महिला मन के जिनिस ल बेचे अउ प्रोत्साहित करे खातिर महिला मड़ई के आयोजन 4 ले 8 मार्च तक रायपुर म

अंजोर
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महिला मन के जिनिस ल बेचे अउ प्रोत्साहित करे खातिर महिला मड़ई के आयोजन 4 ले 8 मार्च तक रायपुर म


अंजोर छत्‍तीसगढ़ी समाचार। रायपुर के साईंस कॉलेज मैदान म 4 मार्च ले 8 मार्च (अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस) तक राज्य स्तरीय महिला मड़ई के आयोजन करे जात हावय। महिला मड़ई ’’सशक्त महिला समृद्ध महिला’’ विषय म आयोजित करे जात हावय। मड़ई म प्रदेस के महिला स्व-सहायता समूह डहर ले उत्पादित सामान के प्रदर्शनी अउ बिकरी करे जाही।

ए मड़ई म महिला अउ बाल विकास विभाग के समूह के संग आन विभाग के समूह जइसे- एनआरएलएम, वन विभाग, पंचायत विभाग,  महिला स्व-सहायता समूह डहर ले उत्पादित सामान के बेचे अउ प्रदर्शन के खातिर फोकट म स्टॉल मौजूद कराये जात हावय। येकर अकताहा स्थानीय महिला उद्यमी अउ महिला मन ल आगू बढ़े बर मउका मौजूद कराये के उद्देश्य ले पंजीकृत महिला उद्यमी, उत्पादक, स्टार्ट-अप ल तको स्टॉल मौजूद कराये जाही। प्रदर्शनी के अवलोकन मंझनिया 12 बजे ले रतिहा 10 बजे तक करे जा सकत हाबे। मड़ई म प्ले जोन तको बनाये जाही, जेमा लइका के मनोरंजन के खातिर आकर्षक झूला अउ खेल-खिलौना के बेवस्था करे गे हावय।

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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस कब मनाया जाता है?

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक उपलब्धियों का सम्मान करने और जेंडर समानता के लिए जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है।


अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर निबंध

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक उपलब्धियों का सम्मान करने और महिला सशक्तिकरण की दिशा में किए गए प्रयासों को उजागर करने के लिए समर्पित होता है। साथ ही, यह दिन महिलाओं के अधिकारों और उनके साथ होने वाले भेदभाव के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने का भी अवसर प्रदान करता है।

महिला दिवस की शुरुआत 1908 में हुई थी, जब न्यूयॉर्क शहर में महिला श्रमिकों ने अपने अधिकारों के लिए प्रदर्शन किया था। उन्होंने समान काम के लिए समान वेतन, बेहतर कार्य परिस्थितियाँ और मतदान का अधिकार मांगा था। इसके बाद, 1910 में कोपेनहेगन में हुई एक अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी महिला सम्मेलन में क्लारा ज़ेटकिन द्वारा महिला दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा गया था, जिसे बाद में 8 मार्च को मनाने का रूप दिया गया।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का महत्व इसलिए है क्योंकि यह हमें यह याद दिलाता है कि महिलाओं ने समाज में कई प्रकार के योगदान दिए हैं। चाहे वह राजनीति हो, विज्ञान हो, साहित्य हो या कला, हर क्षेत्र में महिलाओं ने अपनी पहचान बनाई है। जैसे, भारतीय इतिहास में रानी लक्ष्मीबाई, सरोजिनी नायडू, इंदिरा गांधी और कल्पना चावला जैसी महान महिलाओं ने न केवल भारत में बल्कि विश्वभर में अपनी विशेष पहचान बनाई है। इन महिलाओं के संघर्ष और साहस ने समाज में महिलाओं की स्थिति को बेहतर बनाने में मदद की है।

आज के समय में भी, महिलाओं को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। भेदभाव, असमान वेतन, शिक्षा की कमी, घरेलू हिंसा और शोषण जैसी समस्याएं अभी भी मौजूद हैं। हालांकि, दुनिया भर में महिला सशक्तिकरण के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन हम सभी को यह समझना होगा कि यह केवल एक दिन का कार्यक्रम नहीं है। महिलाओं के अधिकारों और उनके समानता के लिए हमें निरंतर संघर्ष करना होगा।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर यह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए समाज में अपनी भूमिका निभाएं। शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और समान अवसरों का अधिकार सुनिश्चित करना, यह सभी हम सभी का कर्तव्य है। यह दिन हमें यह भी याद दिलाता है कि महिलाओं का योगदान हर स्तर पर महत्वपूर्ण है, और हमें उनकी बराबरी का सम्मान करना चाहिए।

इस दिन को मनाने का उद्देश्य सिर्फ महिलाओं की सराहना करना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि हर महिला को समान अवसर मिले, और उसे अपना जीवन बेहतर बनाने के लिए अपनी शक्ति का पूरा इस्तेमाल करने का मौका मिले। हमें यह समझना होगा कि समाज की प्रगति और सफलता महिलाओं की प्रगति पर निर्भर करती है।

निष्कर्ष:

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हमें यह अवसर प्रदान करता है कि हम महिलाओं के योगदान को सराहें और उनके अधिकारों के लिए काम करें। यह हमें यह समझने का भी अवसर देता है कि जेंडर समानता केवल महिला का अधिकार नहीं, बल्कि समाज की समृद्धि के लिए भी आवश्यक है। हमें मिलकर इस दिशा में कदम बढ़ाने चाहिए ताकि आने वाले समय में हम एक ऐसे समाज का निर्माण कर सकें, जहाँ महिलाओं को हर क्षेत्र में समान अवसर और सम्मान मिले।



अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस


अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस (International Day for the Elimination of Violence Against Women) हर साल 25 नवम्बर को मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए वैश्विक जागरूकता फैलाने का अवसर प्रदान करता है। यह दिन महिलाओं के शारीरिक, मानसिक और यौन शोषण के खिलाफ दुनिया भर में आवाज़ उठाने के लिए समर्पित होता है और महिलाओं के अधिकारों के संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता को मजबूत करने का प्रयास करता है।

इतिहास: इस दिन की शुरुआत 1981 में लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई देशों के देशों द्वारा की गई थी, जब "मिराबल बहनों" (Mirabal Sisters) की हत्या हुई थी। मिराबल बहनें – पैट्रिया, मिन्नरवा और मारिबल – डोमिनिकन गणराज्य में तानाशाही शासन के खिलाफ सक्रिय थीं और महिला अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष कर रही थीं। 25 नवम्बर, 1960 को, इन तीनों बहनों को तानाशाही सरकार द्वारा अत्याचारों के रूप में मारा गया। उनके बलिदान के बाद, यह दिन महिलाओं के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न को समाप्त करने के लिए समर्पित किया गया।

महिला हिंसा के प्रकार: महिलाओं के खिलाफ हिंसा के कई रूप होते हैं, जैसे:

शारीरिक हिंसा – महिलाओं को शारीरिक रूप से चोट पहुँचाना या मारपीट करना।

यौन हिंसा – बलात्कार, यौन उत्पीड़न और जबरन यौन संबंध।

मनोवैज्ञानिक हिंसा – मानसिक शोषण, अपमान, धमकी और गाली-गलौच।

आर्थिक हिंसा – महिलाओं के आर्थिक अधिकारों का उल्लंघन, उन्हें स्वतंत्र रूप से धन कमाने और खर्च करने का अधिकार न देना।

घरेलू हिंसा – घर के भीतर होने वाली शारीरिक, मानसिक और यौन हिंसा।

ट्रैफिकिंग – महिलाओं को बेचने या उनका शारीरिक शोषण करने के लिए व्यापार करना।


महिला हिंसा उन्मूलन दिवस का उद्देश्य:

जागरूकता बढ़ाना: यह दिन महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा के बारे में समाज में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। यह समाज को यह समझाने का अवसर है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा कोई व्यक्तिगत या घरेलू मामला नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक और सामाजिक मुद्दा है।

संकल्प और कार्य: इस दिन हम संकल्प लेते हैं कि हम महिलाओं के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए सक्रिय रूप से काम करेंगे और न केवल सरकारी स्तर पर, बल्कि व्यक्तिगत स्तर पर भी हर संभव कदम उठाएंगे।

नीति परिवर्तन: यह दिन सरकारों से अपेक्षाएँ रखता है कि वे महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए प्रभावी कानून और नीतियाँ बनाएं और उनकी सख्ती से निगरानी करें।

समर्थन और एकजुटता: यह दिन दुनिया भर में महिलाओं को यह संदेश देता है कि वे अकेली नहीं हैं, और उनके खिलाफ होने वाली हिंसा का विरोध दुनिया भर में किया जा रहा है। यह उनके समर्थन और सशक्तिकरण के लिए एक वैश्विक एकजुटता का प्रतीक है।

निष्कर्ष: अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस हमें यह याद दिलाता है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा के खिलाफ हमें सक्रिय रूप से संघर्ष करना होगा। यह केवल कानून या नीति से संबंधित नहीं है, बल्कि यह समाज की मानसिकता, शिक्षा और जागरूकता से जुड़ा हुआ है। हम सभी को मिलकर महिलाओं के लिए एक सुरक्षित और सम्मानजनक समाज बनाने के लिए काम करना चाहिए। 25 नवम्बर का यह दिन हमें यह प्रेरणा देता है कि हम सभी महिलाओं को उनके अधिकारों की सुरक्षा देने के लिए निरंतर प्रयास करें, ताकि कोई भी महिला किसी भी प्रकार की हिंसा का शिकार न हो।

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