अंजोर.रायपुर। छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ी अउ छत्तीसगढ़िया जन-मन के जागरण दूत जागेश्वर प्रसाद के लिखे 'छत्तीसगढ़ के विभूति' पुस्तिका के विमोचन आज नगर के ऐतिहासिक जगह आनंद समाज वाचनालय म होइस। ए मउका म कार्यक्रम के माई पहुना के रूप म टंकराम वर्मा खेलकूद अउ युवा कल्याण, राजस्व अउ आपदा प्रबंधन मंत्री छत्तीसगढ़ शासन, अध्यक्षता अरविंद मिश्रा वरिष्ठ लेखक, अध्यक्ष भारतीय सांस्कृतिक निधि छत्तीसगढ़ अउ बिसेस पहुना के रूप म डॉ. के. के. अग्रवाल वरिष्ठ इतिहासकार, जी.पी. चंद्राकर राज्य आंदोलनकारी बिसेस रूप ले मौजूद रिहिस।
'छत्तीसगढ़ के विभूति' के नाम ले प्रकाशित पुस्तिका म बाबा गुरू घासीदास, शहीद वीर नारायण सिंह, पं. सुंदरलाल शर्मा, ठाकुर प्यारेलाल, बैरिस्टर छेदीलाल, पं. मुकुटधर पांडेय, पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी, घनश्याम सिंह गुप्त, लोचन प्रसाद पांडेय, पं. रविशंकर शुक्ल, ई. राघवेन्द्र राव, कंगला मांझी, गुंडाधुर, यति यतनलाल, मंदराजी दाऊ, चक्रधर सिंह, हीरालाल काव्योपाध्याय, बिलासा केंवटिन, मिनी माता, डॉ. खूबचंद बघेल, झाडूराम देवांगन, दाऊ रामचंद्र देशमुख, सुरूज बाई खांडे जइसे 38 विभूति के संक्षिप्त जीवनी ल सचित्र प्रकाशित करे गे हावय।
ए मउका म वरिष्ठ रंगकर्मी विजय मिश्रा के संचालन म कार्यक्रम ल संबोधित करत वरिष्ठ गीतकार रामेश्वर वैष्णव ह किहिन के जागेश्वर प्रसाद जी ह अपन जिनगी म अतका काम करे हावय के वो स्वयं तको एक विभूति हावय। आज उंकर 79वां जन्मदिन के मउका म राज्य के महान विभूति के जीवनी के संकलन हमर बीच आये हावय निश्चित ही येकर ले युवा मन ल छत्तीसगढ़ के महापुरूष मनके बारे म जानकारी मिलही।
जानबा हो के जागेश्वर प्रसाद जी अलग छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलनकारी म पहिली पंक्ति के मनखे रिहिन हावयं। केऊ किसान आंदोलन के सफलता पूर्वक अगुवई करत ओमन गरीब मजदूर मन ल उंकर हक दिलाये हावयं। जागेश्वर प्रसाद जी छत्तीसगढ़ी भाषा के खातिर आज तको संघर्षरत हावय ओमन छत्तीसगढ़ी भाषा के पहिली मासिक पत्रिका 'छत्तीसगढ़ी सेवक' के संपादन करिन हावय, ओला छत्तीसगढ़ी पत्रकारिता के पुरोधा केहे जाथे। जागेश्वर प्रसाद जी अपन जन्मदिन ल खास बनाये के खातिर छत्तीसगढ़ के विभूति म किताब लिखते हावयं। बिते साल तको 'हीरा छत्तीसगढ़' नामक कृति के विमोचन होए रिहिस।
कार्यक्रम ल संबोधित करत माई पहुना टंकराम वर्मा खेलकूद अउ युवा कल्याण मंत्री ह राज्य आंदोलनकारी जागेश्वर प्रसाद जी ल उंकर जन्मदिन अउ 'छत्तीसगढ़ के विभूति' पुस्तक विमोचन के बधाई अउ सुभकामना दीस। अपन उद्बोधन म ओमन किहिन के आज अइसे विभूति के बीच आके मैं आनंदित हवं जेकर हमन नानपन म बहुत नाम सुनेे रेहेन। इहां बड़े-बड़े कलाकार, साहित्यकार, किसान नेता मौजूद हावयं, अउ मैं त बहुत छोटकन सेवक हवं। मैं बलौदाबाजार जिला के बहुत ही पिछड़े गांव ले आथवं, जिहां बिजली तको नइ रिहिस अउ न ही स्वतंत्र पंचायत रिहिस। उहां के मैं ही पहिली पढ़े-लिखे, नौकरीपेशा व्यक्ति हवं। टंकराम वर्मा जी छत्तीसगढ़ी भाषा, खान-पान अउ कलाकार मन ल सुरता करत जनकवि लक्ष्णय मस्तुरिया के परसिध गीत- ‘तरिया के पानी म मन भर नहाले...’ ले कार्यक्रम म मौजूद लोगन ल भावविभोर कर दिस।
ए मउका म वरिष्ठ इतिहासकार डॉ. के. के. अग्रवाल ह किहिन के बहुत आश्चर्य होवत हावय राष्ट्रीय आंदोलन के इतिहास ल पढ़के, छत्तीसगढ़ के इतिहासकार मनके बहुत कम नाम के ही उल्लेख मिलत हावय। जबकि हजारों के संख्या म छत्तीसगढ़ के आंदोलनकारी रिहिस। इहां तक के सरकार के पास तको सही जानकारी नइ हावय बड़ दुख होवत हावय, आंदोलनकारी के अइसे दशा देखके। ओमन जेन काम करिन हावय उंकर सही सम्मान नइ मिल पात हावय। स्वतंत्रता आंदोलन के रकम ले ही आज छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन म अघुवा भूमिका निभाने वाला तको उपेक्षित होत हावय अउ जेकर कोनो योगदान नइये वो फायदा लेत हावयं। मोर सरकार ले निवेदन हावय के जेन रकम ले वो स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, लोकतंत्र सेनानी ल सम्मान देत हावयं, उही रकम ले राज्य आंदोलनकारी मन ल तको सम्मान दे।
कार्यक्रम म आगू अपन बात रखत राज्य आंदोलकारी जी.पी. चंद्राकर जी ह जागेश्वर प्रसाद के योगदान ल रेखांकित करत किहिन के वो खुद एक विभूति हावयं। चाहे राज्य आंदोलन हो, किसान आंदोलन हो या भाषाई आंदोलन जागेश्वर प्रसाद जी पहिली पंक्ति म रिहिन हावयं। अंत म कार्यक्रम के अध्यक्षता करत वरिष्ठ रंगकर्मी अरविंद मिश्रा जी ह किहिन के जागेश्वर प्रसाद जी ल उंकर योगदान के बदला कोनो बहुत बड़का राजनीतिक पद तको मिल जाए त उंकर खातिर छोटे हावय। उंकर कर्म अतका बड़का हावय के उंकर आगू बड़े कोनो पद मायने नइ रखे। महात्मा गांधी ह देश के आंदोलन म जेन योगदान दे हावय ये कोनो ले छिपा नइये, अउ गांधी ह उंकर बदले कोनो पद नइ लिस। वइसने ही हमर जागेश्वर प्रसाद जी हावय जेन मन छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ी अउ छत्तीसगढि़या स्वाभिमान ल जगाये के खातिर बहुत आंदोलन करे हावय।
कार्यक्रम म बिसेस रूप ले किसान नेता अनिल दुबे, वरिष्ठ पंडवानी गायक चेतन देवांगन, भाषा आंदोलनकारी नंदकिशोर शुक्ल, लता राठौर, वैभव पांडेय, जयंत साहू, संजीव साहू, ईश्वर साहू, मिनेश साहू, डॉ सुधीर शर्मा, डॉ. दिनदयाल साहू, गुलाल वर्मा, अशोक कुमार सहित अंचल के कई नामचीन साहित्यकार अउ इतिहासकार मौजूद रिहिस।
विशेष समाचार- जयंत साहू
संपादक 'अंजोर' वेब पोर्टल
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