कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद के पुण्यतिथि म उनला सादर नमन

अंजोर
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कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद के पुण्यतिथि म उनला सादर नमन


अंजोर.रायपुर। 8 अक्टूबर के कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद के पुण्यतिथि म ओला सादर नमन। प्रेमचंद एक अइसे संवेदनशील लेखक रिहिस जेन मन सरल, सहज अउ आम बोल-चाल के भाषा के उपयोग करिन अउ अपन प्रगतिशील विचार के अमूल्य विरासत छोड़ गिस। ओमन अपन साहित्य म ग्रामीण जनजीवन म व्याप्त विषमताओं के यथार्थ वर्णन करिन। उंकर रचना म सांप्रदायिकता, भ्रष्टाचार, गरीबी, उपनिवेशवाद म कठोरता ले प्रहार करिन हावय। मुंशी प्रेमचंद के रचना आज तको आम मनखे के आवाज ल मुखरता देत हावयं।

कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद के जीवन परिचय-

प्रेमचंद के जनम 31 जुलाई 1880 के वाराणसी जिला (उत्तर प्रदेश) के लमही गाँव म एक कायस्थ परिवार म होए रिहिस। उंकर महतारी के नाम आनन्दी देवी अउ पिता के नाम मुंशी अजायबराय रिहिस जेन लमही म डाकमुंशी रिहिस। उंकर वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव रिहिस। प्रेमचंद (प्रेमचन्द) के आरम्भिक शिक्षा फ़ारसी म होइस। प्रेमचंद के माता-पिता के सम्बन्ध म रामविलास शर्मा लिखत हावयं कि- "जब वो सात साल के रिहिस, तभेच उंकर महतारी के स्वर्गवास हो गे। जब पन्द्रह साल के होइस तब उंकर बिहाव कर दे गिस अउ सोलह साल के होए म उंकर पिता के तको देहान्त हो गे। मुंशी प्रेमचंद अपन बिहाव के फैसला म पिता के बारे म लिखे हावयं के “पिताजी ह जिनगी के आखरी साल म एक ठोकर खाईस अउ स्वंय त गिरिस, संग म मोला तको डुबो दीस अउ मोर बिहाव बिना सोचे समझे करा दीस

ए बात के पुष्टि रामविलास शर्मा के ए कथन ले होवत हावय कि- "सौतेली माँ के व्यवहार, नानपन म शादी, पण्डे-पुरोहित के कर्मकाण्ड, किसान मन अउ क्लर्क के दुखी जीवन-ये सब प्रेमचंद ह सोलह साल के उमर म ही देख ले रिहिस। इही सेती उंकर ये अनुभव एक जबर्दस्त सच्चाकई खातिर होइस उंकर कथा-साहित्य म झलक उठे रिहिस।  उंकर नानपन ले ही पढ़े म बहुत रुचि रिहिस। 13 साल के उमर म ही ओमन तिलिस्म-ए-होशरुबा पढ़ लिस अउ ओमन उर्दू के मशहूर रचनाकार रतननाथ 'शरसार', मिर्ज़ा हादी रुस्वा अउ मौलाना शरर के उपन्यापस ले परिचय पा लिस। 

उंकर पहिली बिहाव पंद्रह साल के उमर म होइस। 1906 म उंकर दूसरा बिहाव शिवरानी देवी ले होइस जेन बाल-विधवा रिहिस। वो सुशिक्षित महिला थीं जेन मन कुछ कहानियाँ अउ प्रेमचंद घर म शीर्षक पुस्तक तको लिखीस। उंकर तीन सन्तान होइस-श्रीपत राय, अमृत राय अउ कमला देवी श्रीवास्तव। 1898 म मैट्रिक के परीक्षा पास करे के बाद वो एक स्थानीय स्कूल म शिक्षक नियुक्त होगे। नौकरी के संग ही ओमन पढ़ाई जारी रखीस। उंकर शिक्षा के सन्दर्भ म रामविलास शर्मा लिखते हावयं के- "1910 म अंग्रेज़ी, दर्शन, फ़ारसी अउ इतिहास लेके इण्टर करिन अउ 1919 म अंग्रेजी, फ़ारसी अउ इतिहास लेके बी. ए. करिन। 1919 म बी.ए. पास करे के बाद वो शिक्षा विभाग के इंस्पेक्टर पद म नियुक्त होइस।

1921 ई. म असहयोग आन्दोलन के बखत महात्मा गाँधी के सरकारी नौकरी छोड़े के आह्वान म स्कूल इंस्पेक्टर पद ले 23 जून के त्यागपत्र दे दिस। येकर बाद ओमन लेखन के अपन व्यवसाय बना लिस। मर्यादा, माधुरी उक पत्रिका म वो संपादक पद म कार्यरत रिहिन। इही बखत ओमन प्रवासीलाल के संग मिलके सरस्वती प्रेस तको खरीदिस अउ हंस अउ जागरण निकालिस। प्रेस उंकर खातिर व्यावसायिक रूप ले लाभप्रद सिद्ध नइ होइस। 1933 ई. म अपन करजा के पटाये के खातिर ओमन मोहनलाल भवनानी के सिनेटोन कम्पनी म कहानी लेखक के रूप म काम करे के प्रस्ताव स्वीकार कर लिस। फिलिम नगरी प्रेमचंद ल रास नइ आई। वो एक साल के अनुबन्ध तको पूरा नइ कर सकिस अउ दू महीना के वेतन छोड़के बनारस लहुंट आगे। उंकर स्वास्थ्य निरन्तर बिगड़त गिस। लम्बी बीमारी के बाद 8 अक्टूबर 1936 के उंकर निधन होगे।

कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद के कहानी-

1. अन्धेर

2. अनाथ लड़की

3. अपनी करनी

4. अमृत

5. अलग्योझा

6. आखिरी तोहफ़ा

7. आखिरी मंजिल

8. आत्म-संगीत

9. आत्माराम

10. दो बैलों की कथा

11. आल्हा

12. इज्जत का खून

13. इस्तीफा

14. ईदगाह

15. ईश्वरीय न्याय

16. उद्धार

17. एक आँच की कसर

18. एक्ट्रेस

19. कप्तान साहब

20. कर्मों का फल

21. क्रिकेट मैच

22. कवच

23. कातिल

24. कोई दुख न हो तो बकरी खरीद ला

25. कौशल़

26. खुदी

27. गैरत की कटार

28. गुल्लीी डण्डा

29. घमण्ड का पुतला

30. ज्योडति

31. जेल

32. जुलूस

33. झाँकी

34. ठाकुर का कुआँ

35. तेंतर

36. त्रिया-चरित्र

37. तांगेवाले की बड़

38. तिरसूल

39. दण्ड

40. दुर्गा का मन्दिर

41. देवी

42. देवी - एक और कहानी

43. दूसरी शादी

44. दिल की रानी

45. दो सखियाँ

46. धिक्कार

47 धिक्कार - एक और कहानी

48. नेउर

49. नेकी

50. नबी का नीति-निर्वाह

51. नरक का मार्ग

52. नैराश्य

53. नैराश्य लीला

54. नशा

55. नसीहतों का दफ्तर

56. नाग-पूजा

57. नादान दोस्त

58. निर्वासन

59. पंच परमेश्वर

60. पत्नी से पति

61. पुत्र-प्रेम

62. पैपुजी

63. प्रतिशोध

64. प्रेम-सूत्र

65. पर्वत-यात्रा

66. प्रायश्चित

67. परीक्षा

68. पूस की रात

69. बैंक का दिवाला

70. बेटोंवाली विधवा

71. बड़े घर की बेटी

72. बड़े बाबू

73. बड़े भाई साहब

74. बन्द दरवाजा

75. बाँका जमींदार

76. बोहनी

77. मैकू

78. मन्त्र

79. मन्दिर और मस्जिद

80. मनावन

81. मुबारक बीमारी

82. ममता

83. माँ

84. माता का ह्रदय

85. मिलाप

86. मोटेराम जी शास्त्री

87. र्स्वग की देवी

88. राजहठ

89. राष्ट्र का सेवक

90. लैला

91. वफ़ा का खजर

92. वासना की कड़ियां

93. विजय

94. विश्वास

95. शंखनाद

96. शूद्र

97. शराब की दुकान

98. शान्ति

99. शादी की वजह

100. शान्ति

101. स्त्री और पुरूष

102. स्वर्ग की देवी

103. स्वांग

104. सभ्यता का रहस्य

105. समर यात्रा

106. समस्या

107. सैलानी बन्दर

108. स्वानमिनी

109. सिर्फ एक आवाज

110. सोहाग का शव

111. सौत

112. होली की छुट्टी

113. नमक का दरोगा

114. गृह-दाह

115. सवा सेर गेहूँ नमक का दरोगा

116. दूध का दाम

117. मुक्तिधन

118. कफ़न

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सबो पाठक ल जोहार..,
हमर बेवसाइट म ठेठ छत्तीसगढ़ी के बजाए रइपुरिहा भासा के उपयोग करे हाबन, जेकर ल आन मन तको हमर भाखा ल आसानी ले समझ सके...
छत्तीसगढ़ी म समाचार परोसे के ये उदीम कइसे लागिस, अपन बिचार जरूर लिखव।
महतारी भाखा के सम्मान म- पढ़बो, लिखबो, बोलबो अउ बगराबोन छत्तीसगढ़ी।

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