राजभाषा दिवस बिसेस कविता-
बोलव छत्तीसगढ़ी,
लजावव झन
लिखव, पढ़व गुनव
एला गंवावव झन
अरे महतारी भाखा म गरब करे जाथे
छत्तीसगढ़िया हरव
अपन पहिचान छुपावव झन...।
पर के बोली, पर के भाखा
एमा तुम मिंझारव झन
हमर भाखा कतका गुरतुर हे
हिंदी अंग्रेजी म बड़बड़ावव झन...।
.
कका कहव, काकी कहव
अंकल आंटी म भुलावव झन
भाटो कहे ले मया बाढ़थे
जीजा कहीके मारव झन...।
.
बड़ मीठ भाखा हमर छत्तीसगढ़ी
करगा कस एला छांटव झन
एला पढ़व एला गोठियावव
पर भाखा संग सांटव झन
पर भाखा संग सांटव झन...।
.
लिखइया-
नागेश वर्मा
सबो पाठक ल जोहार..,
हमर बेवसाइट म ठेठ छत्तीसगढ़ी के बजाए रइपुरिहा भासा के उपयोग करे हाबन, जेकर ल आन मन तको हमर भाखा ल आसानी ले समझ सके...
छत्तीसगढ़ी म समाचार परोसे के ये उदीम कइसे लागिस, अपन बिचार जरूर लिखव।
महतारी भाखा के सम्मान म- पढ़बो, लिखबो, बोलबो अउ बगराबोन छत्तीसगढ़ी।