पर्यावरण संकट अउ जलवायु परिवर्तन राष्ट्रीय चिंतन के विषय बनगे हावय: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

अंजोर
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पर्यावरण संकट अउ जलवायु परिवर्तन राष्ट्रीय चिंतन के विषय बनगे हावय: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय


छत्‍तीसगढ़ी समाचार अनुवादक जयंत साहू
पर्यावरण संकट अउ जलवायु बदलाव अभी के बेरा म राष्ट्रीय चिंतन के विषय बन गे हावय। जलवायु परितर्वतन हाल के साल म दुनिया के सबले बड़े चुनौती बनके उभरे हावय। हम सबो ल मिलके ए समस्या ले निपटे खातिर के खातिर सहभागिता निभानी होही। मुख्यमंत्री ह राजधानी रायपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय सभागार म आयोजित पहिली संस्करण छत्तीसगढ़ हरित शिखर के सुरू कार्यक्रम ल संबोधित करत ये बात कहिन। ए मउका म मुख्यमंत्री ह पर्यावरण शोध म आधारित संक्षेपिका के विमोचन तको करिन।
 
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ह जलवायु बदलाव म अपन संसो जाहिर करत किहिन के ए साल देश म गरमी ह पाछु सारे रिकॉर्ड तोड़ दिस। राजधानी दिल्ली म तापमान 52.3 डिग्री तक पहुंच गे रिहिस। जलवायु बदलाव ह भारत ही नइ वन पूरा दुनिया म दस्तक दीस हावय। दुबई जइसे रेगिस्तानी इलाका म जादा बरसात होए ले पूरा शहर बाढ़ के चपेट म आ गे। ओमन किहिन के आज क्लाइमेट चेंज दुनिया म सबले बड़े चुनौती हावय अउ प्रधानमंत्री मोदी के अगुवई म भारत पहिली ले ही ए समस्या के बारे म वैश्विक जगत ल आगाह करिन।
        
प्रदेस के 44 परतिसत हिस्सा वनाच्छादित हावय अउ हम एला सहेजेे के काम गंभीरता के संग करना हावयं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत 4 करोड़ पेड़ लगाये के जेन लक्ष्य रखे गे रिहिस, वो ह हमन पूरा ले हावन। हाल ही म हमन गुरु घासीदास-तमोर पिंगला ल टाइगर रिजर्व बनाये के पहल करे हावय। येकर माध्यम ले वन्यजीव के संरक्षण अउ पर्यावरण के संवर्धन म तको बड़े मदद मिलही अउ ये देश के तीसरा सबले बड़ा टाइगर रिजर्व होही। ओमन किहिन के प्रदेस म रिन्यूएबल एनर्जी के दिशा म तको हम सरलग काम करत हावयं। भारत म 200 गीगावॉट रिन्यूएबल एनर्जी के उत्पादन होवत हाबे। साल 2030 तक एला बढ़ाके 500 गीगावॉट करे के योजना हावय, ए लक्ष्य ल पाये के खातिर प्रदेस तको सहभागी होही।

मुख्यमंत्री साय ह किहिन के जलवायु बदलाव ले निपटे खातिर के खातिर छत्तीसगढ़ म केऊ कार्यक्रम चलाए जा रिहिन हावयं। वृक्षारोपण ल बढ़ावा दे के खातिर हम किसान पेड़ संगवारी योजना, ग्रीन क्रेडिट योजना के क्रियान्वयन करके रिहिन हावयं। ओमन किहिन के हमन नवा रायपुर म पीपल फॉर पीपल अभियान के शुरुआत के हावय, जेकर तहत हजारों पीपल के पेड़ लगाए गे हावयं। मुख्यमंत्री साय ह आशा व्यक्त करत किहिन के अइसे सम्मेलन के आयोजन ले पर्यावरण संरक्षण के दिशा म बुता तेजी ले आगू बढ़ेंगे अउ विषय विशेषज्ञ के मदद ले स्वच्छ पर्यावरण के लक्ष्य ल मिले करे म हम सफल होही।

वन मंत्री केदार कश्यप ह कार्यक्रम ल संबोधित करत किहिन के दुनिया ह बहुत तरक्की कर ले हावय। हर क्षेत्र म हम आगू बढ़े फेर प्रकृति ले हमन दूरी बना लिस। हमन प्रकृति के संग छोड़ा हावय, हम विकृति के तनि बढ़े लगे हावयं। कश्यप ह किहिन के हमन साधन के दुरुपयोग करे सुरू कर दे हावय अउ अपन अस्तित्व ल चुनौती दे के काम करत हावयं। वन मंत्री कश्यप ह जलवायु बदलाव सहित पर्यावरण संरक्षण अउ संवर्धन के उद्देश्य ले राज्य शासन के अवइया बुता योजना मन अउ प्रयास के जानकारी दीस।

प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक जे. नन्दकुमार ह किहिन के भारतीय संस्कृति ल आरण्यक संस्कृति किहिन हावय। भारतीय संस्कृति के आदर्श रूप बनवासी मन  के जिनगी म हमन ल दिखत हावय। हमर लोक जिनगी अउ लोक परंपरा म प्रकृति अउ मानव के बीच संबंध के केऊ सुंदर उदाहरण देखे ल मिलत हावयं। ओमन किहिन के आने वाला साल म ग्रीन समिट के मोटो परस्पर जीना माने सह अस्तित्व होना चाही। हमन ल पंचभूत ल अपन मानके येकर रक्षा करना चाही। भारतीय परंपरा म एमन ल ईश्वर के दर्जा तको दे हावय। ओमन किहिन के हमन ल पेड़ लगाना, पानी बचाना, वायु ल दूषित न करे अउ पर्यावरण ल स्वच्छ बनाए रखे के खातिर बुता करे चाही, ये हम सब के जिम्मेदारी हावय।
   
पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के राष्ट्रीय समन्वयक गोपाल आर्य ह किहिन के छत्तीसगढ़ के समृद्ध जैव विविधता अउ पर्यावरण के प्रति जागरूकता के खातिर छत्तीसगढ़ ग्रीन समिट जरूरी भूमिका निभाही। ओमन किहिन के वैश्विक महामारी ह प्रकृति अउ पर्यावरण के बीच संबंध ल प्रभावित करिन हावय। हमन ल संबंध ल परस्पर जीने के उद्देश्य ले फेर स्थापित करे हावय।

कार्यक्रम म वन बल प्रमुख व्ही. श्रीनिवास राव ह स्वागत उद्बोधन दीस। एमिटी यूनिवर्सिटी के कुलपति पीयूषकांत पांडे ह आभार व्यक्त करिन। कर्याक्रम म बोटेनिकल सर्वे ऑफ इंडिया के निदेशक डॉ. असीसो माओ, एनआईटी रायपुर के डायरेक्टर एन व्ही रमन्ना राव, पद्मश्री जागेश्वर यादव, एमिटी वाटर वूमेन ऑफ इंडिया सुश्री क्षिप्रा पाठक सहित गणमान्य नागरिक मौजूद रिहिन।

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