छत्तीसगढ़ में 3 पद्मश्री सम्मान पाने वाला : रामलाल बरेठ, जागेश्वर यादव, हेमचंद मांझी

अंजोर
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padma award 2024 in chhattisgarh
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  • जशपुर जिला के ‘बिरहोर के भाई’ जागेश्वर यादव ल मिलही पद्मश्री, पढ़व हेमचंद मांझी के जीवनी
  • नारायणपुर के नाड़ी वैद्य हेमचंद मांझी ल मिलही पद्मश्री, पढ़व हेमचंद मांझी के जीवनी
  • पद्मश्री से सम्माानित रायगढ़ घराना के कत्थक नर्तक रामलाल बरेठ की जीवनी

जशपुर जिला के ‘बिरहोर के भाई’ जागेश्वर यादव ल मिलही पद्मश्री-

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अंजोर.ए। राष्ट्रपति के दत्तक बेटा माने जाये वाला बिसेस पिछड़ी जनजाति के बिरहोर कुछ साल पहिली तक अतका संकोची रिहिस के जूता-चप्पल पहने कोनो ल आज देखके भाग जात रिहिस। ओला विकास के मुख्यधारा म सामिल करे बर जागेश्वर यादव ह जिनगी भर जूता-चप्पल नइ पहने के संकल्प करिन ताकि वो मिले ले सकुचाये नहीं। धीरे-धीरे वो बड़ा बदलाव लाने म कामयाब होइस अउ अभी बिरहोर मनके पहिली पीढ़ी शिक्षित होगे हावय। वो सरकारी योजना मन के फायदा ले आगू बढ़ रिहिन हावयं। जब जागेश्वर यादव 21 साल के रिहिस तब ओमन बिरहोर जनजाति के लोगन के दुर्दशा देखिस अउ उंकर सेवा के संकल्प लिस। आज चार दशक हो गे हावयं अउ उंकर सेवा बुता अनवरत जारी हावय।

 संकल्पित भाव ले बिरहोर जनजाति के सेवा करे वाला अउ पिछड़ा वर्ग ले आने वाला ए जननायक अउ सेवाभावी कार्यकर्ता पद्मश्री ले सम्मानित करे जाये के केंद्र सरकार ह फइसला लिस। बिरहोर मन जागेश्वर यादव ल अपन मसीहा मानत हावयं। जब जागेश्वर यादव ह गेलौली करिन त सब तइयार हो गये, ये उंकर बिरहोर मनके बीच गहरी पैठ के परमान हावय।

जानबा होवय के जागेश्वर यादव के प्रयास ले न सिरिफ बिरहोर लोगन शिक्षा ले जुड़े हावयं। ओमन खेती तको करे सुरू करके दे हावय। जेन बिरहोर भिक्षावृत्ति ले जुड़े रिहिस वो आज धान बेचत हावयं। बिरहोर मनके खातिर जागेश्वर यादव ह धरमजयगढ़ म आश्रम तको सुरू करिन हावय। ओला पद्मश्री मिले म बिरहोर मन म तको काफी खुसी के माहौल हावय।

नारायणपुर के नाड़ी वैद्य हेमचंद मांझी ल मिलही पद्मश्री-

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अंजोर.ए। छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिला के रहइया नाड़ी वैद्य हेमचंद मांझी ह अपन पूरा जिनगी जड़ी-बूटी के खोज के अउ लगभग पांच दशक ले हजारों लोगन ल ठीक करे हावय। आम जनता के ए अहर्निश सेवा के चलत केंद्र सरकार ह एमन ल पद्मश्री ले सम्मानित करे के फइसला ले हावय। हेमचंद मांझी परंपरागत जड़ी-बूटी के माध्यम ले केऊ बीमारी म लोगन के इलाज करिन हावय। अमेरिका जइसे देश ले तको पेशेंट हेमचंद मांझी के तिर आये हावयं। ये अइसे विद्या हावय जेला अगला पीढ़ी तक पहुँचाना हावय।

जानबा होवय के मांझी ह छोटे डोंगर म अइसे समय म लोगन के जड़ी बूटी मन ले इलाज करे के फइसला लिस जब इहां स्वास्थ्य सुविधा बिल्कुल नइ रिहिस। परिवार म कोनो के वैद्य के पेशे म नइ होए के बावजूद ओमन सेवाभाव के चलत ये फइसला लिस। उंकर अनुभव के चलत उंकर ज्ञान बाढ़त गिस अउ नारायणपुर के अलावा आन जिला  के मरीज तको उंकर पास आने लगे।

हेमचंद मांझी ह बताइन के बस्तर के वनौषधी म जादू हावय। हम जंगल ले आने-आने रकम ले के जड़ी-बूटी इकट्ठी करत हावन। एमन ल उचित अनुपात म मिलते हावयं अउ आने-आने रकम ले के बीमारी के ए रकम ले ले इलाज करत हावयं। नाड़ी देखके मर्ज के पता लगात हावयं अउ येकर मुताबिक इलाज करत हावयं। कई बार जब एलोपैथी ले लोगन कैंसर जइसे बीमारी के इलाज के संबंध म हतोत्साहित हो जाथे तब वो इहां आथे अउ ईश्वर के अनुकंपा ले हमर दवई के कमाल ले वो ठीक हो जात हावयं।

हेमचंद मांझी के पास हर दिन अमूमन सौ ले जादा मरीज पहुँचते हावयं। काली तको असम अउ आंध्रप्रदेश ले कुछ मरीज पहुंचिस रिहिस। मांझी ये सब मामूली शुल्क म करत हावयं। जेन खरचा वो लेवत हावयं वो दवाइ के बनाये म लगत हावय। ओमन बताइन के वनौषधी म उपयुक्त अकन म शहद, लौंग अउ आन मसाला डाने होवत हावयं। उंकर खरचा हम मरीज मन ले लेवत हावयं। ओमन बताइन के जब तक साँस म साँस हावयं तब तक ये सेवा के काम करत रहूँ। अउ अभी नवा पीढ़ी ल नाड़ी ले मर्ज जानना सिखात हवं अब जड़ी-बूटी के गुण के बारे म तको बताहूं।

पद्मश्री से सम्माानित रायगढ़ घराना के कत्थक नर्तक रामलाल बरेठ की जीवनी-

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अंजोर.ए। प्रतिष्ठित पुरस्कार के खातिर चयनित रायगढ़ घराना के कत्थक नर्तक रामलाल बरेठ जब सिरिफ 4 साल के रिहिस तभेच महाराजा चक्रधर सिंह ह ओमा छिपे नृत्य के प्रतिभा पहचान ले रिहिस। ओमन उंकर पिता अउ अतका ही प्रतिभाशाली कत्थक कलाकार कीर्तनराम ले किहिन के येकर कत्थक के प्रशिक्षण के बेवस्था मैं अपन देखरेख म करहूं। ओमन देश भर के जाने-माने कलाकार मन ले बरेठ के प्रशिक्षण कराइस।

महाराजा चक्रधर सिंह ह उन म जेन भरोसा देखाइस, ओला बरेठ ह पूरा करिन। संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार ले लेके पद्मश्री तक के सफर तय करके ओमन रायगढ़ घराना ल नवा ऊंचाई दीस। रामलाल बरेठ अभी 88 साल के हो चुके हावयं। उंकर जिनगी आर्थिक परसानी मन ले घिरे रिहिन। रायगढ़ रियासत म महाराजा चक्रधर सिंह के जाये के बाद उंकर परिवार के आर्थिक परेशानी के सामना करे बर परिस। बरेठ बतावत हावयं के कत्थक नृत्य अकेला के कर्म नइ हावय। तुँमन ल येकर खातिर कुशल संगतकार चाही। येकर बेवस्था करे अउ रायगढ़ घराना के प्रतिष्ठा ल बनाये रखे म कठिन मेहनत करिन।

रामलाल बरेठ के देश के महान कत्थक कलाकार मन के संग बहुत अच्छा संबंध रिहिन हावयं। ओमन बताइन के पंडित बिरजु महाराज के संग उंकर बहुत स्नेहिल संबंध रिहिन हावयं। पंडित बिरजु महाराज ओला बहुत स्नेह पात्र मानत रिहिस। बिरजु महाराज के जनम तको रायगढ़ म होइस। अच्छन महाराज जइसे प्रतिभाशाली लोगन ले सीखे के मउका मिले रिहिस अउ कत्थक के शानदार यात्रा रायगढ़ घराना के प्रोत्साहन ले सुरू होइस।

रामलाल बरेठ बतावत हावयं के पहिली फिलिम म शास्त्रीय संगीत अउ नृत्य के बड़ा मान होवत  रिहिस। फिलिम के खातिर तको काम करे वाला अमीर खां साहब के बहुत निकट संबंध रायगढ़ घराना ले रिहिन। अभिनेत्री सुलक्षणा पंडित के पिता तको रायगढ़ घराना ले जुरे रिहिन।

अच्छा बात ये हावय के रामलाल बरेठ अगली पीढ़ी ल तको कत्थक के खातिर दीक्षित करत हावयं। ओमन बताइन के उंकर बबा, पिता जी कत्थक ले जुड़े रिहिन अउ अब बेटा तको कत्थक ले जुड़े हावयं।

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