लोक खेल के बाढ़िस मान, चंद्रशेखर चकोर के किताब ल गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड म मिलिस स्थान

अंजोर
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पारंपरिक लोक खेल के संरक्षण अउ संवर्धन बर पाछु 33 बच्छर ले जबर उदीम करत चंद्रशेखर चकोर के कारज ले आज गांव-गली के खेल ह 'छत्तीसगढ़िया ओलंपिक' आयोजन तक पहुंच गे हावय। का ये एके दू दिन के बात आए के सरकार हब ले 'छत्तीसगढ़िया ओलंपिक' करा दीस होही? नहीं येकर पाछू 33 बच्छर के चंद्रशेखर चकोर अउ ओकर संस्था के जबर परयास आए। गांव म चार आना के हार-जीत के खेल ह प्रतियोगिता बर नियमावली बनाये के ओखी होइस। अब ए नंदा झन जावय, ये जोंग के प्रदेशभर के गांव-गली के धुर्रा ल निकियावत खेल मनला एक पुस्तक के रूप देके सकला करे के उदीम करिस। जेन ल एसो के बच्छर 2024 म पारंपरिक लोक खेल के जानकारी बर प्रकाशित प्रथम पुस्तक के गौरव देवत गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड म सामिल करे हावय।

गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड म सामिल कृति 'लोकखेल नियमावली: एक पुनरीक्षण' हिन्दी म प्रकाशित हावय जेमा खेल के नियम प्रतियोगिता के रूप कइसे होना चाहि ये बात के जानकारी हावय। दूसर कृति 'छत्तीसगढ़ के पारंपरिक खेल' तको हिन्दी म हावय जेमा एक सैकड़ा ले आगर खेल के संकलन हावय। येकर अलावा ओमन के संस्था हरेक बच्छर खेल के वार्षिकांक छपत हावय तेन उपराहा।

चंद्रशेखर चकोर कोन? ...अऊ अइसे का-का काम करिस जानव...,

बच्छर 1989 म अपन उमर के 21वां साल म चंद्रशेखर चकोर ह लोकखेल गिल्ली डंडा के प्रतियोगिता के खातिर नवा नियम बनाइस। 1 जनवरी 1990 के अपन गांव कांदुल म 'नव सम्मत समिति' के गठन करके 11 जनवरी 1990 के प्रथम प्रतियोगिता आयोजित करिस, अऊ फेर हरेक साल येकर आयोजन सुरू कर दीस। 

प्रतियोगिता के उद्देश्य ले तुवे लंगरची, संखली, गोटा, फुगड़ी, बिल्लास, भौंरा, सोना चांदी, सुर पिट्‌टूल, गेड़ीगेंद जइसे बीस पांरपरिक खेल के खातिर नवा नियम तको बनाइस। जेन ह साल 2002 म प्रकाशित पुस्तक 'लोक खेल नियमावली: एक पुनरीक्षण' अउ पुधव पूक म संकलित हावय। ये पुस्तक के विमोचन तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी जी करे रिहिस। दूसरइया किताब के विमोचन तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह करे रिहिस।

पुस्तक के विमोचन करत तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी

पुस्‍तक के विमोचन करत तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह

राज्य स्तर म पारंपरिक खेल ल स्थापित करे खातिर साल 2004 म 'छत्तीसगढ़ प्रदेस लोकखेल एसोसियेसन' के गठन करके ओला शासन स्तर म पंजीकृत कराइन। रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, धमतरी, कांकेर, बालोद, गरियाबंद, महासमुंद, जांजगीर अउ बिलासपुर म जिला स्तरीय इकाई संघ के संग ही चंद्रशेखर चकोर के अगुवई म पंद्रह आन लोक खेल समिति मन के गठन करे गे हावय। 

चंद्रशेखर स्वयं के खरचा अउ जनसहयोग ले ग्राम, ब्लॉक अउ जिला स्तरीय पारंपरिक खेल के प्रतियोगिता आयोजित करत हावय। प्रतियोगिता खातिर कई निर्णायक तको तइयार करे गे हावयं, जेला आने-आने प्रतियोगिता म परखे जाथे। 33 साल के अपन कार्यकाल म ओमन लोक खेल म केंद्रित 250 ले जादा कार्यक्रम आयोजित करे हावयं। कार्यक्रम के माध्यम ले अब तक 50,000 ले जादा युवा मन अउ पढ़ईया मन ल पारंपरिक खेल ले जोड़ चुके हावय। चंद्रशेखर चकोर ह छत्तीसगढ़ शासन के खेल विभाग के संग मिलके साल 2008, 2010, 2011, 2012 अउ 2020 म पारंपरिक खेल म केंद्रित राज्य स्तरीय कार्यक्रम आयोजित करिस। साल 2012 अउ 2014 के राज्योत्सव म 30 सदस्य मन ह केऊ लोक खेल के प्रदर्शन करिन अउ पारंपरिक खेल के सामान ल प्रदर्शित करिस। 

छत्तीसगढ़ शासन संस्कृति विभाग के खातिर शिल्प मड़ई म साल 2003 अउ 2004 म स्वदेशी खेल सामान के स्टॉल लगाये गिस, उहें राजिम मेला 2019 अउ 2020 म अपन 35 सदस्य मन के संग आने-आने लोक खेल के रोज प्रदर्शन अउ प्रतियोगिता आयोजित करिस। पर्यटन विभाग खातिर लोक प्रसंग 2012 के मउका म 30 सदस्य मन के संग पुरखौती मुक्तांगन म तीन दिन तक प्रदर्शन करिन। 

भारत सरकार के पहल एक भारत श्रेष्ठ भारत के ले गुजरात के बड़ोदरा म अपन 52 संगी मनके संग गिल्ली डंडा प्रतियोगिता म हिस्सा लिस। छत्ती़सगढि़या मन सबोच वर्ग म विजेता रिहिन अउ तुवे लंगरची, गेड़ी बॉल, फुगड़ी अउ सुर पिट्टूल के तको प्रदर्शन होइस। चंद्रशेखर चकोर ह छत्तीसगढ़ राज्य के बाहिर नागपुर महाराष्ट्र, भोपाल मध्यप्रदेश, जमशेदपुर, झारखंड म तको पारंपरिक खेल के आयोजन करिन जेमा नागपुर के कार्यक्रम ल गजब सहराइये गिस। 

साल 1989 ले चंद्रशेखर चकोर राज्य के आने-आने जिला के दौरा करके पारंपरिक लोक खेल के संकलन करिन हावयं। सुरूआतेच म संकलित 100 ले जादा पारंपरिक खेल ल आधारभूत नियम अउ मापदंड के संग लिपिबद्ध करे के बाद साल 2004 म 'छत्तीसगढ़ के पारंपरिक लोक खेल' शीर्षक ले पुस्तक प्रकाशित करिस, जेला छत्तीसगढ़ ही नइ आन राज्य म तको ए विधा के शोधग्रंथ के रूप म देखे अउ पढ़े जात हावय। बेरा-बेरा म चंद्रशेखर चकोर ह लोक खेल गतिविधी म केंद्रित वार्षिकांक के संपादन अउ प्रकाशन करिन हावय, जेमा लोक खेल उन्नयन के रजत जयंती साल म प्रकाशित स्मारिका 2015 प्रमुख अउ बिसेस हावय।

साल 2012 म पारंपरिक खेल के इतिहास अउ महत्ता ल इंटरनेट के माध्यम ले जन-जन तक पहुंचाये खातिर www.richvalgames.in वेबसाइट बनाईस। वेबसाइट के सेती आन राज्य ले तको पारंपरिक खेल म रुचि रखइया लोगन जुड़त हावय। चंद्रशेखर चकोर ह 2007 म दूरदर्शन रायपुर डहर ले प्रसारित लोक खेल म केंद्रित धारावाहिक के 13 एपिसोड तको लिखिस अउ फिल्माइस। इही रकम ले स्थानीय खेल ल वीडियो के रूप म संरक्षित करे के खातिर चकोर ह 2014 म जनसंपर्क विभाग के खातिर 30 मिनट के एक लघु फिलिम तको बनाये हावय।

सन 1996 के लोक खेल आयोजन के संगी-संगवारी

छत्तीसगढ़ खेल मड़ई 2010 के राज्‍य स्‍तरीय आयोजन म खेल मंत्री सुश्री लता उसेंडी, सांसद विजय बघेल

बच्छर 1989 ले पारंपरिक खेल के संरक्षण अउ संवर्धन बर उमियाए चंद्रशेखर के मन ह इही मेर नइ थिराइस। ओमन छत्तीसगढ़ सरकार ल पारंपरिक लोक खेल के ओलंपिक कराये खातिर तइयार तको करिस। प्रदेश के खेल अउ युवा कल्याण विभाग ये खातिर सहराये के लइक बुता करिस अउ चंद्रशेखर चकोर के संग मिलके 'राज्‍य स्‍तरीय खेल मड़ई' के नाम ले प्रदेश स्तर म येकर आयोजन सुरू करे गिस। इही बीच ओमन खेल विभाग के अधिकारी अउ तत्कालीन मुख्यमंत्री करा ओलंपिक खेल कराये के विचार राखिस, बात ह जंचके। पूरा प्रदेश म छत्तीसगढि़या ओलंपिक होइस। छत्तीसगढि़या ओलंपिक प्रदेश सरकार बर भले पहिली पइत रिहिस लेकिन खेल अउ युवा कल्याण विभाग हरेक साल लाखों रूपिया के बजट म 'खेल मड़ई' करावत रिहिस। भाजपा सरकार के राज्य‍ स्तरीय आयोजन 'खेल मड़ई' हो या कांग्रेस सरकार के 'छत्तीसगढि़या ओलंपिक' दूनो के माई मुड़ी चंद्रशेखर चकोर अउ ओकर लिखे किताब रिहिस। 

चंद्रशेखर चकोर ल पारंपरिक लोक खेल के संरक्षण अउ संवर्धन खातिर जबर बुता करे के सेती छत्तीसगढ़ शासन के संस्कृति विभाग, पर्यटन विभाग, खेल विभाग डहर ले केऊ बड़ा सम्मान मिल चुके हावय। सामाजिक संस्था अउ स्‍थानीय समिति कोति ले मिलत अपार मया-दुलार तो बेहिसाब हावय। अउ ये सब के बीच बच्छर 2024 म पारंपरिक लोक खेल के जानकारी बर प्रकाशित प्रथम पुस्तक के गौरव देवत 'गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड' म सामिल होना सिरतोन म गरब के बात आए।

पारंपरिक लोक खेल के प्रदर्शनी महंत घासीदास संग्रहालय रायपुर म

पारंपरिक लोक खेल के प्रशिक्षण कार्यक्रम



चंद्रशेखर चकोर के परिचय

  • नाम - चन्द्रशेखर चकोर
  • पिता - स्व. श्री धनऊ राम वर्मा
  • माता - स्व. श्रीमती पुनिया देवी 
  • पत्नी - श्रीमती पुष्पलता वर्मा
  • संतान - 1. लावी वर्मा 2. घनिष्टा वर्मा 3. पुमंगराज वर्मा
  • जाति - कुर्मी (ओ.बी.सी.)
  • शिक्षा - स्नातक (रविशंकर वि.वि. रायपुर)
  • जन्म - 10/03/1968 
  • पता -  म.नं. 164, ग्राम- कान्दुल, पो. सुन्दर नगर, जिला- रायपुर, 492013 (छ.ग.) 
  • मोबाइल - 9826992518 
  • ईमेल - chakor.cs@gmail.com

चकोर द्वारा लिखित एवं प्रकाशित कृति -

  1. छत्तीसगढ़ी भाषा की प्रथम स्वरचित ददरिया संग्रह 'मड़वा तीर करसा' का लेखन एवं प्रकाशन-1995
  2. प्रतियोगिता के दृष्टिकोण से स्वरचित पुस्तक 'लोक खेल नियमावली एक पुनरीक्षण' का प्रकाशन-2002 
  3. लोक नाट्य चंदैनी की शैली पर आधारित छत्तीसगढ़ी नाटक 'टेकहाराजा' का लेखन एवं प्रकाशन-2003
  4. सौ से अधिक प्राचीन लोक खेलों का संग्रह 'छत्तीसगढ़ के पारंपरिक लोक खेल' का प्रकाशन-2004
  5. छत्तीसगढ़ी कहानियों का संग्रह 'डहरचला' का प्रकाशन-2008  
  6. छत्तीसगढ़ी फिल्म स्क्रिप्ट 'चक्कर गुरूजी' के का लेखन एवं प्रकाशन-2016 
  7. छत्तीसगढ़ी कहानी संग्रह 'परिया टोरउनी रेगहा' का प्रकाशन-2019
  8. छत्तीसगढ़ी उपन्यास 'डोंगरपाली' का प्रकाशन-2022

चकोर द्वारा संपादित कृति -

  1. 2007 से 2018 तक छत्तीसगढ़ी भाषा की चौमासा पत्रिका बरछाबारी का नियमित प्रकाशन एवं संपादन।
  2. सन् 2000 में नाचा पर केन्द्रित पुस्तक नाच पेखन। 
  3. सन् 2001 से 2007 तक छत्तीसगढ़ी भाषा संस्कृतति एवं कला पर आधारित पुधव वार्षिकांक।
  4. 2005 से प्रतिवर्ष लोक खेलों पर केन्द्रित छत्तीसगढ़ प्रदेश लोक खेल एसोसिएशन के वार्षिकांक का संपादन।
  5. सन् 2006 में छत्तीसगढ़ी लोक मंच सर्जक दाऊ रामचन्द्र देशमुख पर केन्द्रित  स्मारिका।
  6. लोक खेल उन्नयन के रजत जयंती वर्ष पर सन 2015-16 में प्रकाशित लोक खेल  स्मारिका-2015।
  7. छत्तीसगढ़ के लोक खेल साहित्य को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने हेतु वेबसाईड- www.ritualgames.in का 2013 से संपादन।

पद एवं स्थापना -

  1. संस्थापक एवं अध्यक्ष -  नवा सुम्मत समिति कांदुल, रायपुर (1990)।
  2. संस्थापक एवं अध्यक्ष -  छत्तीसगढ़ प्रदेश लोक खेल एसोसिएशन (2004)।
  3. संस्थापक एवं अध्यक्ष - पुधव मंच रायपुर (1993)।
  4. संस्थापक एवं अध्यक्ष - गुड़ी चउँरा सांस्कृतिक, साहित्यिक एवं लोक खेल संस्था, रायपुर सन (2014)।

अन्य

1. फिल्म- 2009-10 में चन्द्रशेखर चकार ने स्वयं की कथा पर छत्तीसगढ़ी फीचर फिल्म गुरॉवट का निर्माण किया जिसमें वह सहनायक रहे। सन् 2016 में छत्तीसगढ़ी फिल्म चक्ककर गुरूजी के का निर्माण किया जिसका लेखन निर्देशन के साथ ही मुख्य भूमिका में भी है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ी फिल्म बनसुन्दरी, धरती पूत, नाग अउ अर्जुन में नायक की भूमिका।

2. रंगमंच- सन् 1989-90 में रायपुर की प्रिय दर्शनीय नाट्य संस्था की मंच प्रस्तुति बगिया बाछाराम की में अभिनय कर रंगमंच में प्रवेश किया। इसके बाद रायपुर की संस्था रचना, मंचन, अवंतिका दवारा अनेक हिन्दी नाटकों में अभिनय। प्रमुख नाटक- जंगीराम की हवेली, अंधा युग, गधे की बारात, जांच पड़ताल, खुलम खुल्ला, जिस लाहोर नइ देख्या वो जन्माया ही नहीं। 1993 में छत्तीसगढ़ी नाटक छत्तीसगढ़ के बेटा का लेखन एवं अभिनय के साथ निर्देशन में प्रवेश। इस समय पुधव मंच संस्था की स्थापना कर छत्तीसगढ़ी नाटक क्रमश: भरम गोली, पंचवर्षीय गोल्लर का लेखन निर्देशन एवं प्रस्तुतिकरण।

3. लोकरंग- लोक नाट्य चंदैनी के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु 2007 में टेकहाराजा का निर्देशन एवं अभिनय। 2013-14 में चंदैनी के शैली में ही खोखन खल्लू का लेखन, नर्देशन एवं नियमित प्रस्तुतिकरण। प्रस्तुति जारी है...

विशेष

  • 1995 से आकशवाणी का एप्रूभ कलाकार अब तक 25 से अधिक छत्तीसगढ़ी नाटकों में भागीदारी।
  • 2002 से दूरदर्शन के लिए छत्तीसगढ़ी टेली फिल्म चक्कर दरोगा के, दूध के दूध पानी के पानी, नर नियाव और बेड़ा तरिया का लेखन एवं अभिनय।

प्रमुख सम्मान

  • खेल एवं युवा कल्याण विभाग छत्तीसगढ़ शासन द्वारा खेल दिवस 2017 में लोक खेल अभिलेखीकरण हेतु विशेष सम्मान।
  • एक भारत श्रेष्ठ भारत के तहत गुजरात में लोक खेल प्रदर्शन हेतु प्रशस्ति पत्र-2017
  • छत्तीसगढ़ी राजभाषा मंच रायपुर द्वारा छत्तीसगढ़ी सेवा सम्मान 2009
  • छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग छ.ग. शासन द्वारा छत्तीसगढ़ी साहित्यकार सम्मान 2009
  • युवा पिछड़ा वर्ग जन विकास संस्थान रायपुर द्वारा साहित्य सेवा सम्मान 2008
  • जे.सी.आई. रायपुर द्वारा टॉई सम्मान 2008
  • युवा कुर्मी मित्र मंडल भिलाई नगर द्वारा भुईयां सम्मान 2007
  • संस्कृसति विभाग छ.ग. शासन द्वारा 2004 में पावस प्रसंग लोक कलाकार सम्मान।
  • राष्ट्रीय दिशा मंच रायपुर द्वारा राष्ट्रीय खेल दिवस 2004 को सम्मान।

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सबो पाठक ल जोहार..,
हमर बेवसाइट म ठेठ छत्तीसगढ़ी के बजाए रइपुरिहा भासा के उपयोग करे हाबन, जेकर ल आन मन तको हमर भाखा ल आसानी ले समझ सके...
छत्तीसगढ़ी म समाचार परोसे के ये उदीम कइसे लागिस, अपन बिचार जरूर लिखव।
महतारी भाखा के सम्मान म- पढ़बो, लिखबो, बोलबो अउ बगराबोन छत्तीसगढ़ी।

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