्लोमा कोर्स कराइस। एक कदम अउ आगू बड़के पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर ह सीधा एम.ए. के कोर्स सुरू करिस। भारी उच्छाह के संग लइका मन छत्तीसगढ़ी पढ़े लगिस। अब बात आगे रोजगार के, जब छत्तीसगढ़ी म पढ़ई-लिखई नइ होवथे त कइसे रोजगार मिलही ? इही बिसे ल लेके एम.ए. पढ़े लइका मन एक संगठन बनाके सरलग नौकरी के मांग करत हाबे।

शुरूआत म अभियान म सिरिफ छत्तीसगढ़ी के बात होवत रिहिसे। हर विभाग म छत्तीसगढ़ी म कामकाज होवय, लइका मनके पढ़ई तको छत्तीसगढ़ी म होवय। छत्तीसगढ़ी म पढ़ई-लिखई तक म सबो के समर्थन रिहिस। लेकिन बीच म अचानक कुछ लोगन मन महतारी भाषा म पढ़ाई के अइसे अलग माहौल बना दिस के छत्तीसगढ़ी के संग अऊ कई ठी आंचलिक बोली म पढ़ई के मांग उठे लगगे। इहां तक के छत्तीसगढ़ी के संग अऊ कई ठी आंचलिक बोली म पाठ्यक्रम बने के शुरू होगे। ‘छत्तीसगढ़ी’ बर सुरू होए अभियान ह ‘महतारी भाषा’ कोति ढरकगे अउ अब सुनई आए हाबे के राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) छत्तीसगढ़ी के संग अऊ आंचलिक बोली म पाठ्यक्रम बनात हाबे। 

बात उठिस छत्तीसगढ़ के महतारी भाषा के जेन म सिरिफ ‘छत्तीसगढ़ी’ होना रिहिस। लेकिन कुछ आदमी मनके बहकाव के सेती महतारी भाषा के अर्थ ओ सबो छत्तीसगढ़वासी मनके बोली ले होगे जेन अपन-अपन अंचल म बोले जाथे। सरकार ल तको मउका मिलगे छत्तीसगढ़ी ल पढ़ई के माध्यम बनाये के बजाए महतारी भाषा के नाम ले छत्तीसगढ़ी, सरगुजिहा, सादरी, गोंडी, हल्बी अउ कुडुख म किताब बनाये के सुरू करा दिस। अवइया शिक्षा सत्र ले पढ़ई तको सुरू हो जही।

प्राथमिक कक्षा तक महतारी भाषा म पढ़ई ले छत्तीसगढ़ी ल कोन-कोन जिला म पढ़े जाही अउ आन भाषा ल कोन-कोन जिला म पढ़े जाही, ये गुने के विषय आए। कभु-कभु तो अइसे जनाथे के अपने गोड़ म टंगिया मारे कस उदीम होगे। सोचव कहु पूरा प्रदेश म छत्तीसगढ़ी लागू होतिस त एम.ए. छत्तीसगढ़ी वाले लइका मनला कतका फायदा होतिस। अउ अब जबकि छत्तीसगढ़ी के संग आंचलिक बोली म पढ़ई के बात होवथे तव कतका फायदा होही।

भारत देस म ही भाषा के नाम म कई ठी प्रदेस के चिन्हारी होथे जइसे- पंजाब म पंजाबी, गुजरात म गुजराती, महाराष्ट्र म मराठी, पश्चिम बंगाल म बंगाली, तमिलनाडु म तेलुगु, केरल म मलयालम। लेकिन जब भी छत्तीसगढ़ म छत्तीसगढ़ी के बात आथे तब गुनी-गियानी जन मन अपन-अपन तर्क के संग दोरली, गोंडी, धुरवी, हल्बी, भतरी, परजी, माड़ी, कमारी, भुंजिया, बैगानी, कोरवी, खड़िया, मुंडारी, बिंझवारी सरगुजिहा, सादरी, लरिया, गोंडी, कुडुख जइसे बोली ल लाइन म लगा देथे। ये साजिस आए छत्तीसगढ़ी के बड़वार रोके के। 'पढ़बो पढ़ाबो छत्तीसगढ़ी बर जुरियाबो' अभियान के माध्यम ले अइसन गंभीर विषय म तको गोठबात होही अइसे उम्मीद हाबे।

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सबो पाठक ल जोहार..,
हमर बेवसाइट म ठेठ छत्तीसगढ़ी के बजाए रइपुरिहा भासा के उपयोग करे हाबन, जेकर ल आन मन तको हमर भाखा ल आसानी ले समझ सके...
छत्तीसगढ़ी म समाचार परोसे के ये उदीम कइसे लागिस, अपन बिचार जरूर लिखव।
महतारी भाखा के सम्मान म- पढ़बो, लिखबो, बोलबो अउ बगराबोन छत्तीसगढ़ी।

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