नारायणपुर के नाड़ी वैद्य हेमचंद मांझी ल मिलही पद्मश्री, पढ़व हेमचंद मांझी के जीवनी

अंजोर
0
Biography of Nadi Vaidya Hemchand Manjhi of Narayanpur awarded with Padmashree

  • Patients from America also come to Hemchand Manjhi for treatment.
  • He is a Naadi Vaidya and has been treating thousands of people with herbs for five decades.

 अंजोर.ए। छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिला के रहइया नाड़ी वैद्य हेमचंद मांझी ह अपन पूरा जिनगी जड़ी-बूटी के खोज के अउ लगभग पांच दशक ले हजारों लोगन ल ठीक करे हावय। आम जनता के ए अहर्निश सेवा के चलत केंद्र सरकार ह एमन ल पद्मश्री ले सम्मानित करे के फइसला ले हावय। हेमचंद मांझी परंपरागत जड़ी-बूटी के माध्यम ले केऊ बीमारी म लोगन के इलाज करिन हावय। अमेरिका जइसे देश ले तको पेशेंट हेमचंद मांझी के तिर आये हावयं। ये अइसे विद्या हावय जेला अगला पीढ़ी तक पहुँचाना हावय।

जानबा होवय के मांझी ह छोटे डोंगर म अइसे समय म लोगन के जड़ी बूटी मन ले इलाज करे के फइसला लिस जब इहां स्वास्थ्य सुविधा बिल्कुल नइ रिहिस। परिवार म कोनो के वैद्य के पेशे म नइ होए के बावजूद ओमन सेवाभाव के चलत ये फइसला लिस। उंकर अनुभव के चलत उंकर ज्ञान बाढ़त गिस अउ नारायणपुर के अलावा आन जिला  के मरीज तको उंकर पास आने लगे।

हेमचंद मांझी ह बताइन के बस्तर के वनौषधी म जादू हावय। हम जंगल ले आने-आने रकम ले के जड़ी-बूटी इकट्ठी करत हावन। एमन ल उचित अनुपात म मिलते हावयं अउ आने-आने रकम ले के बीमारी के ए रकम ले ले इलाज करत हावयं। नाड़ी देखके मर्ज के पता लगात हावयं अउ येकर मुताबिक इलाज करत हावयं। कई बार जब एलोपैथी ले लोगन कैंसर जइसे बीमारी के इलाज के संबंध म हतोत्साहित हो जाथे तब वो इहां आथे अउ ईश्वर के अनुकंपा ले हमर दवई के कमाल ले वो ठीक हो जात हावयं।

हेमचंद मांझी के पास हर दिन अमूमन सौ ले जादा मरीज पहुँचते हावयं। काली तको असम अउ आंध्रप्रदेश ले कुछ मरीज पहुंचिस रिहिस। मांझी ये सब मामूली शुल्क म करत हावयं। जेन खरचा वो लेवत हावयं वो दवाइ के बनाये म लगत हावय। ओमन बताइन के वनौषधी म उपयुक्त अकन म शहद, लौंग अउ आन मसाला डाने होवत हावयं। उंकर खरचा हम मरीज मन ले लेवत हावयं। ओमन बताइन के जब तक साँस म साँस हावयं तब तक ये सेवा के काम करत रहूँ। अउ अभी नवा पीढ़ी ल नाड़ी ले मर्ज जानना सिखात हवं अब जड़ी-बूटी के गुण के बारे म तको बताहूं।

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

सबो पाठक ल जोहार..,
हमर बेवसाइट म ठेठ छत्तीसगढ़ी के बजाए रइपुरिहा भासा के उपयोग करे हाबन, जेकर ल आन मन तको हमर भाखा ल आसानी ले समझ सके...
छत्तीसगढ़ी म समाचार परोसे के ये उदीम कइसे लागिस, अपन बिचार जरूर लिखव।
महतारी भाखा के सम्मान म- पढ़बो, लिखबो, बोलबो अउ बगराबोन छत्तीसगढ़ी।

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !