सिनेमा में लोरी गीत के नवा इतिहास: 'जुगूर जुगूर जुग जुगावत रा'... गीत म लइका ल दुलरावत माता-पिता अउ अभिभावक बनावथे रोज वीडियो

अंजोर
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छत्तीसगढ़ी सिनेमा। चकोर फिल्मस के बैनर तरी बने छत्तीसगढ़ी फिल्म 'बेटा' के लोरी गीत ल न सिरिफ मनोरंजन बर सुने जावथे बल्कि अब माता-पिता अउ अभिभावक मन लइका मन ला पुचकारत, दुलरावत, भुलवारत गुनगुनावत तको हावय। 'बेटा' के ये लोरी गीत 'जुगूर जुगूर जुग जुगावत रा बेटा मोर हीरा...' म रोज के रोज हजारों रिल्स बनत हावय। अऊ जतका झिन मन रिल्स बनावत हे ओकर ले दोगुना लोगन मन लोग-लइका ल दुलार करत जुगूर जुगूर जुग जुगावत रा ल गुनगुनावत रिथे। क्रिएटिव विजन म रिलीज गीत ल अब तक 6 लाख ले आगर लोगन मन देख डारे हावय अउ 40 हजार के लगभग रिल्स बन चुके हावय।

लोक जीवन म लोरी गीत के महत्ता उही माता-पिता अउ अभिभावक मन जान सकथे जेन मन अपन लइका ल अपन करेजा के टुकड़ा मानथे, अउ कोनो भी गीत के परिकल्पना तभे सार्थक होथे जब लोक जीवन म ओ गीत ल बउरे जाथे। ये माइने म बेटा फिल्म के जुगूर जुगूर गीत सिरतोन म सहराये लइक हावय। ये गीत ल गुनगुना के अब माता-पिता अउ अभिभावक मन अपन-अपन लइका ल दुलारथे-भुलियारथे अउ पुचकारथे। लइका मन ये गीत ल सुनके कलेचुप सुत तको जथे। केहे के मतलब लइका मन ह तको गीत के भाव अउ शब्द ल ओरखत ओकर धुन म नींद के दुनिया म चले जाथे।

40 हजार के लगभग अइसे गाना के रिल्स बनना जेमा सिरिफ लइका के लाड़ प्यार अउ दुलार के भाव उमड़े, सिरतोन म बहुत बड़े उपलब्धि आए। काबर के जेन दौर म टूरी-टूरा के नोंकझोंक अउ हांसी-ठ्टठा के गोठ होवथे तब नान्हे लइका बर मया पलपलाये गीत के आना जोखिम रिहिस। लेकिन महतारी-बाप अउ सगा-लागमानी मन लइका ल पाके ‘जुगूर जुगूर’ गुनगुनाके चकोर फिल्मस के मेहनत ल साकार कर दिस।

ये गीत अभीच भर नइ बल्कि चिरकाल तक लोगन म लइका मनके प्रति मया ल उजागर करत कोरा के नान्हे नोनी-बाबू ल थपकी देही। गांव-गांव कोति ले आरो मिलत हावय के जेन मन सोशल मीडिया म हावय तेन मन तो रिल्स बनाके अऊ सोशल मीडिया म परोस देथे लेकिन जेन मन सोशल मीडिया अउ इंटरनेट ले दूरिहा हावय तेनो मन जुगूर जुगूर गुनगुनावत लइका मनला भुलवारत रिथे। इहां तक के गांव को‍ति तो छट्ठी-बरही म रामायण, भजन अउ सोहर गवइया मन तको फिल्म ‘बेटा’ के गीत ल गाथे अउ घर वाले मनके तको जुगूर जुगूर गीत के विशेष फरमाइस रिथे।

शुरूआत के रिल्स म कलाकार अउ क्रियेटर मनके उदीम दिखिस। ओकर बाद महतारी मन अपन-अपन लइका ल दुलार करत रिल्स शेयर करिन। अब बूआ, दीदी, बहिनी मन रिल्स बनावत हाबे। इहां तक के कका-बाबू मन तको घतेच रिल्स शेयर करे हावय। डोकरी दाई अउ बबा तो मोबाइल-सोबाइल ल नइ जाने लेकिन गीत के मरम ल ओही मन गजब जानथे। डोकरी दाई अउ बबा के ही बड़ई ही असल आए। अवइया दिन जब फिलिम सिनेमाघर म लगही तव निश्चित ही ये गीत के लोकप्रियता अउ गजबे बाड़ही काबर के जब सिनेमा म कहानी के संग गीत के भाव परगट होही तव सबो देखइया-सुनइया के चोला मगन हो जाही।

लोरी गीत के महत्ता-

पुरखा सियान मन बताथे के लोरी गीत म अद्भुत शक्ति होथे जेकर स्वरलहरी ह लइका के चंचल मन ल शांति देवत नींद ल बलाथे। येहा 2000 ईसा पूर्व ले गुननुनाय जावथे। छत्तीसगढ़ के संदर्भ कहे जाए तो छत्तीसगढ़ के बेटी माता कौसल्या ह बालक राम ल दुलारे बर तको लोरी गीत गुनगुनाय रिहिस। जेकर वर्णन तुलसीदास के गीतावली म मिलथे। इही रकम ले सूरदास डहर ले मइया यशोदा के कान्हा बर गाये लोरी के तको आरो मिलथे। अइसने केउ ठी पोथी-पुरान मन लोरी गीत के महत्ता के गुनगान करथे।

छत्तीसगढ़ी सिनेमा म लोरी गीत-

छॉलीवुड म सैकड़ों फिलिम के निर्माण होगे हावय जेमा से कुछ ही आर्ट फिल्म के रूप म आरूग छत्तीसगढ़ी संस्कृति ल देखाये के जोखिम उठाये गे हावय। जेमा एक नाम निर्माता/ निर्देशक चंद्रशेखर चकोर के तको आथे। चंद्रशेखर चकोर के अवइया फिल्म बेटा म लोरी गीत के प्रयोग करे गे हावय। जेन अभी सोशल मीडिया म गजब लोकप्रियता बटोरत हावय। अइसने अउ कुछेक फिल्म म लोरी गीत के बानगी देखे बर मिले रिहिस। बेटा के जुगूर जुगूर जन मानस म अच्छा मया दुलार पावत हाबे।

हिन्दी सिनेमा म लोरी गीत-

तइहा जुग ले जेन गीत ल गुनगुनाये जावथे त भला सिनेमा म कइसे ओकर प्रभाव नइ दिखही। हिन्दी सिनेमा म शुरूआती दौर माने ब्लैक एंड व्हाइट के समय ले ही लोरी गीत के प्रभाव देखे जावथे। जेन गीत मन आजो लोगन के जुबान म हावय। सो जा राजकुमारी सो जा... फिल्म जिंदगी (1940)। धीरे से आजा री अंखियां में... फिल्म अलबेला (1951)। आ जा री आ निंदिया तू आ... फिल्म दो बीघा जमीन (1953)। नन्ही कली सोने चली... फिल्म सुजाता (1959)। लल्ला लल्ला लोरी... फिल्म मुक्ति (1977)। आ री आ जा, निंदिया तू ले चल... फिल्म कुंवारा बाप (1974)। आ जा निंदिया आ जा, नैनन बीच... फिल्म लोरी (1984)। तुझे सूरज कहूं या चंदा... फिल्म एक फूल दो माली (1969)। झूमे रे झूमे रे ओ मेरी गोद में तारे झूमे... फिल्म परवरिश (1958)। मैं गांव तुम सो जाओ... फिल्म ब्रह्मचारी (1967) जइसन अब तक हजारों गीत ह मां के ममता ले ओत प्रोत हावय।

छत्तीसगढ़ी लोरी गीत-

छत्तीसगढ़ी म लोरी गीत के गोठ करन तव इहां 1971 के बाद ले ही जेन लोकगीत के क्षेत्र म नवा जुग के शुरूआत करे रिहिस दाउ रामचंद्र देशमुख जी ह चंदैनी गोंदा के माध्यम ले, ओकर बाद तो छत्तीसगढ़ी गीत सिरजन के बरोड़ा आगे। जतेक भी बड़का कलाकार होइस सबोच मन सोहर अउ लोरी गइन। गांव गांव के रामायण मंडली वाले मन छट्ठी-बरही म हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी के संग पैरोडी गाइन। अउ जब वीडियो एल्बम के दौर अइस जब ममता चंद्राकर, कविता वासनिक, साधना यादव, दुखिया बाई, कुलवंतिन मिर्झा, छाया चंद्राकर, अलका चंद्राकर, जितेश्वरी सिन्हा, स्वेच्छा साहू, महक रात्रे जइसे कतकोन लोक गायिका मन संस्कार गीत जनता ल परोसिस। 

  • फिल्म- बेटा 
  • निर्माता/निर्देशक/लेखक- चंद्रशेखर चकोर
  • सह निर्देशक- राजेंद्र देवांगन
  • कास्ट- पुमंगराज, हेमा शुक्ला, चंद्रशेखर चकोर, शालिनी विश्वकर्मा, लेखा नायक, शिव आनंद, घनश्याम वर्मा, सुदामा शर्मा, मीना विश्वकर्मा, बलराज पाठक, सरला सेन, मिथलेश निषाद, उत्तम ठाकुर, भुनेश्वर धनगर, रविन्द्र बघेल, गजेन्द्र साहू, जागेश्वर, प्रियांश, कुलेश्वर ध्रुव, परमेश्वर कोसे, प्रमिला रात्रे, राजेन्द्र देवांगन, संजय बघेल, सुशांत सिंह आदि। 
  • गीत/संगीत- चंद्रशेखर चकोर
  • स्वर- महोदव हिरवानी, छाया चंद्राकर, अलका चंद्राकर, कंचन जोशी, दीक्षा धनगर, घनयाम वर्मा 
  • कोरियोग्राफर- मनोज दीप, राम यादव, सतीश साहू
  • कैमरा/डी.ओ.पी- पवन रेड्डी
  • संपादन- नारायण सिंह वर्मा
  • वितरक- अमन फिक्चर्स, अलक राय
  • संगीत लेबल- क्रिएटिव विजन, दिग्विजय वर्मा
  • भाषा- छत्तीसगढ़ी

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महतारी भाखा के सम्मान म- पढ़बो, लिखबो, बोलबो अउ बगराबोन छत्तीसगढ़ी।

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