फागुन मड़ई के पांचवां दिन म लम्हा मार रस्म करे गिस। जेमा खरगोश के शिकार के प्रदर्शन करे जाथे। एमे डोली वापसी के बाद साड़ी ले ढकी चांवल अउ चंदन के लकड़ी ल दू टोकरी म भण्डारी अउ तुड़पा (सेवादार) लेके रतिहा 11 बजे मोहरी बाजा के थाप म बारह लंकवार, पडि़हार, मांझी-चालकी अउ सेवादार मेंढ़का डोबरा मैदान के देव विश्राम मंदिर म जाथे। येकर बाद बारह लंकवार म ले गांव डेगलरास के गायता परिवार डहर ले पाण्डव मंदिर म रतिहा के 1 बजे लम्हामार रस्म बर गायता परिवार के सदस्य ल लम्हा (खरगोश) के रूप म तइयार करे जाथे। जेला लेके मेंढ़का डोबरा मैदान के देव विश्राम मंदिर म पहुंचथे। जहाँ गांव नेटापुर के राजबड्डे अउ गांव कतियाररास के हेमला बड्डे डहर ले शिकार प्रदर्शन करे जाथे अउ लम्हा के शिकार करे जाथे। जेकर बाद सबो सदस्य माई जी मंदिर आथे अउ फेर लम्हामार आखेट रस्म के प्रदर्शन करे जाथे। जेकर बाद आज के कार्यक्रम समापन करे जाथे। येकर संग ही काली कोडरीमार के कार्यक्रम के रस्म होही।
सबो पाठक ल जोहार..,
हमर बेवसाइट म ठेठ छत्तीसगढ़ी के बजाए रइपुरिहा भासा के उपयोग करे हाबन, जेकर ल आन मन तको हमर भाखा ल आसानी ले समझ सके...
छत्तीसगढ़ी म समाचार परोसे के ये उदीम कइसे लागिस, अपन बिचार जरूर लिखव।
महतारी भाखा के सम्मान म- पढ़बो, लिखबो, बोलबो अउ बगराबोन छत्तीसगढ़ी।