छत्तीसगढ़ी समाचार अनुवादक जयंत साहू
झुलसा रोग:- कृषि विज्ञान केन्द्र डहर ले धान म लगे वाला झुलसा रोग के बारे म किसान मन ल जानकारी दीस के ये कवक जनित रोग हावय जेन धान म पौधा ले लेके बाली बने तक के हालत तक ए रोग के आक्रमण होथे।
झुलसा रोग के लक्षण:- येकर लक्षण पाना, तना के गाठ अउ धान के बाली म प्रमुख रूप ले देखेे जा सकत हाबे। रोग के प्रारंभिक हालत म निचली पत्ता म हल्का बैगनी रंग के छोटे- छोटे धब्बे बनथे, जेन धीरे-धीरे बढ़के आँखी के समान बीच म चौडा अउ किनाने म संकरा हो जाथे जेन बढ़के नाव के आकार के हो जाथे जेला पत्ति ब्लास्ट किथे, आगू चलके ये रोग के आक्रमण तने के गाठ म होत हावय जेकर ले गाठ म काला घाव देखेे जाथे। रोग ले ग्रसित गठान टूट जाथे जेला नोड ब्लास्ट कहत हावय धान म जब बाली निकलत हावय वो समय प्रकोप होए म धान के बाली म सड़़न पैदा हो जाथे अउ हवा चले ले बाली टूट के गिर जात हावय। जेला पेनिकल झुलसा रोग कहत हावय येकर रोकथाम के खातिर प्रभावी उपाय अपनाना चाही।
धान के झुलसा रोग बर खास उपाय:-
- खेत ल खरपतवार मुक्त रखे अउ जुन्ना फसल के बाँचे-खोंचे ल नष्ट कर दे।
- प्रमाणित बीजहा के चयन करें।
- समय म बुवाई करें अउ रोग प्रतिरोधी किस्म के चयन करें।
- जुलाई के पहिली सप्ताह म रोपाई पूरा कर ले, देर ले रोपाई करे म झुलसा रोग लगे के प्रकोप बढ़ जाथे।
धान के झुलसा रोग के दवई अउ सावधानी:-
- इलाज करे के खातिर जैविक कवकनाशी ट्राइकोडर्मा विरीडी 4 गांव प्रति कि.ग्रा.बीज या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस 10 गांव प्रति कि.ग्रा. बीजहा दर ले उपचारित करें या रासायनिक फफूँद नाशक कार्बेन्डाजिम 2 गांव प्रति कि.ग्रा.बीज के दर ले उपचारित करें।
- संतुलित अकन पोषक तत्व के उपयोग करें।
- झुलसा रोग के प्रकोप के स्थिति म यूरिया के प्रयोग न करें।
- कली अउ बाली निकलत समय खेत म नमी रखें। रोग के प्रारम्भिक लक्षण दिखते ही ट्राईफ्लॉक्सी स्ट्रोबिन 25 परतिसत टेबूकोनाजोल 50 परतिसत डब्ल्यू जी 80.100 गांव प्रति एकड़ या ट्राईसाइक्लाजोल 75 परतिसत डबल्यूपी 100.120 गांव प्रति एकड़ या आइसोप्रोथियोलेन 40 परतिसत ईसी. 250 दृ 300 मिले प्रति एकड़ या एजोक्सिस्ट्रबिन 16.7ः अउ ट्रायसाइक्लोजोल 33.3ःए सी के 200 मिली/एकड़ के दर ले जरूरत नुसार प्रभावित फसल मन म छिड़काव करें।
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