वरिष्ठ साहित्यकार रामेश्वर शर्मा के गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ले सम्मानित कृति 'छत्तीसगढ़ी काव्य एक विहंगम दृष्टि' के होइस विमोचन

अंजोर
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वरिष्ठ साहित्यकार रामेश्वर शर्मा के गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ले सम्मानित कृति 'छत्तीसगढ़ी काव्य एक विहंगम दृष्टि' के होइस विमोचन



अंजोर.रायपुर। छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ साहित्यकार, गीतकार रामेश्वर शर्मा के गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ले सम्मानित कृति 'छत्तीसगढ़ी काव्य एक विहंगम दृष्टि' के दूसरइया संस्करण के विमोचन 16 जून के वृंदावन हाल रायपुर म होइस। ये मउका म मुख्य अतिथि के रूप म वरिष्ठ गीतकार रामेश्वर वैष्णव, अध्यक्षता भाषाविद डॉ. चितरंजन कर अउ विशिष्ट अतिथि के रूप म अरूण निगम संस्थापक छंद के छ, बलदाऊ राम साहू बाल साहित्यकार, अऊ प्रमुख वक्ता के रूप म डॉ. राजन यादव विभागाध्यक्ष हिन्दी इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ मंच म विराजमान रिहिन।

पुस्तक के विमोचन करत अतिथि मंच अउ सदन

पत्रकार अउ दूरदर्शन एंकर शशांक खरे के संचालन म कार्यक्रम म जुरियाए पहुना मन के हाथ ले रामेश्वर शर्मा जी के गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ले सम्मानित कृति 'छत्तीसगढ़ी काव्य एक विहंगम दृष्टि' के विमोचन होइस, तेकर पाछू पहुना मन ओसरी पारी अपन विचार रखिन। ये मउका म मुख्य अतिथि रामेश्वर वैष्णव जी ह किहिन के रामेश्वर शर्मा के कृति म बहुत सराहनीय हाबे, अइसन बड़े काम करे के भाग उंकर हाथ लिखे रिहिन तेकर सेती ओमन अतेक बड़का कृति के सिरजन कर डारिस। येमा मोरो योगदान ये सेती हावय काबर के येकर कल्पना मोरे रिहिसे। डॉ. बलदेव साव के बाद, अब ओकर असन दूसर समीक्षक नइ अइस। उन ‘छत्तीसगढ़ी कविता के सौ साल’ म एक युग ल समेटे के कोशिश करे रिहिन। उही कड़ी म आज 350 रचनाकार मनके कविता, गीत, गजल, छंद, दोहा, चौपाई, कुण्डलिया, मुक्तक के दूसरइया सोपान हमर बीच 'छत्तीसगढ़ी काव्य एक विहंगम दृष्टि' के रूप म अइस। आज के समय म अच्छा अउ निष्पक्ष समीक्षा करने वाला के कमी हावय, जेन किसम ले काव्य ल लेके रामेश्वर शर्मा जी काम करिस अउ उंकर कृति ह गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड म शामिल होइस, इही रकम ले आन विधा के तको समीक्षा होना चाहिए।

गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के स्टेट प्रभारी रामेश्वर शर्मा के सम्मान करत


कार्यक्रम म आगू अपन बात रखत छंद के छ के संस्थापक अरूण निगम जी मन किहिन के आज के समय के लेखन अउ तइहा के सियान मनके लेखन म बहुत फरक होगे हावय, बहुत अकन अइसे चीज जेला आज के लइका मन देखेच नइये त उंकर लेखन म ओ आबे नइ करे। हमर सियान मन वो दौर म छत्तीसगढ़ी के माहौल बनाइस जब छत्तीसगढ़ म छत्तीसगढ़ी ल हिन भावना ले देखे जात रिहिस। रामेश्वर शर्मा जी के ये कृति म तीन पीढ़ी के रचनाकार मनके रचना ल शामिल करे गे हावय अउ सबसे जादा मोला खुशी होइस जब हमर छंद के छ परिवार के 80 ले आगर छंदकार मनके रचना शामिल हावय। 

रामेश्वर शर्मा के हाथ ले अजय साहू के सम्मान


ये मउका म बाल साहित्यकार बलदाऊ राम साहू जी किहिन के निश्चित ही बड़े काम आए, जेन रामेश्वर शर्मा जी के ही बस के बात रिहिस। चारो मुड़ा के कलमकार मनके रचना ल सकेलना अउ सबो विधा के चुन-चुनके चुनिंदा ल संकलित कर किताब के रूप म प्रकाशित कराना बहुत बड़े काम होइस। कार्यक्रम म आगू अपन बात रखत डॉ. राजन यादव जी ह पुरखा सियान मनके रचना ले समां बांधत काव्य म गीत, कविता, गजल परंपरा बर संसो करत किहिन के पुरखा सियान मनके योगदान ल विस्मित नइ करे जा सके। ये ऐतिहासिक कृति आए अऊ आगू घलोक गद्य विधा म तको समीक्षा के जरूरत हावय। 

गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के स्टेट प्रभारी डहर ले मनीराम साहू के सम्मान


आखिर म कार्यक्रम के अध्यक्षता करत भाषाविद डॉ. चितरंजन कर जी ह सबो वक्ता मनके केहे बात के सार ल निकालत किहिन के निश्चित ही ये किताब नवा पीढ़ी खातिर बहुत ही उपयोगी साबित होही, अऊ काव्य ही काबर आन सबो विधा के अइसन ठोस समीक्षात्मक कृति प्रकाशित होना चाहिए, येकर ले शोध करइया मन बर विषय के भंडार निकलही, अउ हमर भाषा ह पोट्ठ होही। डॉ. बलदेव साव के बाद अब रामेश्वर शर्मा जी ह बड़ ऐतिहासिक बुता करिस तेकर बर उनला बधाई अउ शुभकामना।

जानबा होवय के ये पुस्तक के दूसरइया संस्करण आए। पहिली संस्करण ह 2022 म अभिव्यक्ति प्रकाशन नई दिल्ली ले छपे रिहिस। 300 पृष्ठ के किताब के कीमत हावय 460 रूपिया। मिले आरो के मुताबिक पहिली संस्करण के हजारों प्रति राज्य सरकार कोति ले खरीदी करके प्रदेशभर के ग्रंथालय मन म पठोय जा चुके हावय। अब दूसरइया संस्करण ल 2024 म स्वयं अउ साहित्यकार मनके सहयोग ले रायपुर ले प्रकाशित करे गे हावय। जेमा छत्तीसगढ़ी काव्य, बाल-साहित्य, वीर रस, हास्य रस, व्यंग्य, दोहा, चौपाई, कुण्डलिया, वर्णिक छंद, कविता, मुक्तक, गजल, मुक्तछंद, गीत ल रेखांकित करत 350 रचनाकार ल शामिल करे गे हावय।

कार्यक्रम म वरिष्ठ साहित्यकार गीतकार रामेश्वर शर्मा ह अपन कृति 'छत्तीसगढ़ी काव्य एक विहंगम दृष्टि' के शुरूआत ले अब प्रकाशन तक जेन-जेन समस्या ले गुजरिस तेकर आरो कराइन। लगभग 50-52 बच्छर ले साहित्य सेवा म निरंतर लगे शर्मा जी के आत्मीयता अउ सादगी के सबो कायल हावय, ये सेती उंकर बेरा-बेरा म लोगन मन बिन कहे सेवा म आगू आ जाथे। अऊ रामेश्वर शर्मा जी तको ककरो योगदान ल नइ बिसारे, जतका मन ले जुन्ना रचनाकार मनके मदद करथे ओतके मन ले नवा कलमकार मनला पंदउली तको देथे। रामेश्वर शर्मा जी ह मंच ले ये बात किहिन के ये कृति मोरे भर नोहय, ये तुंहरे कृति आए अउ तुंही मनला समर्पित करत हवं। 

रामेश्वर शर्मा डहर ले अतिथि सुवागत के संग कृति म विशेष सहयोग देवइया गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के स्टेट प्रभारी, साहित्यकार आशीष ठाकुर, इंद्रदेव यदु, मिनेश साहू, अजय साहू, मनीराम साहू अउ किताब के कंपोजिंग करइया कन्हैया यादव के तको सम्मान करे गिस। नेवताए पहुना मनके आभार मानिस डॉ. वेणुधर रौतिया लॉ प्रोफेसर पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर। कार्यकम म विशेष रूप ले बंधुराजेश्वर खरे, राजेश चौहान, चंद्रेशखर चकोर, गोविंद धनगर, लोकनाथ साहू, जयंत साहू, जगदीश साहू, कन्हैया साहू, रितुराज साहू, विवेक यदु, लीलाराम साहू, दुष्यंत साहू, डॉ. हितेश तिवारी, डॉ. विभाषा मिश्र, डॉ. प्रभात मिश्र सहित प्रदेशभर के अऊ साहित्यकार मन जुरियाए रिहिन।
- जयंत साहू
संपादक 'अंजोर' छत्तीगढ़ी वेब पोर्टल

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