बस्तर पंडुम- पारंपरिक नृत्य, लोकगीत, हस्तशिल्प अउ आदिवासी रीति-रिवाज ल मिलिस मंच

अंजोर
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बस्तर पंडुम- पारंपरिक नृत्य, लोकगीत, हस्तशिल्प अउ आदिवासी रीति-रिवाज ल मिलिस मंच



बस्तर जिला के जगदलपुर, बस्तर, तोकापाल, बास्तानार अउ दरभा विकासखण्ड म गुरुवार ल ब्लॉक स्तरीय बस्तर पंडुम के आयोजन करे गिस। कार्यक्रम के मउका म जनप्रतिनिधी मन अउ समाज प्रमुख ह किहिन के ये आयोजन बस्तर के समृद्ध सांस्कृतिक विरासत ल संरक्षित अउ संवर्धित करे के उद्देश्य ले करे जात हावय। 

बस्तर पंडुम के माध्यम ले पारंपरिक नृत्य, लोकगीत, हस्तशिल्प अउ आदिवासी रीति-रिवाज ल मंच दे जात हावय, जेकर ले स्थानीय संस्कृति ल नवा पहचान मिलत हावय। ए परब म आने-आने जनजाति समूह अपन कला अउ परंपरा के प्रदर्शन करत हावयं, जेकर ले न सिरिफ सांस्कृतिक जागरूकता बाढ़ही बल्कि पर्यटन ल तको बढ़ावा मिलही। 

जिला के ये सबो ब्लॉक म आयोजित ये कार्यक्रम म स्थानीय लोक कलाकार, जनजाति समुदाय अउ संस्कृति परेम करइया के उछाह देखत ही बनत हावय। बस्तर पंडुम न सिरिफ संस्कृति ल सहेजेे के प्रयास हावय बल्कि सामाजिक एकता अउ पारंपरिक कीमत ल तको सुदृढ़ करे के एक जरूरी मउका तको हावय। 

जिला के ये सबो विकासखंड म बस्तर पंडुम के तहत हजारों भाग लेवइया मन ह बढ़-चढ़ के उत्साहपूर्वक भाग लिस। जिला म बस्तर पंडुम के जिला स्तरीय कार्यक्रम 22 अउ 23 मार्च ल इंदिरा प्रियदर्शिनी स्टेडियम जगदलपुर म आयोजित करे जाही, जेमा ब्लॉक स्तर ले चयनित भाग लेवइया सामिल होही।
        

बस्तर पंडुम 2025 म का-का कार्यक्रम होही -

जनजाति नृत्य- गेड़ी, गौर-माड़िया, ककसाड़, मांदरी, हुलकीपाटा, परब सहित 

जनजाति गीत- चैतपरब, लेजा, जगारगीत, धनकुल,  हुलकी पाटा (रीति-रिवाज, तीज त्यौहार, बिहाव पद्धति अउ नामकरण संस्कार आदि)  

जनजाति नाट्य- भतरा नाट्य जेला लय अउ ताल, संगीत कला, वाद्य यंत्र, वेषभूषा, मौलिकता, लोकधुन, वाद्ययंत्र, पारंपरिकता, अभिनय, विषय-वस्तु, पटकथा, संवाद, कथानक के मानक के आधार म  मूल्यांकन करे गिस। 

जनजाति वाद्य- धनकुल, ढोल, चिटकुल, तोड़ी, अकुम, झाब, मांदर, मृदंग, बिरिया ढोल, सारंगी, गुदुम, मोहरी, सुलुङ, मुंडाबाजा, चिकारा  सामिल रिहिन।

जनजाति वेशभूषा- लुरकी, करधन, सुतिया, पैरी, बाहूंटा, बिछिया. ऐंठी, बन्धा, फुली, धमेल, नांगमोरी, खोचनी, मुंदरी, सुर्रा, सुता, पटा, पुतरी, नकबेसरा।

जनजाति शिल्प अउ चित्रकला- घड़वा, माटी कला, काष्ठ, ढोकरा, लौह प्रस्तर, गोदना, भित्तीचित्र, शीशल, कौड़ी शिल्प, बांस के कंघी, गीकी (चटाई), घास के दाना के माला प्रदर्शन प्रस्तुति। 

जनजाति पेय- सल्फी, ताड़ी, छिंदरस, लांदा, पेज, कोसरा अउ मड़िया पेज, चापड़ा चटनी, सुक्सी पुड़गा, मछरी पुड़गा, मछरी झोर, आमट साग, तिखुर। 

ए कार्यक्रम म भाग लेवइया मन ल प्रोत्साहन स्वरूप पुरस्कार तको दे गिस। ए मउका म जनप्रतिनिधी मन अउ अधिकारी-कर्मचारी अउ बड़का संख्या म ग्रामीणजन मौजूद रिहिस।

समाज प्रमुख ह बस्तर पंडुम आयोजन ल सराहिन-  बस्तर  जिला म विकासखण्ड स्तर म आयोजित बस्तर पंडुम म सक्रिय सहभागिता निभाने वाला समाज प्रमुख म बस्तर पंडुम के प्रति खासा उछाह अउ आये के लगाव देखे ल मिलिस। ए बखत ये समाज प्रमुख ह बस्तर पंडुम आयोजन ल सराहनीय पहल निरूपित करत मुख्यमंत्री विष्णु देव साय अउ राज्य सरकार के प्रति कृतज्ञता प्रकट करिन।

ए मउका म पहिली विधायक अउ सबो आदिवासी समाज के कार्यकारी प्रदेस अध्यक्ष राजाराम तोड़ेम ह बस्तर पंडुम ल राज्य सरकार के जनजाति समुदाय के सांस्कृतिक विविधता ल देश-दुनिया म पहुंचाये के अनुपम प्रयास रेखांकित करिन। उहें सबो आदिवासी समाज के बस्तर जिला अध्यक्ष दशरथ कश्यप ह बस्तर पंडुम ल जनजाति संस्कृति ल संरक्षित अउ संवर्धित करे के दिशा म उल्लेखनीय पहल निरूपित करत एला हर साल आयोजित करे के सुझाव दे।

सर्व आदिवासी समाज के महिला प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष चमेली जिराम ह बस्तर पंडुम ल जनजाति समुदाय के भावी पीढ़ी के खातिर समृद्ध सांस्कृतिक विरासत ल सीखे-समझेे के बढि़या मंच बतावत किहिन के अभी के बेरा समय म भावी पीढ़ी अपन संस्कृति,परम्परा, रीति-रिवाज ले दूरिहा होत हावय। बस्तर पंडुम जइसे आयोजन म सक्रिय सहभागी बनके भावी पीढ़ी अपन जुड़ाव महसूस करही। ए बस्तर पंडुम म जनजाति पेय जिनिस के विधा म अपन प्रदर्शन करे पहुंचिस नगरनार के अन्नपूर्णा नाग अउ भेजापदर के बुधरी बघेल ह किहिन बस्तर पंडुम म जनजाति संस्कृति के आने छटा दिख रेहे हावय। जेमा परम्परा, रीति-रिवाज, खान-पान सबो सामिल हावय। ये हमर पहचान हावय अउ एला संरक्षित करे के खातिर सरकार के प्रयास प्रशंसनीय हावय।
समाचार अनुवादक-
जयंत साहू
पत्रकार/साहित्‍यकार

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