पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचार

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पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचार भारतीय समाज और राजनीति के विभिन्न पहलुओं पर गहरे विचार प्रदान करते हैं। उनके कुछ प्रमुख विचार निम्नलिखित हैं:

1. एकात्म मानववाद
उपाध्याय का 'एकात्म मानववाद' सिद्धांत यह दर्शाता है कि मानवता का विकास केवल आर्थिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज में सभी वर्गों का समान विकास आवश्यक है।

2. भारतीय संस्कृति और मूल्य
उपाध्याय ने भारतीय संस्कृति को विशेष महत्व दिया। उनका मानना था कि संस्कृति ही किसी भी राष्ट्र की पहचान है, और उसे संरक्षित करना और आगे बढ़ाना आवश्यक है। उन्होंने भारतीय मूल्यों को आधुनिकता के साथ जोड़ने का प्रयास किया।

3. समाजवाद
उपाध्याय ने समाजवाद का समर्थन किया, लेकिन उन्होंने इसे भारतीय संदर्भ में देखा। उनका विचार था कि समाज का विकास केवल आर्थिक लाभ के लिए नहीं, बल्कि समाज के सभी वर्गों के उत्थान के लिए होना चाहिए।

4. ग्रामीण विकास
उपाध्याय ने ग्रामीण क्षेत्रों के विकास को प्राथमिकता दी। उनका मानना था कि भारत की वास्तविक शक्ति उसके गाँवों में निहित है। उन्होंने ग्रामीण उद्योगों और कृषि के विकास पर जोर दिया।

5. राष्ट्रीयता
उपाध्याय ने भारतीय राष्ट्रीयता को एकता और अखंडता का प्रतीक माना। उनका मानना था कि राष्ट्रीयता का विकास केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी होना चाहिए।

6. शिक्षा
उपाध्याय के अनुसार, शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञानार्जन नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण भी होना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों को नैतिक मूल्यों के साथ-साथ आधुनिक ज्ञान भी प्रदान करने की बात की।

7. आत्मनिर्भरता
उपाध्याय ने आत्मनिर्भरता पर बल दिया। उनका मानना था कि भारतीय समाज को विदेशी निर्भरता से मुक्त होना चाहिए और अपने संसाधनों का उपयोग करके आत्मनिर्भर बनना चाहिए।

इन विचारों के माध्यम से पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने भारतीय समाज और राजनीति में एक नई दिशा प्रदान की। उनके सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं और समाज के विभिन्न वर्गों के उत्थान में मार्गदर्शन करते हैं।


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