Preservation of tribal languages ​​and Indian multilingualism जनजाति भाषा अउ भारतीय बहुभाषावाद के संरक्षण : नीति अउ व्यवहार म राष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन

अंजोर
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छत्‍तीसगढ़ी समाचार अनुवादक जयंत साहू

एनटीआरआई अउ सीएफईएल, विश्वभारती विश्वविद्यालय डहर ले भाषा भवन, शांति निकेतन म 12 अउ 13 सितंबर 2024 के हाइब्रिड मोड म आदि व्याख्यान 06 ː प्रौद्योगिकी के उपयोग करके “जनजातीय भाषा अउ भारतीय बहुभाषावाद के संरक्षण: नीति अउ व्यवहार म राष्ट्रीय संगोष्ठी” शीर्षक के तहत एक समिलहा अकादमिक सभा आयोजित के गे रिहिस।

देश भर ले भाषाविद, डोमेन विशेषज्ञ, क्षेत्रीय विशेषज्ञ, विद्वान अउ आदिवासी समुदाय के प्रतिनिधि मन सहित 40 ले जादा शोध पाती प्रस्तुतकर्ता मन ह संगोष्ठी के विषय के तहत विविध उप-विषय म अपन काम प्रस्तुत करिन।

कार्यक्रम के औपचारिक उद्घाटन विश्वभारती के माननीय कुलपति (कार्यवाहक) प्रो. बिनॉय कुमार सरेन ह करिन। प्रो. सरेन ह अपन उद्घाटन भासन म आदिवासी भाषा के संरक्षण के महतव म बात करिस। ओमन कहिन के जब एक आदिवासी भाषा मर जात हावय, त अक्सर पर्यावरण अउ टिकाऊ जिनगी ले जुड़े बहुमूल्य मौखिक इतिहास, रीति-रिवाज अउ स्वदेशी ज्ञान खो जात हावयं। भाषा संरक्षण ले आदिवासी समुदाय सशक्त बनत हावयं अउ येकर ले देश म बहुभाषावाद ल बनाए रखे म धियान केंद्रित करत पीढ़ीगत पहचान, गौरव अउ निरंतरता ल प्रोत्साहन मिलत हावय।

एनटीआरआई के बिसेस निदेशक प्रो. नुपुर तिवारी ह कार्यक्रम म अपन संबोधन म जनजाति भाषा के संरक्षण के अभिनव पहल के उदाहरण म विस्तार ले बताइन अउ किहिन के ए कार्यक्रम के माध्यम ले एनटीआरआई के उद्देश्य जनजाति भाषा के संरक्षण, सुरक्षा अउ संवर्धन म अकादमिक गोठबात ल प्रोत्साहित करे हावय, काबर के जनजाति समुदाय के संस्कृति, परंपरा अउ विरासत के संदर्भ म भाषा के खास महत्ता हावय।

प्रो. तिवारी ह सबोच कार्यक्रम म आने-आने विषय म विचार-विमर्श अउ गोठबात के खातिर एकत्रित होइस बहु-हितधारक के भागीदारी के माध्यम ले जनजाति विकास ले संबंधित विषय क्षेत्र ल संबोधित करे, मुद्दा अउ चुनौती के पहचान करे, रणनीति के बनाये अउ आगू के रद्दा म विचार करे के खातिर बहु-क्षेत्रीय परिप्रेक्ष्य आधारित आउटपुट दे के जनजाति मामला के मंत्रालय, भारत सरकार के मार्गदर्शन म राष्ट्रीय जनजाति अनुसंधान संस्थान डहर ले आदि व्याख्यान कार्यक्रम श्रृंखला के माध्यम ले करे जात ठोस प्रयास के बारे म तको बताइन।

विश्वभारती के लुप्तप्राय भाषा केंद्र के अध्यक्ष प्रो. मनोरंजन प्रधान ह प्रतिनिधि मन के आधिकारिक रूप ले स्वागत करिन अउ विशेषकर लुप्तप्राय भाषा के संदर्भ म विश्वभारती के गतिविधी अउ विश्वभारती म करे जात  रिहिन अनुसंधान अउ विकास बुता के परिचय दे। ओमन कहिन के मोला विश्वास हावय के ए सेमिनार म होए चर्चाएं बहुमूल्य जानकारी दे करही अउ बिसेस रूप ले शिक्षा प्रणाली अउ समाज म एनईपी-2020 म केंद्रित नीति के संदर्भ म हमर समुदाय म बहुभाषिकता ल बढ़ावा दे अउ समर्थन करे के खातिर नवा विचार ल प्रेरित करही।

विश्वभारती के सीईएफएल के संकाय डॉ. अरिमर्दन कुमार त्रिपाठी ह बिसेस रूप ले डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के देखत डिजिटल माध्य के उपयोग करके देश म बहुभाषिकता ल बनाए रखे म धियान केंद्रित करत होइस कार्यक्रम के उद्देश्य ल साझा करिन। ओमन सीएफईएल, विश्वभारती डहर ले विकसित वेब पोर्टल अउ एंड्रॉइड एप्लिकेशन के बारे म तको परिचय दीस।

संगोष्ठी के बखत गणमान्य मनखे मन डहर ले सीएफईएल, विश्वभारती डहर ले प्रकाशित लुप्तप्राय जनजाति भाषा म दू पुस्तक के विमोचन करे गिस। उद्घाटन सत्र म संगीत भवन विश्वभारती के पढ़इया लइका डहर ले उद्बोधिनी संगीत तको प्रस्तुत करे गिस। संगोष्ठी म प्रस्तुत शोध पाती के विस्तार करत होइस, मृत्युंजय प्रभाकर डहर ले निर्देशित “द ब्लाइंड ओपेरा” नामक एक नाट्य नाटक संगीत भवन के पढ़इया लइका डहर ले बहुभाषीय विधा म प्रस्तुत करे गिस। नाटक म भारत के बहुभाषीय विविधता ल दर्शाये गे अउ प्रतीकात्मक रूप ले सामिल करे गिस।

संगोष्ठी के समापन सत्र म गणमान्य मनखे मन डहर ले आदिवासी भाषा के अंग्रेजी-हिंदी-बांग्ला म अनुवाद करइया शब्दकोश के बनाये म योगदान के खातिर आदिवासी संसाधन मनखे मन ल सम्मानित करे गिस। आदिवासी संसाधन मनखे मन म कुरुख के खातिर प्रवत कोराज अउ महाली भाषा के खातिर संतोष टुडू सामिल रिहिस।

संगोष्ठी के समापन सबो हितधारक ल उंकर योगदान के खातिर धन्यवाद ज्ञापन अउ शोध पाती प्रस्तुतकर्ता ल परमान पाती बाटे के संग होइस।

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